अफ़ग़ानिस्तान में अभी तक शांति तथा स्थिरता बहाल नहीं हो पाई है। कई वर्षों तक सेना की मौजूदगी, अरबों डॉलर का खर्च तथा बड़ी ताकतों के प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से अफ़ग़ानिस्तान में शामिल होने के बावजूद सीमित असर ही सामने आ पाया है। ऐसा लगता है कि अफ़ग़ानिस्तान में संलग्न सैन्य शक्तियों के ज़रिये किये जा रहे पुनर्निर्माण तथा विकास कार्य को आम जनता का कम समर्थन प्राप्त हुआ है। इसका मुख्य कारण परियोजनाओं का चयन तथा उनके कार्यान्वयन के प्रति सैन्य शक्तियों का दृष्टिकोण हो सकता है, जो कि मुख्य रूप से सुरक्षा केन्द्रित एवं बाह्य निर्देशित होता है। दूसरी ओर स्वयं अफ़ग़ानिस्तान द्वारा चयनित तथा क्षेत्रीय देशों, जैसे कि भारत द्वारा समर्थित परियोजनाओं को अफ़ग़ान जनता से भारी समर्थन प्राप्त हो रहा है। इसने क्षेत्रीय हित-धारकों को अफ़ग़ान केन्द्रित कई पहल करने के लिए उत्प्रेरित किया है।
अफ़ग़ानिस्तान तथा इसके समीप के क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण राजनीतिक, आर्थिक व सुरक्षात्मक परिवर्तन हो रहे हैं। इसी संदर्भ में ‘हार्ट ऑफ एशिया-इस्तांबुल प्रोसेस’ (HoA-IP), एक क्षेत्रीय पहल के रूप में काफी महत्त्वपूर्ण हो गया है। HoA-IP क्षेत्र के विभिन्न देशों से विचार-विमर्श करता है तथा उन्हें विभिन्न चुनौतियों का हल तलाशने के लिए उत्प्रेरित करता है। ध्यान ये रखा जाता है कि ये समाधान अफ़ग़ानिस्तान के आर्थिक विकास से जुड़े हों। HoA-IP का लक्ष्य अफ़ग़ानिस्तान में शांति व स्थिरता लाना, तथा निवेश में वृद्धि कर पुनर्निर्माण की प्रक्रिया तेज करना है।
अब तक HoA-IP के छह मंत्री स्तरीय सम्मेलन हो चुके हैं। मंत्री स्तर सम्मलेन नीति-निधारकों की सबसे महत्त्वपूर्ण संस्था है। छठा सम्मेलन भारत के अमृतसर में 4 दिसम्बर 2016 को सम्पन्न हुआ। ये आलेख अफ़ग़ानिस्तान के विकास में HoA-IP के क्षेत्रीय पहल का मूल्यांकन करेगा तथा अंतिम सम्मेलन में इससे जुड़े निर्णयों का आकलन करेगा। ये आलेख HoA-IP के सदस्य देशों के बीच कुछ संभावित क्षेत्रों में राजनीतिक तथा आर्थिक समन्वय को बढ़ावा देने से जुड़े सलाह भी देगा (तालिका-A देखें)।
‘हार्ट ऑफ एशिया’ नेतृत्व
अफ़ग़ानिस्तान 19वीं तथा 20वीं सदी में अपनी भौगोलिक-राजनीतिक स्थिति के कारण साम्राज्यवादी ताकतों के लिए महत्त्वपूर्ण था, तथा शीत युद्ध के दौरान पावर ब्लॉक की राजनीति से प्रभावित रहा। पूरे समय विभिन्न नकारात्मक राजनीतिक तथा वैचारिक प्रभावों में देश की अंदरूनी राजनीति, सुरक्षा तथा अर्थव्यवस्था लगातार अस्त-व्यस्त रही।
21वीं सदी शुरु होते ही अफ़ग़ानिस्तान को एक तथा युद्ध का सामना करना पड़ा। 9/11 हमलों के बाद अमेरिका ने सितम्बर 2001 में तालिबान के ख़िलाफ़ सैन्य अभियान शुरु कर दिया, जो उस वक्त अफ़ग़ानिस्तान में सत्तासीन थे।
