नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहाल ‘प्रचंड’ ने अगस्त माह में प्रधानमंत्री चुने जाने के बाद अपनी पहली आधिकारिक विदेश यात्रा के लिए भारत को चुना। प्रधानमंत्री प्रचंड भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के न्योते पर १५ सितम्बर को भारत की चार दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर रहे। विदेश मंत्रालय के अनुसार प्रधानमंत्री दहाल अपनी पत्नी सीता दहाल के साथ भारत आये तथा उनके साथ ४२ सरकारी अधिकारी गण तथा ७६ सदस्य वाणिज्यिक समूहों और मीडियाकर्मियों के लोग भी शामिल थे। इंदिरा गाँधी अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे पर उन्हें लेने स्वयं विदेश मंत्री सुषमा स्वराज गयी और उनका स्वागत किया।1
भारत यात्रा से पूर्व प्रधानमंत्री दहाल ने काठमांडू में एक सर्वदलीय बैठक का आयोजन किया जिसमे उन्होंने सभी दलों से इस यात्रा को लेकर विचार विमर्श किया। जहाँ यह कहा गया कि इस यात्रा में पिछले समझौतों के क्रियान्वयन और वर्तमान परियोजनाओं के कार्य में तीव्रता लाना ही मुख्य उद्देश्य होना चाहिए। प्रधानमंत्री दहाल ने इस बैठक में कहा कि वे भारतीय नेताओं से इस मुद्दे पर बात करेंगे कि पिछले समझौतों के विकास में कैसे तीव्रता लायी जाये इसके अतिरिक्त पंचेश्वर प्रोजेक्ट, पोस्टल प्रोजेक्ट, गौरीफांटा प्रोजेक्ट और उर्जा व्यापार सम्बन्धी मुद्दों पर भी बातचीत होगी। वही दूसरी तरफ एमाले ने एक ६ बिन्दुओं वाला ज्ञापन प्रधानमंत्री को सौपा जिसमे कहा गया कि प्रधानमंत्री इस यात्रा के दौरान ऐसा कृत्य या करार न करे जिससे देश की गरिमा, आत्म सम्मान और हितों को ठेस पहुंचे। वही मधेशी नेताओं ने प्रधानमंत्री की भारत यात्रा से पहले संविधान संशोधन बिल संसद में पेश करने की मांग की। लेकिन सद्भावना पार्टी के नेता राजेन्द्र महतो ने कहा कि इस बिल का प्रधानमंत्री यात्रा से कोई सम्बन्ध नहीं उन्हें दोनों देशों के मध्य विश्वास को दृढ करने पर ध्यान देना चाहिए।2 नेपाल से रवाना होते समय प्रचंड ने कहा कि यह यात्रा दोनों देशों के मध्य अविश्वास की खाई को पाटकर आपसी विश्वास को गहरा करेगी एवं पारस्परिक लाभ में वृद्धि के साथ साथ दोनों देशो के द्विपक्षीय संबंधों को इससे प्रगाढ़ता मिलेगी।3
प्रधानमंत्री दहाल के भारत जाने के एक ही दिन बाद पूर्व प्रधानमंत्री और एमाले अध्यक्ष केपी शर्मा ओली ने प्रधानमंत्री की भारत यात्रा पर सवाल उठाये। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री बनने के एक माह के भीतर ही प्रचंड भारत यात्रा क्यों कर रहे है? उन्होंने अपने विशेष दूतों को दोनों देश (भारत और चीन) क्यों भेजा? इस उद्देश्य के पीछे क्या एजेंडा है? उन्होंने माओवादी केंद्र के नेताओं पर आरोप लगाया कि वे सत्ता में आने के बाद देश की अखंडता के विरुद्ध षड्यंत्र रच रहे है। उन्होंने आड़े हाथ भारत को लेते हुए कहा कि हमारा संविधान ९२ प्रतिशत संवैधानिक सभा के सदस्यों से पारित किया गया जबकि भारत का संविधान संवैधानिक सभा के ६५ प्रतिशत सदस्यों से ही पारित हुआ, ऐसे में हमारा संविधान सभी को स्वीकार्य क्यों नहीं है।4
