8 जनवरी 2025 को, जमात नुसरत अल– इस्लाम वल– मुस्लिमीन (जेएनआईएम/JNIM) ने बेनिन के पार्क डब्ल्यू में एक अतिसुरक्षित सैन्य चौकी पर घातक हमला किया। हमले में बेनिन के कम– से–कम 28 सैनिकों की जान चली गई। जुलाई 2024 के हमले, जिसमें समूह ने मकरू नदी के पास 12 रेंजरों की हत्या कर दी थी, के बाद से यह अब तक का सबसे घातक हमला था। अक्टूबर 2024 में उत्तरी टोगो के फानेओरगोउ गांव के पास ऐसा ही एक क्रूर हमला किया गया था, इस हमले में छह सैनिकों की हत्या कर दी गई थी। इसी तरह, हालांकि घाना में सीधे–सीधे बड़े पैमाने पर कोई बड़ा हमला नहीं किया गया है लेकिन इसकी उत्तरी सीमाओं पर जेएनआईएम की बढ़ती उपस्थिति स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है।
ये घटनाएं खतरनाक प्रवृत्ति को उजागर करती हैं: तटीय पश्चिमी अफ्रीकी देश जो कभी सहेलियन उग्रवाद से मुक्त माने जाते थे, वे अब सहेलियन उग्रवाद के जाल में फंसते जा रहे हैं, विशेष रूप से जेएनआईएम जैसे आतंकी समूहों से। यह शोधपत्र टोगो, बेनिन और घाना में जेएनआईएम के विस्तार को समझने का प्रयास करता है। यह जेएनआईएम के ऐतिहासिक विकास पर फोकस करता है और उसके विस्तार के लिए उत्तरदायी कारकों एवं साहेल से पश्चिम अफ्रीका के तटीय राज्यों में उग्रवाद के फैलाव को रोकने में क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय सहयोग की भूमिका का पता लगाता है।
1. जेएनआईएम का विकास और निरंतर विस्तार
जमात नुसरत अल– इस्लाम वल– मुस्लिमीन (जेएनआईएम/JNIM) अल– कायदा की सहेलियन शाखा है, जिसका गठन मार्च 2017 में माली में पहले से मौजूद अनेक आतंकवादी समूहों को मिलाकर किया गया था। इन आतंकवादी समूहों में अंसार अल– दीन, अल– मुराबितुन, मैकिना लिबरेशन फ्रंट (एमएलएफ/MLF) और अल– कायदा इन द लैंड्स ऑफ इस्लामिक मगरीब (एक्यूआईएम/AQIM) शामिल हैं।[i] जेएनआईएम के गठन के इन समूहों को “एक बैनर, एक समूह और एक अमीर” नारे के तहत एकजुट किया।[ii] अंसार अल– दीन के नेता इयाद अग गली को समूह का अमीर बनाया गया जिससे गठबंधन को स्थानीय पहचान देने में मदद मिली। अल्जीरिया स्थित एक्यूआईएम से नेतृत्व को फुलानी, तुआरेग और अरब जैसे स्थानीय समुदायों के अलग– अलग प्रतिनिधियों को सौंपने से जेएनआईएम को अपने संघर्ष को रणनीतिक रूप से “स्थानीय” बनाने में मदद मिली है।[iii]
साल 2017 में माली में अपने गठन के बाद से, जेएनआईएम ने बुर्किना फ़ासो और नाइजर जैसे पड़ोसी देशों में अपना प्रभाव बढ़ाया है। माली में अपने शुरुआती फोकल प्वाइंट से आगे बढ़ते हुए, बुर्किना फ़ासो हाल के वर्षों में एक प्राथमिक युद्धक्षेत्र के रूप में उभरा है। साल 2021 से शुरू होकर, आतंकवाद से संबंधित मौतों की संख्या 6000 तक पहुँच गई है जो विश्व में आतंकवाद की वजह से हुई मौतों के आधे से भी अधिक है। बुर्किना फ़ासो में अकेले ही इस क्षेत्र में जिहादी– संबंधी हिंसा की लगभग 60% घटनाएं हुई हैं, 2023 से 2024 तक जिहादी गतिविधियों में 68 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, इनमें से अधिकांश घटनाओं के लिए जेएनआईएम ही जिम्मेदार है।