हालांकि विदेशी सेना के अभियान के बाद अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान शासन का अंत हो गया, लेकिन इससे अफ़ग़ान समस्या का समाधान नहीं हुआ। अफ़ग़ानिस्तान में वर्षों युद्ध की त्रासदी झेलने के कारण विदेशी सैन्य ताकतों को अफ़ग़ान जनता का समर्थन खत्म हो गया। युद्ध के कारण उनके आर्थिक संसाधन भी कमजोर पड़ गए। अफ़ग़ानिस्तान की अस्तव्यस्तता का प्रभाव पड़ोसी देशों समेत पूरे क्षेत्र पर पड़ा। राजनीतिक तथा आर्थिक समस्या के सार्थक तथा दीर्घकालीन समाधान की ज़रूरत महसूस हुई, जिसके केन्द्र में अफ़ग़ानिस्तान था। इसी पहल का नतीजा थे अफ़ग़ानिस्तान में रीज़नल इकोनॉमिक कोओपरेशन कॉन्फ्रेंस ऑन अफ़ग़ानिस्तान (RECCA), क्वाड्रिलेटरल कोओर्डिनेशन ग्रुप (QCG) का गठन तथा हाल में मॉस्को में सम्पन्न हुई छह दलीय वार्ता। RECCA ने आर्थिक पहलुओं एवं QCG तथा छह दलीय वार्ता ने राजनीतिक समाधान पर ध्यान केन्द्रित किया है, जबकि HoA-IP अफ़ग़ानिस्तान पर सर्वांगीण रूप से ध्यान दे रहा है।
‘हार्ट ऑफ एशिया’ की अवधारणा एशिया में अफ़ग़ानिस्तान की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए मशहूर कवि मोहम्मद इक़बाल के सिद्धांत से ली गई थी, जिसमें उन्होंने कहा था: “एशिया पानी तथा मिट्टी का संग्रह है, जबकि अफ़ग़ान देश उसका दिल है, उसकी समृद्धि एशिया के लिए समृद्धि लाती है तथा उसका पतन एशिया का पतन है”।
HoA-IP का नेतृत्व शुरु से ही दो सह-अध्यक्षों ने किया। अफ़ग़ानिस्तान इसका स्थाई सह-अध्यक्ष है, जबकि सालाना मंत्री स्तरीय बैठक में हार्ट ऑफ एशिया का एक सदस्य देश सह-अध्यक्ष चुना जाता है। स्थाई सह-अध्यक्ष के रूप में अफ़ग़ानिस्तान HoA-IP की गतिविधियों का केन्द्र है। पड़ोसी देशों के सहयोग से अफ़ग़ानिस्तान में शांति तथा स्थिरता लाने के लिए HoA-IP के तीन प्रमुख क्रियाकलाप हैं:
HoA-IP के तीन स्तरीय क्रियाकलापों में मंत्री स्तरीय सम्मेलन सबसे महत्त्वपूर्ण है। फिर वरिष्ठ अधिकारियों की (SOMs) तथा राजनयिक स्तर की बैठकें हैं। मंत्री स्तरीय सम्मेलनों ने भाग लेनेवाले देशों के साथ विभिन्न CBMs स्थापित किये हैं (तालिका-B देखें)। HoA-IP के क्रियाकलापों में छह CBMs सबसे महत्त्वपूर्ण हैं, जो विश्वास निर्माण तथा समस्याओं के समाधान के लिए संयोजन तथा सहयोग के ज़रिये प्रायोगिक साधन उपलब्ध कराते हैं। भारत व्यापार, वाणिज्य तथा निवेश के क्षेत्र में CBMs की अगुवाई कर रहा है, एवं अफ़ग़ानिस्तान, ईरान, पाकिस्तान तथा तुर्की के साथ सभी CBMs का सदस्य है।
अमृतसर में हुए छठे मंत्री स्तरीय सम्मेलन के बाद HoA-IP के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक (SOM) 17 मार्च 2017 को अज़रबेजान के बाकू में हुई। इस बैठक में छहों CBMs को लागू करने की दिशा में हुई प्रगति का मूल्यांकन किया गया। बैठक में अंदरूनी तथा क्षेत्रीय सुरक्षा स्थिति तथा राजनीतिक चुनौतियों पर भी विचार किया गया।
HoA-IP मंत्री स्तरीय सम्मेलन
