एशिया प्रशांत में सुरक्षा सहयोग परिषद (सीएससीएपी-भारत समिति) की 1-3 नवंबर 1992 को सियोल में बैठक हुई जिसमें एशिया प्रशांत क्षेत्र के दस देशों (ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, इंडोनेशिया, जापान, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और संयुक्त राज्य अमेरिका) के लगभग दो दर्जन रणनीतिक अध्ययन केंद्रों के प्रतिनिधियों ने यह निर्णय लिया कि संवाद, परामर्श और सहयोग के माध्यम से क्षेत्रीय आत्मविश्वास निर्माण और क्षेत्रीय सुरक्षा संवर्धन के प्रयासों में योगदान करने के लिए 'एक गैर-सरकारी प्रकृति की और अधिक संरचित क्षेत्रीय प्रक्रिया' करने की आवश्यकता है। आगामी आठ माह में, एशिया प्रशांत क्षेत्र (सीएससीएपी) में सुरक्षा सहयोग के लिए परिषद की अवधारणा का सरकारी अधिकारियों और क्षेत्रीय सुरक्षा विश्लेषकों, दोनों के बीच, व्यापक प्रचार किया गया और 8 जून 1993 को कुआलालंपुर में हुई एक बैठक में औपचारिक रूप से सीएससीएपी की स्थापना के लिए समझौता किया गया। सीएससीएपी चार्टर को लोम्बोक, इंडोनेशिया में संचालन समिति प्रो टेम की एक बैठक में 16 दिसंबर 1993 को अपनाया गया। चार्टर में, तत्पश्चात अगस्त 1995 में संशोधन किया गया।
सीएससीएपी को 'एशिया प्रशांत सुरक्षा मामलों पर एक नियमित, केंद्रित और समावेशी गैर-सरकारी प्रक्रिया के लिए सर्वाधिक महत्वाकांक्षी प्रस्ताव' के रूप में वर्णित किया गया है। सीएससीएपी ने विगत कुछ वर्षों में काफी प्रगति की है। न्यूजीलैंड, रूस, उत्तर कोरिया, मंगोलिया और पश्चिमी यूरोपीय संघ, परिषद के पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल हो गए हैं और भारतीय रक्षा अध्ययन और विश्लेषण संस्थान (आईडीएसए) एसोसिएट सदस्य बन गया है। चीन जनलोकतंत्र और वियतनाम पूर्ण सदस्य के रूप में दिसंबर 1996 में शामिल हुए। यूरोपीय संघ जून 1994 में एसोसिएट सदस्य के रूप में शामिल हुआ और दिसंबर 1998 में उसे पूर्ण सदस्यता प्रदान की गई। भारत, दिसंबर 1994 में एसोसिएट सदस्य बना और जून 2000 में कुआलालंपुर में आयोजित सीएससीएपी संचालन समिति की बैठक में सर्वसम्मति से पूर्ण सदस्यता के लिए चुना गया।
इस बैठक के भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अध्यक्षता विदेश मंत्रालय के पूर्व सचिव श्री ए एन राम ने की। कंबोडिया और पापुआ न्यू गिनी को भी जून 2000 में पूर्ण सदस्यता दी गई। एशिया प्रशांत क्षेत्र के सभी प्रमुख देशों की सदस्य समितियों सहित, सीएससीएपी अब पहली बार आसियान क्षेत्रीय मंच (एआरएफ) के साथ अपने संबंधों को सुदृढ़ करने के लिए तत्पर है। सीएससीएपी गतिविधियों को एक संचालन समिति द्वारा निर्देशित किया जाता है जिसमे प्रत्येक सदस्य देशों में स्थापित व्यापक सदस्य-आधारित समितियों के प्रतिनिधि होते है। सीएससीएपी संचालन समिति की वर्ष में दो बैठक होती है - जून में कुआलालंपुर में और दिसंबर में अन्य सदस्य देशों में से किसी एक देश में। संचालन समिति की सह-अध्यक्षता एक आसियान सदस्य समिति के सदस्य और गैर-आसियान सदस्य समिति के सदस्य द्वारा की जाती है।
सीएससीएपी-भारत समिति : सीएससीएपी की अपनी पूर्ण सदस्यता के परिणामस्वरूप, भारत समिति जून 2000 में शुरू की गई। इसके कार्यकलापों में परिषद की सभी तकनीकी, विशेषज्ञ और कार्य समूह की बैठकों में भाग लेना शामिल है। इसके सदस्य कार्यक्रम आयोजित करने और गोलमेज चर्चा करने, व्याख्यान देने और पूरे भारत में विश्वविद्यालयों, विचार मंथन समूहों और अकादमिक संस्थानों के साथ कार्यक्रम और नेटवर्किंग करने में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं। आईसीडब्लूए, सीएससीएपी इंडिया समिति के सचिवालय के रूप में कार्य करता है। इसके सदस्य अकादमिक पत्रिकाओं में योगदान करते हैं और नियमित रूप से विभिन्न आयोजनों में व्याख्यान देते हैं।
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