[iv] साल 2020 और 2023 के बीच हिंसक घटनाओं में 50% से अधिक की वृद्धि हुई है, जिससे बीस लाख से अधिक लोग विस्थापित हुए है और विश्व के सबसे तेज़ी से बढ़ते मानवीय संकटों में एक पैदा हुआ।[v] बुर्किना फ़ासो की केंद्रीय स्थिति, कमज़ोर सरकारी नियंत्रण और अव्यवस्थित सुरक्षा व्यवस्था ने जेएनआईएम को परिचालन केंद्र बनाने और अपने प्रभाव को बढ़ाने में मदद की है। हालांकि, इन गतिविधियों का प्रभाव बुर्किना फ़ासो तक ही सीमित नहीं है। साल 2022 से, समूह ने दक्षिण की ओर लगातार कदम बढ़ाया है जिससे पड़ोसी तटीय देशों को खतरा है।
साल 2022 और 2024 के बीच, जेएनआईएम ने तटीय अफ्रीकी देशों में अपना प्रभाव लगातार बढ़ाया।[vi] टोगो, बेनिन और घाना में, जेएनआईएम के अभियान चिंताजनक रूप से बढ़ गए हैं। इन देशों में किए जाने वाले हमलों में 250% से अधिक का इज़ाफा हुआ है। साल 2022 में जहां हमलों की संख्या 21 थी वहीं 2024 में यह संख्या बढ़कर 53 हो गई, टोगो एवं बेनिन के पास सीमावर्ती क्षेत्रों में कई घटनाएं सामने आई हैं।[vii]
‘बेनिन', विशेष रूप से, बुर्किना फ़ासो से निकटता के कारण एक महत्वूप्ण लक्ष्य बन गया है। बेनिन में चरमपंथी हमलों की संख्या नाटकीय रूप से बढ़ी है, 2022 में 71 से बढ़कर 2023 में 171 तक, जो जेएनआईएम के बढ़ते आधार को रेखांकित करता है।[viii] इसी तरह, टोगो में भी आतंकवादी गतिविधियों में वृद्धि देखी गई, 2023 में 14 हमले दर्ज किए गए, जिसके कारण 66 मौते हुईं।[ix] इन हमलों का उद्देश्य टोगो की सीमा सुरक्षा को कमज़ोर करना और इसके सीमा– पार सहायता क्षेत्रों को मजबूर करना है। घाना में प्रत्यक्ष रूप से बडे पैमाने पर हमले नहीं हुए हैं। हालाँकि, जिहादी समूहों की मौजूदगी लगातार स्पष्ट होती जा रही है। जेएनआईएम उत्तरी घाना को रसद और चिकित्सा केंद्र के रूप में इस्तेमाल करने के लिए जाना जाता है,
जहाँ वे आपूर्ति सुरक्षित करते हैं और घायल लड़ाकों का इलाज करते हैं।[x]
बेनिन, टोगो और घाना में जेएनआईएम की बढ़ती मौजूदगी समूह की रणनीति में बदलाव का संकेत है। इस विस्तार से न केवल इन देशों की राजनीतिक व्यवस्थाओं में अस्थिरता का खतरा है, बल्कि आतंकवाद का क्षेत्र तट की ओर भी बढ़ रहा है।
2. तट की तरफ जेएनआईएम के विस्तार के पीछे कारण
जेएनआईएम का साहेल में अपने गढ़ से बेनिन, टोगो और घाना जैसे तटीय देशों की ओर विस्तार रणनीति में एक सुनियोजित बदलाव है जो साहेल में आंतरिक दबावों और तटीय देशों में बाहरी अवसरों से प्रेरित है। दक्षिण की ओर यह विस्तार समूह की क्षेत्र में बदलती गतिशीलता के अनुकूल होने की क्षमता को दर्शाता है, जिसमें अपने परंपरागत क्षेत्रों में दबाव बनाना और पड़ोसी देशों में मौज़ूद अवसर शामिल हैं।