HoA-IP का पहला मंत्री स्तरीय सम्मेलन 2011 में तुर्की के इस्तांबुल में हुआ था। इसके बाद के चार सम्मेलन काबुल (अफ़ग़ानिस्तान), अल्माटी (कज़ाकिस्तान), बीजिंग (चीन) तथा इस्लामाबाद (पाकिस्तान) में क्रमश: 2012, 2013, 2014 तथा 2015 में हुए। छठा HoA-IP मंत्री स्तरीय सम्मेलन भारत के अमृतसर में दिसम्बर 2016 में हुआ (तालिका-C देखें)।
HoA-IP के पहले मंत्री स्तरीय सम्मेलन में एक सुरक्षित तथा स्थिर अफ़ग़ानिस्तान के निर्माण के लिए क्षेत्रीय सुरक्षा एवं सहयोग पर इस्तांबुल प्रक्रिया प्रस्ताव पारित हुआ। इस प्रस्ताव ने क्षेत्रीय सहयोग के लिए नए एजेंडे तय किये। सभी देश सभी स्तरों पर गंभीर तथा नतीजे देनेवाले सहयोग करने पर सहमत हुए, जिसका लक्ष्य न सिर्फ अफ़ग़ानिस्तान की मदद करना, बल्कि पूरे क्षेत्र में सुरक्षा तथा सम्पन्नता सुनिश्चित करना था।
इसके बाद के चार मंत्री स्तरीय सम्मेलनों में राजनीतिक तथा सुरक्षा सहयोग, आर्थिक गतिविधियां, आतंकवाद एवं संगठित अपराध के विरुद्ध कार्रवाई, नशीली दवाओं की तस्करी रोकने के उपाय, शरणार्थी पुनर्वास, ढांचागत क्षेत्रीय शैक्षणिक आदान-प्रदान कार्यक्रम इत्यादि आपसी सहयोग के विन्दुओं की पहचान की गई। ये सिर्फ अफ़ग़ानिस्तान के लिए ही नहीं, बल्कि दूसरे HoA-IP देशों के लिए भी आवश्यक थे। इन सम्मेलनों में अफ़ग़ानिस्तान के लिए विशेष कार्यक्रम भी शुरु किये गए, ताकि यहां के क्षेत्रीय तथा वैश्विक व्यापार एवं अन्य आर्थिक गतिविधियों में समन्वय स्थापित हो। इनमें अफ़ग़ान राष्ट्रीय रक्षा एवं सुरक्षा बलों (ANDSF) का गठन, अफ़ग़ान युवाओं का कौशल विकास तथा देश का ढांचागत विकास जैसे विन्दु शामिल थे।
मंत्री स्तर की बैठकों में अफ़ग़ानिस्तान की ‘हार्ट ऑफ एशिया’ के रूप में उस भौगोलिक भूमिका को भी पहचान मिली, जो दक्षिण, मध्य, यूरेशिया तथा मध्य-पूर्व को जोड़ता है। HoA-IP शुरु होने के बाद इन्हें आपस में जोड़नेवाली कई परियोजनाएं विभिन्न स्तरों पर लागू की जा रही हैं। अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ घनी तथा उनके समकक्ष तुर्मेनिस्तान के राष्ट्रपति गुरबांगुली बरदीमुहामेदोव ने नवम्बर 2016 में TAT रेलवे के पहले चरण का उद्घाटन किया, जो तुर्कमेनिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान तथा ताजिकिस्तान को जोड़ती है। क्षेत्र की दूसरी महत्त्वपूर्ण परियोजना तुर्कमेनिस्तान-अफ़ग़ानिस्तान-पाकिस्तान-भारत (TAPI) प्राकृतिक गैस पाइपलाइन का उद्घाटन दिसम्बर 2015 को किया गया। ये परियोजना अफ़ग़ानिस्तान के लिए आर्थिक एवं वित्तीय रूप से अत्यंत लाभकारी है, जिसका सालाना शुल्क 1 बिलियन डॉलर तय किया गया है। इसके अलावा इससे अफ़ग़ानिस्तान के हजारों युवाओं को रोजगार भी मिलेगा। ये परियाजनाएं अफ़ग़ान नेतृत्व के मनोनुरूप हैं, जो अफ़ग़ानिस्तान को क्षेत्र के केन्द्र के रूप में पुन: अपनी भौगोलिक पहचान बनाने के लिए प्रयासरत हैं।
छठे HoA-IP सम्मेलन में नया क्या है?
