आईएएफएस-3 के अंतर्गत दूसरे आईसीडब्ल्यू भारत-अफ्रीका सम्मेलन
में
राजदूत नलिन सूरी
महानिदेशक
भारतीय विश्व मामले परिषद
द्वारा
प्रारंभिक टिप्पणियां
दार-अस-सलाम, तंजानिया
18 जनवरी, 2018
मुझे एक बहुत ही व्यक्तिगत नोट पर अपनी शुरुआती टिप्पणी शुरू करने की अनुमति दें। मुझे 1983 की शुरुआत से 1985 के अंत तक दार अस सलाम में भारत के उप उच्चायुक्त के रूप में सेवा करने का सौभाग्य मिला। जो दार अस सलाम आज मैं देख रहा हूं वह इससे काफी अलग था। आज का दार अस सलाम लगभग अपरिचित है। यह अफ्रीका के अधिकांश अन्य देशों के लिए भी सही है। 1960 के दशक के आरंभ से भारत इस आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तन का हिस्सा रहा है, और जिसका भारत तब तक एक हिस्सा बना रहेगा, जब तक हम अपने लोगों और राष्ट्रों के लिए शांति, स्थिरता, समृद्धि और सुरक्षा सुनिश्चित करने के अपने समान उद्देश्य को प्राप्त नहीं कर लेते।
26-29 अक्टूबर 2015 को नई दिल्ली में आयोजित तीसरे भारत-अफ्रीका फोरम शिखर सम्मेलन के बाद परिषद द्वारा इस महाद्वीप पर आयोजित इस दूसरे सम्मेलन में भाग लेने के लिए भारतीय विश्व परिषद के निमंत्रण को स्वीकार करने के लिए आप सभी का बहुत-बहुत स्वागत और धन्यवाद। हमारा पहला सम्मेलन 19-20 जनवरी 2017 से अक्रा में आयोजित किया गया था और प्रतिभागी कोटे डी इवोइरे, लाइबेरिया, सेनेगल, टोगो, सिएरा लियोन, नाइजीरिया, नाइजर, गिनी-बिसाऊ, बुर्का फासो, घाना, माली और मॉरिटानिया से आए थे। यह दूसरा सम्मेलन पूर्वी अफ्रीका समुदाय और दक्षिणी अफ्रीका विकास सहयोग देशों के प्रतिनिधियों को एक साथ लाता है।
हमें खुशी है कि हमारे पास अंगोला, केन्या, जिम्बाब्वे, मलावी, जांबिया, दक्षिण अफ्रीका, मोजाम्बिक, नामीबिया, मॉरीशस, स्वाजीलैंड, युगांडा, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, मेडागास्कर और हमारे मेजबान देश तंजानिया से प्रतिनिधि आए हैं। हम रवांडा, बोत्सवाना और सेशेल्स से जो हमारे सहयोगी यहां नहीं हैं हम उनको याद करते हैं।
इस अनुवर्ती सम्मेलन को आयोजित करने का उद्देश्य इस बात का जायजा लेना है कि तीसरे भारत-अफ्रीका फोरम शिखर सम्मेलन के बाद से अब तक क्या हुआ है;हमारे भागीदारों से यह समझना कि वे शिखर सम्मेलन में लिए गए निर्णयों के कार्यान्वयन में प्रगति का किस प्रकार अनुभव करते हैं; अब तक जो भी किया गया है, उस पर हम कितने अच्छे तरीके से आगे की प्रगति कर सकते हैं, इसके लिए कमियां क्या रही और उनके सुझाव क्या हैं, ताकि 2020 में चौथे शिखर सम्मेलन के समय तक अवसरों की कमी न रहे। इसका उद्देश्य यह भी है कि पिछले शिखर सम्मेलन के बाद से खोले गए नए रास्तों में आपसी लाभ के लिए हम कैसे सहयोग कर सकते हैं, इस संबंध में हमें नए विचार मिल सकें।