जेएनआईएम के विस्तार के पीछे विभिन्न कारकों में से एक सहेल में बढ़ता सैन्य दबाव है। कैप्टन इब्राहिम ट्रोरे के नेतृत्व में बुर्किना फ़ासो के तीव्र सैन्य अभियानों समेत क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी प्रयासों ने जेएनआईएम की आपूर्ति लाइनों और परिचालन ठिकानों को बाधित किया है। जैसे, 2022 में बुर्किनाबे के “ऑपरेशन लाबिंगोल”[xi] ने जिबो और गोरोम– गोरोम में जेएनआईएम के ठिकानों को निशाना बनाया, जिससे सैंकड़ों लड़ाके विस्थापित हो गए और उन्हें कम सैन्यीकृत क्षेत्रों में शरण लेने के लिए विवश होना पड़ा।[xii] इसके अलावा, बढ़ते उग्रवाद के खतरे के जवाब में, बुर्किना फ़ासो ने “वालंटियर्स फॉर द डिफेंस ऑफ द फादरलैंड” (वीडीएफ/VDF), जिसने जिहादियों के खिलाफ लड़ाई में सेना की मदद के लिए 50,000 नागरिक रक्षा स्वयंसेवकों की भर्ती की।[xiii] इससे जेएनआईएम के लिए बुर्किना फ़ासो में अपने ठिकानों को बनाए रखना कठिन हो गया है और पड़ोसी देशों में सुरक्षित परिचालन ठिकानों की आवश्यकता हो गई है।
इसके साथ ही, विभिन्न उग्रवादी समूहों में से “इस्लामिक स्टेट इन द ग्रेटर सहारा” (आईएसजीएस/ISGS) जेएनआईएम का प्रमुख विरोधी बनकर उभरा है। आईएसजीएस ने साहेल के कुछ क्षेत्रों में अपना प्रभुत्व बढ़ाया है, जैसे कि नाइज़र का तिलाबेरी क्षेत्र, जो माली, बुर्किना फ़ासो और बेनिन को जोड़ने वाला त्रि–सीमा क्षेत्र है। इसने जेएनआईएम और आईएसजीएस के बीच प्रतिस्पर्धा को बढ़ा दिया है, जिसने जेएनआईएम को दक्षिण की ओर कम भीड़भाड़ वाले और अधिक असुरक्षित क्षेत्रों में विस्तार करने के लिए मजबूर किया।[xiv]
तिलाबेरी क्षेत्र (नाइज़र)। स्रोत– रिसर्चगेट [xv]
एक और महत्वपूर्ण प्रेरणा कारक साहेल में लंबे समय तक संघर्ष और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के परिणामस्वरूप होने वाला आर्थिक बोझ है। वर्षों के संघर्षों ने स्थानीय संसाधनों, जैसे चारागाह भूमि और जल बिन्दु को समाप्त कर दिया है जो जेएनआईएम के जबरन वसूली– आधारित राजस्व मॉडल के लिए आवश्यक हैं, जिसमें सुरक्षा के बदले स्थानीय समुदायों से पैसे की मांग करना शामिल है।[xvi] नतीजतन, तटीय पश्चिम अफ्रीका, अपने अपेक्षाकृत अप्रयुक्त संसाधनों और आर्थिक केंद्रों के साथ, जेएनआईएम के लिए एक आकर्षक विकल्प बन गया है।[xvii]
दूसरी ओर, कई रणनीतिक प्रोत्साहनों ने तटीय देशों को जेएनआईएम के लिए संभावित लक्ष्य बना दिया है। बुर्किना फ़ासो और इन देशों के बीच कमज़ोर सीमा विद्रोहियों के लिए अनियंत्रित स्थानों का लाभ उठाने का अवसर देती है। डब्ल्यू– अर्ली– पिंडजारी (W-Arly-Pindjari) जेएनआईएम के लिए एक संचालन आधार और ठिकाना बन गया है। इसके अतिरिक्त, तटीय देश आकर्षक आर्थिक लक्ष्यों जैसे व्यापार गलियारों और परिवहन मार्गों तक पहुँच प्रदान करते हैं। ये देश मोटरसाइकिल जैसे विभिन्न सामानों के लिए आपूर्ति या पारगमन क्षेत्र के रूप में काम करते हैं और उपभोग के लिए चोरी की गई वस्तुओं की बिक्री के माध्यम से वित्त के स्रोत के रूप में काम करते हैं।[xviii]
