पैनल के प्रतिष्ठित सदस्यगण और अतिथिगण,
देवियों एवं सज्जनों,
मुझे इंडो-पैसिफ़िक ओशन इनिशिएटिव (आईपीओआई) में राष्ट्रीय परामर्श पर वर्चुअल सम्मेलन में भाग लेते हुए प्रसन्नता हो रही है।
मैं, परामर्श के माध्यम से आईपीओआई के सात स्तंभों से जुड़े भारतीय विशेषज्ञों और हितधारकों को शामिल करके राष्ट्रीय परामर्श आयोजित करने के लिए, सबसे पहले आईसीडब्ल्यूए को बधाई देना चाहती हूं।
वास्तव में, इंडो-पैसिफ़िक क्षेत्र एक ऐसा महत्वपूर्ण भौगोलिक स्थान है जो वैश्विक आबादी का 64% से अधिक का घर है और वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में 60% से अधिक का योगदान देता है। इस क्षेत्र में वैश्विक व्यापार का लगभग आधा, समुद्री व्यापार मार्गों के माध्यम से होता है। पिछले कुछ वर्षों में, इस क्षेत्र ने प्रशांत रिम, दक्षिण पूर्व एशिया, दक्षिण एशिया, खाड़ी क्षेत्र और अफ्रीका के पूर्वी व दक्षिणी तट तक विस्तारित मजबूत और सतत आर्थिक विकास को देखा है।
हमारा इंडो-पैसिफ़िक विज़न भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी और सिक्योरिटी एंड ग्रोथ फ़ॉर ऑल इन द रीजन (सागर) के सिद्धांत पर आधारित है, जिसकी घोषणा प्रधानमंत्री ने क्रमशः 2014 और 2015 में की थी। प्रधान मंत्री द्वारा जून 2018 में सिंगापुर में शांगरी ला डायलॉग में अपने मुख्य भाषण में, इंडो-पैसिफ़िक विज़न को अभिव्यक्त किया गया था।
भारत के इंडो-पैसिफ़िक विजन में एक स्वतंत्र, खुले, समावेशी, शांतिपूर्ण और समृद्ध इंडो-पैसिफ़िक क्षेत्र की परिकल्पना की गई है जो नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था, टिकाऊ व पारदर्शी बुनियादी ढांचा-निवेश, नौवहन व ओवर-फ्लाइट की स्वतंत्रता, अबाध न्यायसंगत वाणिज्य, संप्रभुता के लिए आपसी सम्मान, विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के साथ-साथ सभी राष्ट्रों की समानता पर निर्मित हो।
इंडो-पैसिफ़िक के भारत के विज़न को ठोस आकार देने के लिए, प्रधान मंत्री ने समुद्री क्षेत्र के बेहतर ढंग से प्रबंधन करने, संरक्षित करने, बनाए रखने और सुरक्षित करने के लिए सहयोगात्मक प्रयास पर ध्यान देने के साथ, 4 नवंबर 2019 को बैंकॉक, थाईलैंड में आयोजित 14वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (ईएएस) में इंडो-पैसिफ़िक ओशन इनिशिएटिव (आईपीओआई) की घोषणा की।
भारत के आईपीओआई में एक नया संस्थागत ढांचा बनाने की परिकल्पना नहीं है और यह नेताओं के नेतृत्व वाले ईएएस ढांचे पर निर्भर होगा। इसके स्ट्रक्चर-लाइट और कोऑपरेशन-हैवी होने की परिकल्पना की गई है। संस्थागत मतभेदों में फंसे बिना, हम इस क्षेत्र में आईओआरए, बिम्सटेक, आईओसी आदि सहित सभी के साथ काम करने को तैयार हैं।
हमारे इंडो-पैसिफ़िक ओशन इनिशिएटिव्स (आईपीओआई) में सहयोग और सहकार्य के लिए सात स्तंभों के अंतर्गत परिकल्पना की गई है, जो इस प्रकार से हैं समुद्री सुरक्षा, समुद्री पारिस्थितिकी, समुद्री संसाधन, क्षमता निर्माण और संसाधन साझा करना, आपदा जोखिम न्यूनीकरण और प्रबंधन, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और शैक्षणिक सहयोग व व्यापार, कनेक्टिविटी और समुद्री परिवहन।
आईपीओआई के सात स्तंभों में से प्रत्येक पर सहयोग की प्रगति के लिए, हमने विचारों के सृजन और उन्हें क़ागज़ पर लाने के लिए प्रत्येक आईपीओआई स्तंभ के लिए भारत के भीतर संस्थान/नॉलिज पार्टनर की पहचान की है। उनमें से कुछ हैं - समुद्री पारिस्थितिकी के लिए एनसीसीआर/आईएनसीओआईएस, समुद्री सुरक्षा के लिए एनएमएफ़ और आईसीड्ब्ल्यूए, समुद्री संसाधनों के लिए एफएसआई, मुंबई और एनआईओटी चेन्नई, एनआईओ गोवा, आईएनसीओआईएस हैदराबाद, आईसीडब्ल्यूए क्षमता निर्माण और संसाधन साझा करने के लिए, आपदा जोखिम न्यूनीकरण और प्रबंधन के लिए एनडीएमए, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और सहयोग के लिए एफ़एसआई, मुंबई, आईओएम, चेन्नई, एनआईओ गोवा और आईएनसीओआईएस हैदराबाद, व्यापार, कनेक्टिविटी और परिवहन के लिए आरआईएस।