नेपाल प्रधानमंत्री दहाल ने १५ सितम्बर को शाम को भारत स्थित नेपाल दूतावास में एक समाहरोह में शिरकत की। जहाँ उन्होंने कई भारतीय नेताओं से मुलाकात की, जिनमे शरद यादव, डीपी त्रिपाठी, सीताराम येचुरी तथा नीतीश कुमार शामिल थे। नेताओं से महत्वपूर्ण मुद्दों पर बातचीत करने के बाद प्रधानमंत्री दहाल ने नेपाली प्रवासियों को भी संबोधित किया। उन्होंने प्रवासी नेपाली मजदूरों की समस्याओं का समाधान करने का आश्वासन दिया।5
१६ सितम्बर को नेपाल प्रधानमंत्री दहाल और भारतीय प्रधानमंत्री मोदी ने हैदराबाद हाउस में मुलाकात की। इस बैठक दौरान कई अहम् द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत हुई। सर्वप्रथम प्रधानमंत्री मोदी ने नेपाल में लोकतान्त्रिक संस्थाओं को मजबूत करने करने के लिए नेपाली प्रधानमंत्री को बधाईयाँ दी। उन्होंने संयुक्त प्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि “आप नेपाल में शांति लाने की उत्प्रेरक शक्ति है, मुझे विश्वास है कि आपके नेतृत्व में संविधान क्रियान्वयन का कार्य सफलतापूर्वक होगा तथा आपके विविधताओं वाले समाज के प्रत्येक वर्ग की इच्छाओं को ध्यान में रखते हुए संवाद के जरिये आप इस कार्य को पूर्ण करेंगे। दोनों देशों के द्विपक्षीय सहयोग पर बात करते हुए मोदी ने कहा कि आपकी यह यात्रा समयानुसार है और मुझे विश्वास है कि हमारी यह बातचीत हमारे ऐतिहासिक रिश्तों को प्रगाढ़ता प्रदान करेगी। नेपाल प्रधानमंत्री प्रचंड ने नेपाल के संविधान पर बोलते हुए कहा कि विगत वर्ष लोकप्रिय चुनी हुई संवैधानिक सभा द्वारा हमारा संविधान उद्घोषित हुआ था, यह नेपाल के लोगों के लिए एतिहासिक उपलब्धि है। उन्होंने आगे कहा कि हमारी सरकार सभी को एक मंच पर लाना चाहती है और संविधान के क्रियान्वयन में प्रयासरत है।6 संयुक्त प्रेस से पहले प्रचंड और मोदी ने एक दूसरे के साथ अकेले में लगभग एक घंटे बातचीत की, जिसमे दोनों देशों के राजनितिक, आर्थिक, सामजिक और सांस्कृतिक रिश्तों पर चर्चा हुई।
नेपाल और भारत के मध्य इस दौरान तीन विज्ञप्ति समझौतों पर हस्ताक्षर हुए- प्रथम, तराई क्षेत्र में पोस्टल हाई वे का निर्माण तथा भूकंप से क्षतिग्रस्त आधारभूत संरचना का निर्माण (इसके लिए भारत ने ७५० मिलियन अमेरिकी डॉलर का ऋण दिया), दूसरा और तीसरा समझौता एक्जिम बैंक ऑफ इंडिया से सम्बंधित है (इसके लिए भारत ने १ बिलियन अमेरिकी डॉलर ऋण दिया है)। इन सभी समझौतों पर दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों की उपस्थिति में विदेश सचिवों ने हस्ताक्षर किये। इसके अतिरिक्त शुक्रवार की रात दोनों देशों के मध्य २५ बिंदु का जॉइंट कामिनिक्यु जारी किया गया। यद्यपि ओली पक्ष द्वारा इसका विरोध किया गया। ओली ने कहा कि यह हमारे देश स्वतंत्रता को कमतर आंकता है और इससे केवल भारत की बात ही प्रबल होती दिखती है वही नेपाली सरकार यहं झुकती हुई नजर आती है।
भारत यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री प्रचंड ने हिमाचल प्रदेश के झाकरी हाइड्रो पावर का निरीक्षण किया तथा इसके अतिरिक्त उन्होंने हरिद्वार में पतंजलि योगपीठ के उत्पादों का मुआयना भी किया। इस यात्रा के दौरान नेपाल के प्रधानमंत्री भारत के गृहमंत्री राजनाथ सिंह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत दोबाल से भी मिले।
नेपाली मीडिया तथा प्रचंड की भारत यात्रा-