डब्ल्यू– अर्ली– पिंडजारी कॉम्प्लेक्स. स्रोत – विकिपीडिया [xix]
इसके अलावा, इन देशों में सामाजिक हाशिए पर होने की वजह से जेएनआईएम का विस्तार हुआ है। उदाहरण के लिए, उत्तरी बेनिन में, हाशिए पर पड़ा अटाकोरा क्षेत्र भर्ती के लिए उपजाऊ ज़मीन बन गया है क्योंकि जेएनआईएम केंद्र सरकार के खिलाफ स्थानीय शिकायतों का फायदा उठाने में सफल रहा है। [xx]
3. आतंकवाद के प्रति राष्ट्रीय और क्षेत्रीय प्रतिक्रिया
लंबे समय से, साहेल में चरमपंथी समूह अंतर– सामुदायिक कमियों का फायदा उठाकर सामाजिक मतभेद को बढ़ावा देते रहे हैं, सरकार में विश्वास को कमज़ोर करते रहे हैं और समर्थकों की भर्ती करते रहे हैं। इसलिए, यह समझना महत्वपूर्ण है कि तटीय देश जिहादी चरमपंथ का सामना कैसे कर रहे हैं।
बेनिन और टोगो ने इस खतरे पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है और अपने सहेलियन पड़ोसियों के समान ही दृष्टिकोण अपनाया है। उन्होंने गिरफ्तारी और अन्य दुर्व्यवहार जैसे उपायों पर विश्वास किया है। सख्त उपायों पर यह निर्भरता संघर्ष को बढ़ाने का जोखिम उठा सकती है जैसा कि बुर्किना फ़ासो, नाइज़र और माली में हुआ है।
हाल ही में आतंकवादी गतिविधियों में वृद्धि से बेनिन सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। प्रतिक्रिया के तौर पर, बेनिन ने सीमा क्षेत्रों का प्रबंधन करने के लिए एक एजेंसी “एजेंसी बेनिनोइस डे गेस्टियन इंटीग्री डेस एस्पेसेस फ्रंटलियर्स,” बनाई,[xxi] जिसका उद्देश्य सीमावर्ती समुदायों में सुरक्षा और विकास संबंधी चुनौतियों को एक साथ लाना है। हालांकि, कमज़ोर आबादी के साथ विश्वास बनाने के प्रयास सीमित रहे हैं और बढ़ते खतरों से निपटने के लिए धीमे रहे हैं। अपनी उत्तरी सीमाओं के पास बढ़ती आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए बेनिन ने 2022 में “ऑपरेशन मिराडोर” शुरू किया। ऑपरेशन के एक हिस्से के रूप में, समुदायों, सुरक्षा बलों और पार्क रेंजरों पर बढ़ते आतंकवादी इस्लामी हमलों का मुकाबला करने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में गश्त के लिए 3,000 सैनिकों को जुटाया गया है। ज़मीन पर खुफिया क्षमताओं को बेहतर बनाने के लिए 1,000 स्थानीय सैनिकों की भर्ती की गई है। [xxii]
