'यूरोप, मध्य एशिया और अफ्रीका केपरिप्रेक्ष्य में अभिसरण निर्माण'
पर
श्री रिचर्ड बर्गे
सीईओ, विल्टन पार्क, ब्रिटेन
के साथ
गोल मेज चर्चा
पर इवेंट रिपोर्ट
सप्रू हाउस, नई दिल्ली
1 मई 2013
विश्व मामलों की भारतीय परिषद (आईसीडब्ल्यूए) ने 1 मई, 2013 को नई दिल्ली के सप्रू हाउस में विल्टन पार्क, यूनाइटेड किंगडम के सीईओ श्री रिचर्ड बर्गे के साथ ‘‘यूरोप, मध्य एशिया और अफ्रीका के परिप्रेक्ष्य में अभिसरण निर्माण’’विषय पर एक गोलमेज चर्चा का आयोजन किया। चर्चा की अध्यक्षता आईसीडब्ल्यूए के महानिदेशक राजदूत राजीव के. भाटिया ने की। राजदूत भाटिया ने श्री बर्गे और शोधकर्ता अध्येता और शिक्षाविदों को शामिल करते हुए दर्शकों का स्वागत किया।
राजदूत भाटिया ने अपने आरंभिक भाषण में कहा कि 21वीं सदी को पश्चिम से पूर्व में सत्ता के बदलाव से चिह्नित किया गया था। उन्होंने कहा कि वर्तमान वित्तीय संकट ने विश्वके मामलों में यूरोपीय प्रभाव को क्षीण कर दिया था, लेकिन यूरोप द्वारा बनाए गए मूल्यों और मानदंडों में अभी भी समकालीन विश्व राजनीति में बहुत प्रासंगिकता है। यूरोप अभी भी बहुपक्षीय संस्थानों की नीतियों और परिणामों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है । उन्होंने मध्य एशिया के भू-रणनीतिक और भू-आर्थिक महत्व और अफ्रीका के बढ़ते प्रोफाइल पर प्रकाश डाला । मध्य एशिया के ऊर्जा संसाधनों और सामरिकस्थान के विशाल भंडार ने भी भारतीय विदेश नीति में प्रमुखता प्राप्त की थी। उन्होंने कहा कि आईसीडब्ल्यूए और विल्टन पार्क को भविष्य में अनुसंधान और आउटरीच गतिविधियों में सहयोग करना चाहिए।
रिचर्ड बर्गे ने अपनी प्रस्तुति में अफ्रीका, मध्य एशिया और यूरोप में अभिसरण का निर्माण करने वाले मुख्य रूप से सुरक्षा और समृद्धि के कई मुद्दों का विश्लेषण किया। उन्होंने बताया कि आर्थिक विकास और सूचना प्रौद्योगिकी की सफलता ने एशिया के उदय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। तीनों क्षेत्रों में सुरक्षा, समृद्धि और लोगों के कल्याण के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि सुरक्षा के गैर-पारंपरिक पहलू राष्ट्रकेंद्रित सुरक्षा की पारंपरिक अवधारणा से अधिक महत्वपूर्ण हो गए हैं। उन्होंने दलील दी कि शीत युद्ध के बाद के दौर में देशों के बीच युद्ध या सशस्त्र संघर्षों में काफी कमीआई है, लेकिन गैर-राष्ट्रनेताओं की धमकियां अभूतपूर्व रूप से बढ़ी थीं जिसके परिणामस्वरूप आतंकवाद, विद्रोह और संगठित अपराध और उनके अंतरराष्ट्रीय संबंध थे।उन्होंने समाजिक समृद्धि और लोगों के कल्याण को बढ़ावा देने वाली मानव सुरक्षा की अवधारणा पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि ऊर्जा, खाद्य और जल सुरक्षा लोगों और समाज के कल्याण के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने मध्य एशिया और अफ्रीका में पानी और भोजन की समस्या पर प्रकाश डाला; अफ्रीका में भूख और खाद्य असुरक्षा व्यापक है। उन्होंने आगाह किया कि जल संसाधनों के लिए हाथापाई से संभावित रूप से मध्य एशियाई गणराज्यों के बीच संघर्ष हो सकता है। इस संदर्भ में, संसाधन सुरक्षा,मानव सुरक्षा चिंताओं को दूर करने की प्रक्रिया की कुंजी है ।
रिचर्ड बर्गे ने लोकतंत्रीकरण, शासन और विकास पर भी चर्चा की । उन्होंने राय दी कि भविष्य में ज्ञान ही अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का मूल होगा। अत:अनुसंधान एवं विकास, अग्रिम प्रौद्योगिकी, बौद्धिक समृद्धि अधिकारों की सुरक्षा (आईपीआर) को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। हालांकि, नवाचार और अनुसंधान के लिए आईपीआर की सुरक्षा आवश्यक है, लेकिन इसके लाभों के अनन्य वितरण के विरूद्धसामाजिक चिंताओं को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। एशिया और अफ्रीका में सामाजिक कल्याण के लिए सस्ती कीमत पर लोगों तक उन्नत प्रौद्योगिकी और दवा की अभिगम्यता की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि नकली दवाओं के व्यापार से प्रभावी ढंग से निपटा जाना चाहिए।उन्होंने सुझाव दिया कि वैश्विक स्तर पर संस्थागत सेटअप और कानूनी ढांचा प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण और अनुसंधान और विकास और तकनीकी नवाचारों के लाभों को सुगम बनाने के लिए अनुकूल होना चाहिए। श्री बर्ज ने कानून के शासन के मुद्दे पर जोर दिया । उन्होंने दलील दी कि 'कानून का शासन' शासन के गुणों अर्थात् पारदर्शिता, राजनीतिक व्यवस्था और व्यापार में जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए अभिन्न था। प्रभावी और कुशल शासन न केवल व्यापार को सुगम बनाएगा बल्कि अशांत क्षेत्रों में संघर्ष के संकल्पों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
उनकी प्रस्तुति के पश्चात प्रश्नोत्तर सत्र हुआ। मध्य एशिया में जल सुरक्षा और जातीय समस्याओं, अफ्रीका में हथियारों और ड्रग्स तस्करी, आर्कटिक में प्राकृतिक संसाधनों, नाटो के परिवर्तन, और जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा सुरक्षा और उनके संबंधों पर एशिया और यूरोप की स्थिति जैसे विभिन्न मुद्दे चर्चा की गई। श्री बर्ज ने कहा कि आजीविका और कृषि के लिए जल का प्रभावी और कुशल प्रबंधन सर्वोत्कृष्ट है। उनका मानना था कि एशिया और यूरोप को जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा, विशेष रूप से नवीकरणीय ऊर्जा पर सहयोग करना चाहिए । उन्होंने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि नाटो का परिवर्तन गैर-पारंपरिक सुरक्षा खतरों से निपटने के लिए महत्वपूर्ण है । राजदूत भाटिया ने अपने समापन भाषण में कहा कि चर्चाएं ज्ञानवर्धक हैं। उन्होंने दोहराया कि आईसीडब्ल्यूए और विल्टन पार्क को भविष्य में सहयोग के लिए नए रास्ते तलाशने चाहिए ।
रिपोर्ट: डॉ. डिनोज के उपाध्याय, अध्येता, विश्व मामलों की भारतीय परिषद