छठा HoA-IP सम्मेलन अमृतसर में हुआ, जो भारत को पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान तथा मध्य एशिया से जोड़ने का महत्त्वपूर्ण द्वार है। अमृतसर ग्रैंड ट्रंक रोड के रास्ते में पड़ता है। इस शहर की अफ़ग़ानिस्तान के सर्वांगीण विकास, स्थिरता तथा आर्थिक सम्पन्नता के लिए मार्गों को जोड़ने में महत्त्वपूर्ण भूमिका है। अमृतसर सम्मेलन अफ़ग़ानिस्तान के लिए HoA-IP की बहुआयामी प्रक्रिया में महत्त्वपूर्ण अध्याय है। इसने युद्धग्रस्त देश में शांति तथा स्थिरता लाने के लिए चल रही क्षेत्रीय कोशिशों में कई महत्त्वपूर्ण आयाम जोड़े हैं।
अमृतसर सम्मेलन अफ़ग़ानिस्तान की घरेलू राजनीति को देखते हुए, ख़ासकर अफ़ग़ानिस्तान की नेशनल यूनिटी गवर्मेंट (NUG) सरकार तथा गुलबुद्दीन हेक्मतयार की अगुवाई वाले हिज़्ब-ए-इस्लामी के बीच शांति संधि को सफल बनाने में महत्त्वपूर्ण था। अक्टूबर 2016 में अफ़ग़ानिस्तान पर ब्रुसेल्स सम्मेलन के बाद अमृतसर सम्मेलन पहला महत्त्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन था।
अमृतसर सम्मेलन के नतीजों ने क्षेत्र में आतंकवाद, हिंसक उग्रवाद तथा कट्टरवाद के ख़िलाफ़ कार्रवाईयों में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। अफ़ग़ानिस्तान कई दशकों से आतंकवाद का शिकार रहा है। आतंकवाद के कारण अफ़गान जनता की आर्थिक, राजनीतिक, सुरक्षात्मक तथा सांस्कृतिक जैसे जीवन के सभी पहलु प्रभावित हुए हैं। अमृतसर सम्मेलन में ना सिर्फ पहली बार क्षेत्र में सक्रिय आतंकवादी गुटों की पहचान की गई, बल्कि उन गुटों के नाम भी दुनिया के सामने लाए गए: दायश तथा उसके सहयोगी, हक्कानी नेटवर्क, अल क़ायदा, इस्लामिक मूवमेंट ऑफ उज़बेकिस्तान, पूर्वी तुर्किस्तान इस्लामिक आंदोलन, लश्कर-ए-तैय्यबा, जैश-ए-मोहम्मद, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान, जमात-उल-अहरार, जुनदुल्ला तथा दूसरे विदेशी आतंकवादी लड़ाके।
इस कदम को अफ़ग़ानिस्तान तथा उस क्षेत्र में आतंकवाद के बढ़ते संकट पर काबू पाने के लिए क्षेत्रीय स्तर पर पहला प्रमुख कदम माना गया है। अफ़ग़ानिस्तान से विदेशी सेना के निकलने तथा सुरक्षा की जिम्मेदारी ANDSF के हाथों आने के बाद तालिबान ने फिर से सिर उठाना शुरु कर दिया है तथा देशभर में आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त है। आतंकवादी संगठन अपनी गतिविधियों के लिए आपसी संयोजन भी बढ़ा रहे हैं। इस कारण समस्या के निदान के लिए एक सामूहिक कदम की सख्त आवश्यकता थी।