बेनिन का सुरक्षा बल अफ्रीकन पार्क जैसे गैर–लाभकारी संगठनों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं, जो सार्वजनिक– निजी समझौते के तहत डब्ल्यू– अर्ली– पिंडजारी रिजर्व का प्रबंधन करते हैं। जुलाई 2023 में तख्तापलट के बाद नाइज़र में सैन्य जुंटा के सत्ता में आने के बाद, 2022 में नाइज़र और बेनिन के बीच हस्ताक्षरित सैन्य सहयोग समझौता जिसका उद्देश्य सीमा पार सुरक्षा में सुधार करना था, रुक गया है। इसी तरह, पार्क परिसर के लिए एकीकृत प्रबंधन और सुरक्षा संरचना बनाने पर चर्चा को रोक दिया गया है। हालांकि, सैन्य बलों की अचानक उपस्थिति ने स्थानीय समुदायों के बीच तनाव को बढ़ा दिया है। इन बलों द्वारा कठोर उपायों के इस्तेमाल ने स्थानीय समुदायों की सरकार के साथ शिकायतों को और गहरा कर दिया है।[xxiii] हालांकि, सैन्य बलों की अचानक मौजूदगी ने स्थानीय समुदायों के बीच तनाव को बढ़ा दिया है। इन बलों द्वारा कठोर उपायों के इस्तेमाल ने स्थानीय समुदायों की सरकार के साथ शिकायतों को और गहरा कर दिया है।[xxiv]
टोगो में, सरकार ने 2022 में अपने सबसे उत्तरी क्षेत्र में 26.6 मिलियन डॉलर का बहुक्षेत्रीय कार्यक्रम “प्रोग्राम डी'अर्जेंस पोर ले सवानेस (d’urgence pour les Savanes)” शुरू किया। यह कार्यक्रम स्थानीय सामाजिक– आर्थिक शिकायतों को दूर करने के प्रयासों और सैन्य उपायों का संयोजन था। वेस्ट अफ्रीका डेवलपमेंट बैंक ने इस कार्यक्रम को अतिरिक्त 50 मिलियन डॉलर का सहयोग दिया है जिसका उद्देश्य क्षेत्र में बुनियादी ढांचे, सामाजिक सेवा वितरण और आर्थिक लचीलेपन में सुधार करना है।[xxv] उत्तरी सीमाओं पर घुसपैठ में वृद्धि की रिपोर्ट ने 2022 के बाद आपातकाल की स्थिति पैदा कर दी है।[xxvi] इसके कारण उत्तरी टोगो में अधिक संख्या में सैनिकों की तैनाती की गई है। हालांकि, सख्त रणनीति के इस्तेमाल के कारण, ये उपाय सुरक्षा बलों और स्थानीय समुदायों के बीच तालमेल बनाने के उद्देश्य के लिए प्रतिकूल साबित हुए हैं।
घाना में, सरकार ने एक व्यापक विकेंद्रीकरण कार्यक्रम शुरू किया है। इसमें उत्तरी क्षेत्र में प्रशासनिक अधिकार क्षेत्र को पुनर्परिभाषित करना और सीमा सुरक्षा एवं खुफिया जानकारी में निवेश को बढ़ाना शामिल है। सरकार उन समुदायों की सुरक्षा के लिए भी काम कर रही है जहाँ चरमपंथी समूहों की मौजूदगी अधिक है और अंतर– सामुदायिक तनाव मौजूद हैं। घाना सरकार ने समुदायों के बीच अंतर– सामुदायिक तनाव को दूर करने के लिए काम किया है, जिससे उत्तरी क्षेत्र में हिंसा को कम करने में मदद मिली है। इन प्रयासों ने एक प्रभावी युद्ध रोकथाम रणनीति की व्यवहार्यता को प्रदर्शित किया है, जहाँ चरमपंथी समूह अपने लाभ के लिए सामाजिक–राजनीतिक कमियों का फायदा उठाते हैं।[xxvii]
व्यक्तिगत पहलों के अलावा, हिंसक उग्रवाद के सीमा पार प्रभावों ने क्षेत्र में समन्वित प्रतिक्रिया की आवस्यकता को जन्म दिया है। ईसीओडब्ल्यूएएस (ECOWAS) ने इस क्षेत्र में कई शांति अभियान चलाए हैं और अफ्रीकी संघ की शांति और सुरक्षा संरचना के हिस्से के रूप में “ECOWAS स्टैंडबाय फोर्स (ईएसएफ/ESF)” बनाया गया है। हालाँकि, हिंसा में वृद्धि ने हाल के वर्षों में अपनी सेनाओं को संगठित करने में असंख्य चुनौतियों को उजागर किया है।[xxviii]