इस सम्मेलन के लिए, हमने सुरक्षा, स्थिरता और विकास के विषयों को चुना है। ये आपस में जुड़े हुए मुद्दे हैं जो आज के बहुत जटिल और खतरनाक विश्व के संदर्भ में विशेष रूप से बहुत महत्व रखते हैं। यह एक ऐसा विश्व है, जहां विविध केन्द्रापसारक ताकतें काम कर रही हैं, आतंकवाद, जो जाने का नाम नहीं लेता, से सुरक्षा पर जोखिम बढ़ रहा है, धार्मिक अतिवाद, कुछ प्रमुख देशों की अपने अंदर की ओर ही देखने की प्रवृत्ति ; और अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक, आर्थिक, सुरक्षा और वित्तीय संरचनामें सुधार नहीं हो पा रहा है। भारत और अफ्रीका की विशेष रूप से एक नई अंतर्राष्ट्रीय संरचना के निर्माण की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका है जो विकासशील देशों में विकास, शांति और स्थिरता पर विशेष रूप से ध्यान देता है जिसका उद्देश्य गरीबी को खत्म करना, धारणीय विकास सुनिश्चित करना और इस ग्रह को स्वच्छ बनाए रखना है।
यही कारण है कि हमारे नेताओं ने अक्टूबर 2015 में दिल्ली में रणनीतिक सहयोग के लिए एक रूपरेखा को अपनाया और उस रूपरेखा की विषयवस्तु को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया। इस संदर्भ में यह याद रखना होगा कि भारत के लिए,अफ्रीका का पूर्वी समुद्री तट विभिन्न दृष्टिकोणों से एक विशेष महत्व रखता है।
अगले दो दिनों के हमारे एजेंडे में पांच प्रमुख विषय शामिल हैं और हमने इनमें से प्रत्येक पर ध्यान केंद्रित करने का प्रयास किया है। जैसा कि मैंने शुरू में कहा था, हम इस सम्मेलन में भाग लेने वाले देशों के अपने सहयोगियों से इन पाँच विषयों पर उनका दृष्टिकोण जानना चाहते हैं, जिनमें से प्रत्येक में द्विपक्षीय स्तर पर न केवल हमारी भागीदारी बल्कि भारत-ईएसी और भारत-एसएडीसीकी भागीदारी को विकसित करने की भारी क्षमता है।
इससे पहले कि मैं अपनी बात पूरी करूं मैं प्रधान मंत्री मोदी ने अक्टूबर 2015 में तीसरे भारत-अफ्रीका फोरम शिखर सम्मेलन के समापन पर जो कहा, उसे मैं फिर से दोहराना चाहूंगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि अफ्रीका में हमारे सहयोगियों द्वारा दिखाई गई दोस्ती और विश्वास भारत के लिए बहुत गर्व और शक्ति का स्रोत है। उन्होंने कहा कि हमारी नियतिआपस में निकटता से जुड़ी हैं और हमारी आकांक्षाएं और चुनौतियां एक समान हैं। उन्होंने वादा किया था कि अफ्रीका भारत के ध्यान का केंद्र बना रहेगा और वास्तव में ऐसा ही हुआ है। हाल के वर्षों में अफ्रीका के साथ भारत की बातचीत गहन और नियमित रही है। भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधान मंत्री द्वारा दौरे किए जाने के अलावा भारत के विदेश मंत्रालय के राजनीतिक विस्तार के अंतर्गत अफ्रीकी महाद्वीप के सभी देशों में मंत्रिस्तरीय दौरे किए गए हैं। आने वाले वर्षों में इस पर और ध्यान दिया जाएगा। पिछले साल 26 जुलाई को भारतीय संसद को सूचित करते हुए, भारत की विदेश मंत्री ने दोहराया कि अफ्रीका के साथ विकास साझेदारी के लिए भारत का दृष्टिकोण दक्षिण-दक्षिण सहयोग, सशक्तीकरण, क्षमता निर्माण, मानव संसाधन विकास, भारतीय बाजार तक पहुंच और अफ्रीका में भारतीय निवेश के लिए सहायता के उद्देश्य से संचालित है।
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