अभी तक HoA के सदस्य देश सरकारी कागजों में आतंकी संगठनों की पहचान को लेकर एकमत नहीं थे। अमृतसर सम्मेलन में ये गतिरोध खत्म हुआ, जो इस मुश्किल के रास्ते एक सामूहिक सहमति बनाने में खलल डाल रहा था। आतंकवादी संगठनों के नाम सरकारी दस्तावेज में शामिल करना HoA-IP के पिछले मंत्री स्तरीय बैठकों की तुलना में एक महत्त्वपूर्ण कदम था, जिसने ना सिर्फ अफ़ग़ानिस्तान, बल्कि पूरे क्षेत्र तथा उससे अलग भी आतंकवाद से निपटने के लिए क्षेत्रीय सहमति तैयार की। दस्तावेज में HoA-IP के सदस्य देशों तथा साझीदारों के बीच उग्रपंथ कम करने तथा उग्रवाद से निपटने के अनुभवों को भी साझा करने का प्रस्ताव पारित हुआ। ये कदम आतंकवाद से निपटने के लिए चल रही कोशिशों को मजबूत करेगा तथा अफ़ग़ानिस्तान एवं पूरे क्षेत्र में युवाओं को उग्रवादी संगठनों द्वारा लुभाए जाने पर लगाम कसेगा। अफ़ग़ानिस्तान एक नया देश है तथा ये कदम युवाओं की ऊर्जा को एक सम्पन्न तथा गतिवान अफ़ग़ान समाज बनाने के लिए उत्प्रेरित करेगा। घोषणापत्र में उग्रवाद से लड़ने में राजनीतिक नेताओं, धर्मगुरुओं, युवाओं, सिविल सोसाइटी तथा जन मीडिया का सहयोग लेने की बात की गई।
अमृतसर सम्मेलन में सांस्कृतिक विरासत को भी पुनर्जागृत करने के लिए कहा गया, ताकि अफ़ग़ानिस्तान में सामाजिक-आर्थिक विकास लाया जा सके। ये कदम सामाजिक-आर्थिक विकास में महत्त्वपूर्ण साबित हो सकता है। सदियों से अफ़ग़ानिस्तान सभ्यताओं के आदान-प्रदान तथा सांस्कृतिक मेलमिलाप का केन्द्र रहा है। अफ़ग़ानिस्तान से होकर जानेवाला सिल्क रूट ना सिर्फ एक व्यापारिक रास्ता था, बल्कि विभिन्न विचारों के आदान-प्रदान, संस्कृतियों, परम्पराओं तथा दर्शन का भी समन्वय था। अफ़ग़ानिस्तान में अब भी इस विरासत की सुगंध मौजूद है, जिसका इस्तेमाल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए प्रभावशाली तथा फायदेमंद तरीके से किया जा सकता है। अफ़ग़ानिस्तान तथा उसके आस-पास के क्षेत्रों में लोगों का आवागमन बढ़ने से निश्चित रूप से पर्यटन तथा व्यापार को लाभ पहुंचेगा। इससे ना सिर्फ अफ़ग़ान युवाओं के लिए रोजगार उत्पन्न होगा, बल्कि स्थानीय कला तथा शिल्प को भी बढ़ावा देगा।
पारम्परिक सांस्कृतिक तथा शिल्प कला में विविधता के बावजूद, सांस्कृतिक कूटनीति का अफ़ग़ानिस्तान के क्षेत्रीय समन्वय कार्यक्रमों में कम इस्तेमाल हुआ है। देश का सम्पन्न तथा विविधतापूर्ण अतीत तथा उसका आध्यात्मिक अनुभव एक बार फिर पड़ोसी समाजों में एक सामूहिक नेटवर्क स्थापित कर सकता है। अमृतसर सम्मेलन से सांस्कृतिक तथा पारम्परिक मूल्यों को उजागर करने में सफलता प्राप्त हुई। हार्ट ऑफ एशिया कल्चरल एक्सचेंज प्रोग्राम (HACEP) के तहत नियमित सांस्कृतिक आदान-प्रदान की व्यवस्था बनाई जा सकती है।
छठे मंत्री स्तरीय सम्मेलन में अफ़ग़ानिस्तान लौटनेवाले शरणार्थियों की समस्या पर भी विचार किया गया। हाल के वर्षों में अफ़ग़ान शरणार्थी या तो स्वेच्छा से वापस लौटे हैं, या फिर पाकिस्तान, ईरान तथा यूरोप के देशों से वापस लौटने पर मजबूर हो रहे हैं। UNHCR के मुताबिक पाकिस्तान से वापस लौटनेवाले शरणार्थियों की संख्या अप्रत्याशित रूप से बढ़ रही है। उसके मुताबिक 20 अक्टूबर 2016 तक सिर्फ पाकिस्तान से करीब 2,70,000 शरणार्थी अफ़ग़ानिस्तान लौट चुके थे। शरणार्थियों का किसी भी समाज में पुर्स्थापन