इसके अलावा, अक्कारा पहल सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रीय सुरक्षा पहल है। इसे 2017 में पांच सदस्य देशों– बेनिन, बुर्किना फ़ासो, कोटे डी आइवर, घाना और टोगो के साथ शुरू किया गया था– हिंसक उग्रवाद के प्रसार का मुकाबला करने, आतंकवादी हमलों को रोकने और अपने क्षेत्र में अंतराष्ट्रीय संगठित अपराध को कम करने के लिए। साल 2020 में माली और नाइज़र भी इसमें शामिल हुए और नाइज़ीरिया ने अप्रैल 2022 से पर्यवेक्षक का दर्जा बनाए रखा है। अक्कारा पहल के तहत, कोडानलगऊ । और ।। जैसे ऑपरेशन किए गए। हालांकि, समन्वय चुनौतियों एवं सीमित संसाधनों ने महत्वपूर्ण परिणामों को प्राप्त करने में बाधा डाली है।[xxix]
निष्कर्ष
जेएनआईएम के रणनीतिक दक्षिण की ओर विस्तार के कारण बेनिन, टोगो और घाना जैसे तटीय पश्चिमी अफ्रीकी देश हिंसक उग्रवाद के केंद्र बन रहे हैं। इन देशों को सहेल के समान चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है जैसे कि कमज़ोर सीमाएं, अनियंत्रित क्षेत्र और देशों की सीमित उपस्थिति। टोगो, बेनिन और घाना ने विभिन्न पहलों के माध्यम से अपने आतंकवाद विरोधी प्रयासों को तेज़ किया है। बेनिन ने "ऑपरेशन मिराडोर" शुरू किया और सीमा प्रबंधन हेतु एक एजेंसी बनाई। इसी तरह, टोगो ने “प्रोग्राम डी'अर्जेंस पोर लेस सवेन्स” को लागू किया जिसमें सैन्य और विकास उपायों को एक साथ अपनाया गया। घाना के विकेंद्रीकरण कार्यक्रम और उत्तर में अंतर– सामुदायिक तनाव को दूर करने के प्रयासों ने चरमपंथी खतरे को कम करने की कोशिश की है। हालाँकि, इन तीव्र आतंकवाद विरोधी प्रयासों के बावजूद, साहेल और तटीय देशों में संरचनात्मक कमियां इस प्रसार को बढ़ावा दे रही हैं। क्षेत्रीय स्तर पर “अक्कारा पहल” और स्थानीय सुरक्षा कार्यक्रमों जैसी पहलों ने क्षमता दिखाई है फिर भी– संसाधनों की सीमाओं, सख्त रणनीति और अपर्याप्त सामुदायिक सहभागिता के कारण उनका प्रभाव सीमित रहा। ये चुनौतियाँ साहेल और तटीय देशों के बीच एक क्रॉस– लिटोरल कार्यक्रम की आवश्यकता को बताती हैं– एक ऐसा कार्यक्रम जो सहेल और तटीय देशों, दोनों में सुरक्षा संचालन को सामाजिक– आर्थिक विकास के साथ संतुलित करे। साहेल और तटीय देशों के लिए एक समन्वित और संदर्भ– संवेदनशील रणनीति चरमपंथ के मूल कारणों पर ध्यान देने और पूरे पश्चिम अफ्रीका में इसके प्रसार को रोकने के लिए महत्वपूर्ण है।
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*इंगले उत्कर्ष अजय , भारतीय वैश्विक परिषद, नई दिल्ली में शोध प्रशिक्षु हैं।
अस्वीकरण : यहां व्यक्त किए गए विचार निजी हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
अंत टिप्पण
[i] ‘Jamat Nusrat al-Islam wal-Muslimin’. National Counter Terrorism Centre. https://www.dni.gov/nctc/ftos/jnim_fto.html.