नेपाली मीडिया में प्रचंड की भारत यात्रा का विश्लेषण करे तो हम देखते है कि नेपाल के अंग्रेजी, नेपाली और हिंदी अखबारों में आंशिक रूप से राय अलग थी लेकिन मोटे तौर पर एक जैसी ही थी। सर्वप्रथम अंग्रेजी अखबार जैसे द हिमालयन टाइम्स, द राइजिंग नेपाल, कांतिपुर आदि की टिप्पणियाँ एक जैसी ही रही। द राइजिंग नेपाल ने अपने मुखपृष्ठ पर एक सफल यात्रा के रूप में प्रदर्शित किया। इस अखबार ने दोनों प्रधानमंत्रियों की भेंट को विस्तृत रूप से लिखा इसके अलावा दोनों देशों के मध्य हुए समझौतों का भी खुलकर जिक्र किया साथ ही साथ भारत द्वारा नेपाल की पिछली परियोजनाओं के लिए ऋण और उनके विकास पर हुई बातचीत का भी विस्तार से वर्णन किया गया।
नयाँ पत्रिका, हिमाल खबर, हिमाल, नेपाली समाचार, कान्तिपुर आदि में प्रमुख विपक्षी दल एमाले द्वारा प्रचंड की भारत यात्रा पर प्रतिक्रिया गौर करने लायक है। नयाँ पत्रिका अखबार ने इस यात्रा के कुछ पहलुओं को नकारात्मक ढंग से प्रस्तुत किया। इस अखबार ने नेपाल के संविधान से सम्बंधित दोनों प्रधानमंत्रियों के बयानों को अलग अलग बाक्स में डाल कर प्रदर्शित किया जहाँ प्रधानमंत्री मोदी समावेशी संविधान की बात कर रहे है वही प्रधानमंत्री प्रचंड द्वारा नेपाल के संविधान को घोषणा को एतिहासिक बताने वाले ब्यान को प्रमुखता दी गयी। दूसरी बात इस अखबार ने प्रचंड और मोदी की एक दूसरे के साथ अकेले में एक घंटे बात करने वाले मुद्दे को भी संशय की द्रष्टि से देखने की कोशिश की है। इस बातचीत को नेपाल की गरिमा और आत्म सम्मान से जोड़कर देखने का प्रयास किया है। इस अखबार ने इस यात्रा से सम्बंधित एक खबर छापी जिसका शीर्षक था ‘प्रधानमंत्री ने नेपाल का सिर झुकाया’7, यहाँ लिखा गया कि एमाले के नेतागण भारत और नेपाल सरकार द्वारा जारी किये गये २५ बिंदु जॉइंट कामिनिक्यु का विरोध कर रहे है। उनका मानना है कि ऐसा करके प्रधानमंत्री प्रचंड ने अपने आपको भारत के प्रति समर्पित कर दिया है। इस अखबार के मुखपृष्ठ पर प्रचंड और मोदी की भेंट के बाद दूसरे दिन जो खबर आई उसका शीर्षक था ‘संविधान जारी होने के एक साल बाद भारत ने स्वागत किया’, यद्यपि वर्तमान समय में इसे सकारात्मक रूप से सोचा जा सकता है परन्तु विगत समय के अनुसार सोचे तो लगता है कि भारत ने पहले (संविधान घोषित होने पर) अपमान किया था।
हिमाल खबर अखबार ने इस यात्रा पर टिप्पणी करते हुए नेपाल प्रधानमंत्री की दुविधा का जिक्र किया कि उन्होंने अपने पिछले कार्यकाल में पहले चीन की यात्रा की पर अब वे भारत को संतुष्ट करने के लिए प्रधानमंत्री बनने के तुरंत बाद भारत की यात्रा करना और दोनों देशो (भारत और चीन) में अपने विशेष दूत भेजना आदि उनकी दुविधा प्रदर्शित करता है। हिमाल ने इस यात्रा की पृष्ठभूमि के रूप दोनों देशों के संबंधो का जिक्र किया और भारत के बिग ब्रदर दृष्टिकोण का उल्लेख किया।
मधेश क्षेत्र में चलने वाले हिंदी अखबार हिमालिनी ने इस यात्रा पर ज्यादा नहीं छापा पर संविधान संशोधन की बात को ज्यादा महत्व दिया।