तथा पुनर्वास एक भारी समस्या है, जो वापस लौटनेवालों तथा पहले से रहनेवाले समाज – दोनों के लिए चुनौतियां खड़ी करता है। लिहाजा इस बारे में सावधानीपूर्वक योजना बनाने की ज़रूरत है। अमृतसर सम्मेलन में शरणार्थियों के लिए एक दीर्घकालीन योजना तथा अफ़ग़ान समाज में उनके समन्वय की योजना बनाने पर सहमति बनी। सम्मेलन में शरणार्थियों को सदस्य देशों तथा अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद देने की अपील की गई।
HoA-IP की उपलब्धियों के बावजूद क्षेत्रीय कोशिशों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। अफ़ग़ानिस्तान के पड़ोस में ताकत प्राप्त करने की राजनीति भी देश में पुनर्विकास की प्रक्रिया धीमी करने के लिए जिम्मेदार है। HoA के सदस्य देश खुद भी विभिन्न स्तरों पर विकास की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, जिससे प्रमुखताओं की सूची में अफ़ग़ानिस्तान के प्रति उनकी प्रतिबद्धता कम हो जाती है। हार्ट ऑफ एशिया के सदस्य देशों के बीच अफ़ग़ानिस्तान के विकास के लिए नतीजे देनेवाले सहयोग की सख्त आवश्यकता है।
भारत तथा हार्ट ऑफ एशिया
अफ़ग़ानिस्तान के पुनर्निमाण तथा पुनर्विकास प्रक्रिया में भारत सबसे गंभीरता से हिस्सा लेनेवाला देश है। भारत के पास ढांचागत निर्माण, सामाजिक-आर्थिक विकास तथा क्षमता निर्माण का जिम्मा है। भारत की कुछ सफल परियोजनाओं में शामिल हैं: इंडो-अफ़ग़ान फ्रेंडशिप डैम का निर्माण, संसद का निर्माण, इन्दिरा गांधी इंस्टीच्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ (IGICH), क्षमता विकास कार्यक्रम, जिसमें सुरक्षा तथा प्रशासनिक अधिकारियों को प्रशिक्षण देना शामिल है तथा अफ़ग़ान छात्रों के लिए कई छात्रवृत्तियां, स्वास्थ्य के क्षेत्र में परियोजनाएं, पोषण, शिक्षा, ग्रामीण ढांचे का निर्माण, छोटी विकास परियोजनाएं (SDPs) इत्यादि।
भारत ने ज़रांज-देलाराम रोड नाम से एक महत्त्वपूर्ण सड़क का निर्माण किया है। ये सड़क स्थानीय लोगों के लिए वरदान है। ईरान तथा अफ़ग़ानिस्तान के साथ मिलकर भारत ईरान के चाबाहार बंदरगाह से होकर हिन्द महासागर तक सीधी सड़क का निर्माण कर रहा है। ये सड़क अफ़ग़ानिस्तान को ना सिर्फ दक्षिण एशिया से, बल्कि दक्षिण एशिया को मध्य एशिया के देशों से जोड़कर अफ़ग़ानिस्तान को एक सड़क स्थित पुल का दर्जा देगी।
उपसंहार
हार्ट ऑफ एशिया – इस्तांबुल प्रक्रिया एक बहुदेशीय महत्त्वपूर्ण क्षेत्रीय प्रक्रिया है। ये प्रक्रिया अफ़ग़ानिस्तान के संकट को देखते हुए पूरे क्षेत्र में दीर्घकालीन शांति तथा स्थिरता लाने का प्रयास है। अब तक छह मंत्री स्तरीय सम्मेलन हो चुके हैं। CBMs के रूप में की गई पहल अफ़ग़ानिस्तान को सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक तथा आर्थिक रूप से क्षेत्र तथा विश्व के साथ जोड़ने की प्रणालियां विकसित करने का कारगर तरीका रही हैं। हालांकि कुछ CBMs की शुरुआत होनी अभी बाकी है, लेकिन इनमें से कई प्रभावशाली तरीके से लागू की जा चुकी हैं।