[ii] @MENASTREAM. X. Twitter. March 02, 2017. MENASTREAM on X: "Video with formalizing statement on the creation of 'Jama'a Nusrat ul-Islam wal-Muslimin' released "[under]one banner, one group, one emir" https://t.co/5k7HJUtni0" / X.
[iii] Alexander Thurston. ‘Jihadists of North Africa and the Sahel: Local Politics and Rebel Groups’. Cambridge University Press. https://www.cambridge.org/core/books/jihadists-of-north-africa-and-the-sahel/C1C391EC226A65858CCF45322879ED1B.
[iv] Global Terrorism Index 2024. Institute for Economics and Peace. https://www.economicsandpeace.org/wp-content/uploads/2024/02/GTI-2024-web-290224.pdf.
[v] ‘Burkina Faso: Upsurge in Atrocities by Islamist Armed Groups’. Human Rights Watch. June 15, 2023. https://www.hrw.org/news/2023/06/15/burkina-faso-upsurge-atrocities-islamist-armed-groups?form=MG0AV3.
[vi] Daniel Eizenga. ‘Recalibrating Coastal Africa’s Response to Violent Extremism’. Africa Centre for Strategic Centre. July 22, 2024. https://africacenter.org/publication/asb43en-recalibrating-multitiered-stabilization-strategy-coastal-west-africa-response-violent-extremism/#:~:text=A%20spike%20in%20militant%20Islamist,events%20over%20the%20same%20period.
[vii] R.Maxwell Bone. ‘Islamists Extremists are Threat to Ghana, Benin and Togo. Foreign Policy.
September 04, 2024. https://foreignpolicy.com/2024/09/04/ghana-togo-benin-burkina-faso-jihadists-jnim/.
[viii] Ibid.
[ix] Ibid.
[x] 'In Ghana, Sahel jihadis find refuge and supplies, sources say'. Reuters. October 26, 2024. https://www.reuters.com/world/africa/ghana-sahel-jihadis-find-refuge-supplies-sources-say-2024-10-24/
[xi]Operation Laabingol. Wikipedia. https://en.wikipedia.org/wiki/Operation_Laabingol?form=MG0AV3
[xii] Doukhan, David. JNIM (Jama’at Nusrat ul-Islam wal-Muslimin) Continues to Expand in Mali and Burkina Faso. International Institute of Counter Terrorism. https://ict.org.il/wp-content/uploads/2024/03/Doukhan_JNIM-Jamaa-Nusrat-ul-Islam-wa-al-Muslimin-continues-to-expand-in-Mali-and-Burkina-Faso_2024_16_01.pdf.
[xiii] 'Volunteers for the Defense of the Homeland (VDP)'. ACLED. https://acleddata.com/2024/03/26/actor-profile-volunteers-for-the-defense-of-the-homeland-vdp/.
[xiv] 'Newly restructured, the Islamic State in the Sahel aims for regional expansion'. ACLED. https://acleddata.com/2024/09/30/newly-restructured-the-islamic-state-in-the-sahel-aims-for-regional-expansion/?form=MG0AV3.