निष्कर्षतः, नेपाल में अनवरत चल रही राजनितिक अस्थिरता और भारत के साथ संबंधों में चलते उतार चढाव के परिदृश्य में प्रचंड की भारत यात्रा दोनों देशों के संबंधों को मधुर करने और भारत को विश्वास में लेने का प्रयास प्रदर्शित करती है। ओली के प्रधानमंत्री पद छोड़ने के बाद नेपाल के परिवर्तित नेतृत्व का तुरंत भारत की यात्रा पर आना द्विपक्षीय रिश्तों के लिए शुभ संकेत है लेकिन मधेशियों की मांगों को पूरा करने के लिए संविधान में संशोधन करना प्रचंड की सर्वोपरि जिम्मेदारी है और महत्वपूर्ण चुनौती भी। इस यात्रा के दौरान भी भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने समावेशी संविधान का जिक्र करके इस बारे में संकेत दिया था। दोनों देशों के मध्य हुए समझौतों और पिछली परियोजनाओं के लिए भारत द्वारा जारी ऋण और सहायता दोनों देशों के मध्य प्रगाढ़ता लाते है। पिछले वर्ष नाकेबंदी के बाद से नेपाल के विदेश मंत्री निरंतर भारत आते रहे है और मार्च महीने में ओली के बाद नेपाल प्रधानमंत्री प्रचंड ने भी भारत की यात्रा की, जो कि मधेश मुद्दे पर भारत को सतुष्ट करने के प्रयासों की श्रृंखला लगती है। लेकिन अब प्रचंड का प्रधानमंत्री बना रहना और भारत के साथ आगे भी मधुर रिश्ते बनाये रखना अभी इस बात पर निर्भर करता है कि वे संविधान में संशोधन कब और कैसे कर रहे है, जैसा कि उन्होंने इस कार्य को करने के लिए मध्य अक्टूबर माह की बात कही है, लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री ओली जो कि अब विरोधी हो चुके है और वे संशोधन के पक्ष में नहीं हैं, अतः प्रचंड के सामने चुनौतियों की कमी नहीं है।
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* लेखक, शोध अध्येता, विश्व मामलों की भारतीय परिषद्, सप्रू हाउस, नई दिल्ली
व्यक्त विचार शोधकर्ता के हैं, परिषद के नहीं.
1 “Prime Minister Prachnda welcomed in New Delhi” The Rising Nepal, 15 September 2016,
http://therisingnepal.org.np/epaper/showimage?img=uploads/epaper/2016-09-16/c5409447a2d94ca01f3416a3892a4c96.jpg
2 Ram Kumar Kmat, “PM embarks on India trip tomorrow”, The Himalayan Times, 13 September 2016,
http://epaper.thehimalayantimes.com/index.php?pagedate=2016-9-14&edcode=71&subcode=71&mod=1&pgnum=2#
3 Yogesh Pokharel, “Visit to focus on mutual benefits” The Rising Nepal, 14 September 2016,
http://therisingnepal.org.np/epaper/showimage?img=uploads/epaper/2016-09-15/7cdc036b87c0a3a8d9611f39688ee520.jpg
4 “Oli questions relevance of PM’s visit”, The Rising Nepal, 15 September 2016,
http://therisingnepal.org.np/epaper/showimage?img=uploads/epaper/2016-09-16/c391d77b1e62bba543a573b4e49204c0.jpg
5 Nandlal Tiwari, “Prime Minister Prachanda welcomed in new delhi” The Rising Nepal, 15 September 2016,
http://therisingnepal.org.np/epaper/showimage?img=uploads/epaper/2016-09-16/c5409447a2d94ca01f3416a3892a4c96.jpg
6 “Modi credits dahal with strengthening democracy”, The Himalayan Times, 17 September 2016,
http://epaper.thehimalayantimes.com/index.php?pagedate=2016-9-17&edcode=71&subcode=71&mod=1&pgnum=2
7 रोहितराज पराजुली, “प्रधान्मंत्रिले नेपाल को शिर झुकाए”, नयाँ पत्रिका, १९ सितम्बर २०१६,
http://www.enayapatrika.com/enayapatrika.com/ep/sep-19/