कोरिया गणराज्य और फिलीपींस
के
वरिष्ठ संपादकों के प्रतिनिधिमंडल
की
आईसीडब्ल्यूए की यात्रा
पर इवेंट रिपोर्ट
सप्रू हाउस, नई दिल्ली
18 सितंबर, 2012
उद्घाटन टिप्पणी:श्री सर्वजीत चक्रवर्ती,आईसीडब्ल्यूए के उप महानिदेशक ने कोरिया गणराज्य और फिलीपींस के वरिष्ठ पत्रकारों का स्वागत किया। अपने प्रारंभिकभाषण में उन्होंने आईसीडब्ल्यूए की गतिविधियों का परिचय दिया। उन्होंने संस्थान के ऐतिहासिक महत्व और भारत की विदेश नीति में इसके वर्तमान महत्व पर भी प्रकाश डाल दिया।
अध्यक्षकी टिप्पणी
श्री जे. एस. सपरा, कोरिया गणराज्य और डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया (डीपीआरके) मेंपूर्व राजदूत श्री योगेंद्र कुमार, फिलीपींस में भारत के पूर्व राजदूत।
श्री सपरा ने नब्बे के दशक के शुरू से ही बढ़ते भारत-कोरिया गणराज्य संबंधों को रेखांकित किया। उन्होंने अपने द्विपक्षीय संबंधों को सुदृढ़करने में भारत की लुक ईस्ट नीति की भूमिका पर प्रकाश डाला और मार्च 2012 में भारतीय प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह की कोरिया गणराज्य यात्रा के महत्व को स्वीकार किया।
श्री योगेंद्र कुमार ने फिलीपींस में अपने समृद्ध अनुभव को साझा करते हुए रेखांकित किया कि भारत की लुक ईस्ट नीति के परिणामस्वरूप पिछले कुछ वर्षों में भारत-फिलीपींस के संबंध सुदृढ़हुए हैं । उनके अनुसार, दोनों देश स्वाभाविक साझेदार हैं क्योंकि वे लोकतंत्र, बाजार अर्थव्यवस्थाएं और बहुसांस्कृतिक समाज भी हैं। उन्होंने भारत में फिलीपींस के शीर्ष व्यापारिक घरानों के बढ़ते हितों पर भी प्रकाश डाला। फिलीपींस में चीनी उद्योग के पुनरुद्धार में भारतीय मशीनरी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
चर्चा चार प्रमुख मुद्दों के इर्द-गिर्द होतीरही
भारत-कोरिया संबंध
भारत-कोरिया संबंधों को उनके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संयोजनोंऔर भारत की लुक ईस्ट नीति के शुभारंभ से बल मिला है । कोरियाई युद्ध के दौरान भारत ने अहम भूमिका निभाई और युद्ध पीड़ितों को चिकित्सा सहायता भेजी। हालांकि शुरू में आर्थिक मुद्दों तक ही सीमित रहे द्विपक्षीय संबंधों ने अब दोनों देशों के साथ बहु-ध्रुवीय एशिया पर जोर देते हुए सामरिकताहासिल कर ली है । दोनों देशों ने 2010 में सामरिकसाझेदारी पर हस्ताक्षर किए लेकिन उनकी सामरिकसाझेदारी किसी तीसरे देश के विरूद्धनिर्देशित नहीं है। दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंध बढ़े हैं और उन्होंने 2014 तक 40 अरब अमेरिकी डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार लक्ष्य को हासिल करने का निर्णयलियाहै।
दोनों कोरिया के बीच संबंध
दोनों कोरिया के लोगों ने एकीकरण के लिए अपनी इच्छा व्यक्त की है लेकिन उनकी विभिन्न विचारधाराओं और राजनीतिक-आर्थिक प्रणालियों ने इसे रोका है । 2010के बाद से डीपीआरके और कोरिया गणराज्य के बीच संबंधों में गतिरोध बना हुआ है । कुछ लोग इस गतिरोध को कोरिया गणराज्य सरकार की नीति का परिणामदेखते हैं। कोरिया गणराज्य की ली मुंग बाक सरकार ने घोषणा की कि वह उत्तर कोरियाई प्रति व्यक्ति आय को 3000 अमेरिकी डॉलर तक बढ़ाएगी बशर्ते दक्षिण कोरिया अपनी अर्थव्यवस्था को मुक्त करता है और अपने परमाणु कार्यक्रम को समाप्त कर देता है। डीपीआरके ने इन सुझावों को लागू करने से इंकार कर दिया है।
एक राय यह भी व्यक्त की गई कि अंतर-कोरिया संबंध मुख्य रूप से अमेरिका-डीपीआरके संबंधों और छह दलों की वार्ता कीप्रगति पर निर्भर रहे हैं । वर्तमान में, कोरिया गणराज्य राजनीति संक्रमण में है और कुछ प्रगति के बाद देश छह महीने में अपने नए राष्ट्रपति का चुनाव देखा जा सकता है ।
भारत-फिलीपींस संबंध
समुद्री सुरक्षा और आतंकवाद का मुकाबला करने जैसे कई मुद्दों को लेकर दोनों देशों के बीच सामरिकहितों का तालमेल बढ़ रहा है। दोनों देशों ने फिलीपींस के राष्ट्रपति महामहिमग्लोरिया मैककागल अर्रोयो की यात्रा के दौरान कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए। प्रतिभागियों ने आशा व्यक्त कि फिलीपींस द्वारा भारत-आसियान एफटीए के अनुसमर्थन से आने वाले वर्षों में द्विपक्षीय आर्थिक संबंध बढ़ेंगे। यात्रा पर आए प्रतिनिधिमंडल ने भारत और फिलीपींस के बीच द्विपक्षीय आदान-प्रदान के महत्व को स्वीकार किया और समुद्री सुरक्षा में और सहयोग की आवश्यकताको रेखांकित किया।
यह भी रेखांकित किया गया कि हालांकि लुक ईस्ट नीति ने विभिन्न पहलुओं में भारत-फिलीपींस संबंधों को सुदृढ़किया था, लेकिन यह संबंधों में उसी स्तर की गति पैदा करने में विफल रहा जैसा कि उसने सिंगापुर, इंडोनेशिया,मलेशिया और अन्य के साथ भारत के संबंधों के मामले में किया था। यह देखा गया कि भूगोल ने भारत-फिलीपींस संबंधों के पूर्ण विकास को बाधित किया है क्योंकि परवर्ती प्रशांत में स्थितहै। दोनों पक्षों ने फिलीपींस और इसके विपरीत अध्ययन में भारत में अकादमिक हितों को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला ।
दक्षिण चीन सागर में हाल की घटनाओं पर भारतीय धारणा
भारत ने दक्षिण चीन सागर में हो रहे घटनाक्रमों को बहुत बारीकी से देखा है। इस बात पर प्रकाश डाला गया कि भारत इस विवाद के शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन करता रहता है और इस क्षेत्र में नौवहन की स्वतंत्रता में विश्वास करता है। प्रतिभागियों ने देखा कि दोनों देश सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में सहयोग विकसित कर अपने संबंधों को और सुदृढ़कर सकते हैं ।
रिपोर्ट: विभांशु शेखर,अध्येता हैं और सुधाकर वाडी शोध प्रशिक्षु आईसीडब्ल्यूए