[xv] Toudou-Daouda, Moussa. ResearchGate. https://www.researchgate.net/profile/Moussa-Toudou-Daouda/publication/322643786/figure/fig1/AS:616052228620292[at]1523889705915/The-neighboring-countries-of-Niger-and-the-different-regions-of-the-country-which-are.png.
[xvi] Eizenga, Daniel and Williams, WenDy. 'The Puzzle of JNIM and Militant Islamist Groups in the Sahel'. Africa center for strategic studies. https://africacenter.org/wp-content/uploads/2020/11/ASB-38-EN.pdf?form=MG0AV3.
[xvii] 'Non State Armed Groups and Illicit Economies in West Africa'. ACLED. https://acleddata.com/acleddatanew/wp-content/uploads/2023/10/JNIM-Non-state-armed-groups-and-illicit-economiesin-wWest-Africa-GI-TOC-ACLED-October-2023.pdf.
[xviii] Adf. ‘Motorbike trafficking drives instability throughout the Sahel’. Africa Defense Forum’. October 31, 2023. https://adf-magazine.com/2023/10/motorbike-trafficking-drives-instability-throughout-the-sahel/?form=MG0AV3.
[xix] Rom, Greor. Wikipedia. https://en.wikipedia.org/wiki/W-Arly-Pendjari_Complex#/media/File:WAP-Komplex_englisch.svg.
[xx] Explaining JNIM expansion into Benin. Clingendael Report. https://www.clingendael.org/pub/2022/conflict-in-the-penta-border-area/3-explaining-jnim-expansion-into-benin/?form=MG0AV3.
[xxi] Agence Béninoise de Gestion Intégrée des Espaces Frontaliers. https://www.developmentaid.org/donors/view/471017/agence-beninoise-de-gestion-integree-des-espaces-frontaliers?form=MG0AV3.
[xxii] ‘Benin Boosts Military Presence in North to Stop Cross-Border Attacks’. Africa Defence Forum. July 26, 2022. https://adf-magazine.com/2022/07/benin-boosts-military-presence-in-north-to-stop-cross-border-attacks/.
[xxiii] Eizenga, Daniel and Gnanguênon, Amandine. ‘Recalibrating Coastal West Africa’s Response to Violent Extremism’. Africa center for strategic studies. https://africacenter.org/publication/asb43en-recalibrating-multitiered-stabilization-strategy-coastal-west-africa-response-violent-extremism/.
[xxiv] Lemmi, Davide & Simoncelli, Marco. 'Benin Is the New Jihadist Front in Africa'. https://pulitzercenter.org/stories/benin-new-jihadist-front-africa.
[xxv] Eizenga, Daniel and Gnanguênon, Amandine. ‘Recalibrating Coastal West Africa’s Response to Violent Extremism’. Africa center for strategic studies. https://africacenter.org/publication/asb43en-recalibrating-multitiered-stabilization-strategy-coastal-west-africa-response-violent-extremism/.
[xxvi] africanews. 'Togo declares state of security emergency in the north'. africanews. June 14, 2022. https://www.africanews.com/2022/06/14/togo-declares-state-of-security-emergency-in-the-north/?form=MG0AV3.
[xxvii] Eizenga, Daniel and Gnanguênon, Amandine. 'Recalibrating Coastal West Africa’s Response to Violent Extremism'. Africa center for strategic studies. https://africacenter.org/publication/asb43en-recalibrating-multitiered-stabilization-strategy-coastal-west-africa-response-violent-extremism/.
[xxviii] Kohnert, Dirk. 'ECOWAS, once an assertive power in West Africa, reduced to a paper tiger?’ https://mpra.ub.uni-muenchen.de/118241/.
[xxix] ADF. 'Accra Initiative Takes Aim at Extremism’s Spread'. Africa Defence Forum. December 13, 2022. https://adf-magazine.com/2022/12/accra-initiative-takes-aim-at-extremisms-spread/.