यद्यपि आईपीओआई के अंतर्गत पहचान किए गए सभी क्षेत्रों के पीछे प्रेरक शक्ति भारत होगा, तथापि हम समान विचारधारा वाले देशों के साथ साझेदारी भी खोज रहे हैं। घोषणा के बाद से, इस क्षेत्र के देशों द्वारा आईपीओआई का स्वागत किया गया है। ऑस्ट्रेलिया समुद्री पारिस्थितिकी स्तंभ पर, जापान कनेक्टिविटी पर, आईपीओआई के समुद्री संसाधन स्तंभ पर फ्रांस और इंडोनेशिया आगे आने के लिए सहमत हो गए हैं। भारत आपदा जोखिम न्यूनीकरण और आईपीओआई के समुद्री सुरक्षा स्तंभ में अग्रणी भूमिका निभाएगा।
आईपीओआई के कनेक्टिविटी स्तंभ के लिए जापान के नेतृत्व में, आईपीओआई के अंतर्गत क्षेत्र में भारत और जापान ने सार्थक कनेक्टिविटी बढ़ाने पर संयुक्त रूप से मार्च 2021 में तीन सेमिनार आयोजित किए।
अप्रैल 2021 में, ऑस्ट्रेलिया ने अपने नेतृत्व में आईपीओआई के समुद्री पारिस्थितिकी स्तंभ पर सभी इच्छुक भागीदारों के साथ विचार सृजित करने के लिए ऑस्ट्रेलियाई $1.4 मिलियन के अनुदान की घोषणा की। ऑस्ट्रेलिया के विदेश मामलों के मंत्री ने 6-8 जुलाई 2021 को आयोजित इंडो पैसिफ़िक बिजनेस समिट के दौरान इस अनुदान के प्राप्तकर्ताओं की घोषणा की जिसे सीआईआई और विदेश मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया था और इंडो पैसिफ़िक देशों के विदेश और व्यापार मंत्रियों की भागीदारी देखी।
पिछले कुछ वर्षों में, कई देशों ने इंडो-पैसिफ़िक की अपनी अवधारणाओं की घोषणा की है। जापानियों ने 2016 में 'फ़्री एंड ओपन इंडो-पैसिफ़िक') (एफओआईपी) के लिए अपने विज़न की घोषणा की। 2017 में अमेरिकी राष्ट्रपति ने "फ़्री एंड ओपन इंडो-पैसिफ़िक" को बढ़ावा देने के लक्ष्य की रूपरेखा तैयार की। ऑस्ट्रेलिया ने 2016 में अपने रक्षा श्वेत पत्र में अपनी अवधारणा को विस्तृत किया और उसके बाद 2017 में विदेश नीति श्वेत पत्र में। जून 2019 में आसियान ने भी अपना आसियान आउटलुक ऑन इंडो-पैसिफ़िक(एओआईपी) जारी किया। हाल ही में, फ्रांस, जर्मनी, नीदरलैंड और यूरोपीय संघ ने भी अपने स्वयं के इंडो-पैसिफ़िक दिशानिर्देश और रणनीति जारी की है।
आईपीओआई के प्रभावी प्रोत्साहन और कार्यान्वयन की दिशा में, हम इस वर्ष के अंत में हम ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर के साथ संयुक्त रूप से आईयूयू मत्स्य पालन, समुद्री प्रदूषण विशेषकर समुद्री प्लास्टिक मलबा पर संगोष्ठी, समुद्री वन्यजीवों सहित प्रवासी वन्यजीव प्रजातियों के संरक्षण और अवैध तस्करी का सामना करने पर संगोष्ठी और सितंबर 2021 में समुद्री सुरक्षा सहयोग पर 5वां ईएएस सम्मेलन आयोजित करने की प्रक्रिया में हैं। हम भारत-प्रशांत क्षेत्र में एचएडीआर सहयोग पर दिशानिर्देश और क्षेत्र में खोज और बचाव के लिए एसओपी भी तैयार कर रहे हैं।
मित्रों,
हम आईपीओआई के साथ इन पहलों को समाभिरूपता पर आधार पर निर्मित करने और क्षेत्र की शांति और समृद्धि के लिए मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हम हाल ही में कोविड महामारी की दूसरी लहर के कठिन दौर से गुजरे हैं। कुछ ऐसे सबक और प्रथाएं हैं जो इस चुनौती से निपटने के समय हमारे सामने आए हैं जिनसे हम सभी सीख ले सकते हैं। मुझे उम्मीद है कि हम इस कठिन समय से निकलकर ‘न्यू नॉर्मल’ की ओर अग्रसर होंगें।
आईपीओआई को प्रभावी रूप से प्रोत्साहित करने और कार्यान्वयन के तरीकों व साधनों पर और संबंधित चुनौतियों पर विचार-विमर्श करने के लिए प्रबुद्ध मंडल, विशेषज्ञों और अन्य हितधारकों को एक साथ लाने के लिए वेबिनार एक अच्छा मंच है।
इन्हीं शब्दों के साथ मैं इस आयोजन के सफल होने की कामना करती हूं। मुझे विश्वास है कि इस आयोजन में होने वाली चर्चाओं से कुछ उपयोगी सुझाव और फीडबैक प्राप्त होंगे और जिनसे, बाद में आयोजित होने वाले आईपीओआई पर जिसमें हिंद-प्रशांत के विभिन्न देशों के प्रतिभागियों को आमंत्रित किया जाएगा, एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन हेतु आधारभूत कार्य करने में सुविधा प्राप्त होगी।
धन्यवाद!
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