इनके अलावा ये भी कहा जा सकता है कि HoA-IP तथा इसके तहत क्षेत्रीय सहयोग से ना सिर्फ अफ़ग़ानिस्तान में, बल्कि मध्य एशिया तथा दक्षिण एशिया में भी नतीजे दिखने शुरु हो गये हैं। चाबाहार, कासा-1000, तूतप, पांच देशों की रेल सेवा इत्यादि परियोजनाएं क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने तथा अफ़ग़ानिस्तान को एक शांतिपूर्ण तथा स्थिर भविष्य देने में मददगार साबित होंगी।
छठा सम्मेलन अफ़ग़ानिस्तान में क्रियाकलापों में तेजी तथा स्थिरता लाने की दिशा में HoA देशों का एक सफल प्रयास था। सम्मेलन ने अफ़ग़ानिस्तान में पहले से चल रहे क्रियाकलापों में कुछ नए आयाम तथा मानक जोड़े हैं। ये आतंकवाद तथा हिंसक उग्रवाद से लड़ने की दिशा में आपसी सहयोग बढ़ा सकते हैं, आपस में अनुभवों को साझा कर उग्रवादी गतिविधियों पर लगाम लगा सकते हैं, वापस लौटनेवाले शरणार्थियों के पुनर्वास में सहयोग बढ़ा सकते हैं तथा विभिन्न क्षेत्रों के बीच आर्थिक सहयोग स्थापित कर सकते हैं।
HoA-IP के सामने चुनौतियों की भरमार है, लेकिन उन चुनौतियों में ऐसा एक भी नहीं, जिसका सफलतापूर्वक सामना न किया जा सके। सदस्य देशों के बीच अधिक सहयोग तथा नियमित सक्रिय सम्पर्क इन चुनौतियों से निपटने में मददगार साबित हो सकते हैं।
HoA-IP की अवधारणा क्षेत्रीय देशों के आपसी सामंजस्य तथा सहयोग के ज़रिये अफ़ग़ानिस्तान की समस्याओं के समाधान उपलब्ध कराने में महत्त्वपूर्ण रही हैं। इस शुरुआत को क्षेत्रीय सहयोग के अगले स्तर तक ले जाने में ही बुद्धिमानी है, जिससे सभी देशों के सभी समाजों को लाभ पहुंचे। HoA-IP के सदस्य देश पहले से ही आपस में विभिन्न प्रकार के व्यापारिक, निवेश तथा संयोजन कार्यक्रमों को संचालित कर रहे हैं। वक्त आ गया है कि वो हार्ट ऑफ एशिया फ्री ट्रेड एरिया (HAFTA) की स्थापना में भी मदद करें, जो निश्चित रूप से क्षेत्रीय आर्थिक सामंजस्य को मजबूत करेगा।
***
* लेखक तथा लेखिका, विश्व मामलों की भारतीय परिषद, नई दिल्ली में शोधकर्ता हैं।
डिस्क्लेमर:इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटि पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने।
तालिका – A
हार्ट ऑफ एशिया – इस्तांबुल प्रक्रिया: भाग लेनेवाले देश
|
हार्ट ऑफ एशिया |
||
नम्बर |
सदस्य देश |
समर्थक देश |
क्षेत्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय संगठन |
1. |
अफ़ग़ानिस्तान |
ऑस्ट्रेलिया |
संयुक्त राष्ट्र |
2. |
अज़रबेजान |
कनाडा |
AKDN |
3. |
चीन |
डेनमार्क |
CAREC/ ADB |
4. |
भारत |
मिस्र |
CICA |
5. |
ईरान |
यूरोपीय संघ |
CSTO |
6. |
कज़ाकिस्तान |
फ्रांस |
ECO |
7. |
किरगिज़ रिपब्लिक |
फिनलैंड |
NATO |
8. |
पाकिस्तान |
जर्मनी |
OIC |
9. |
रूस |
इराक |
OSCE |
10. |
सऊदी अरब |
इटली |
SAARC |
11. |
ताजिकिस्तान |
जापान |
SCO |
12. |
तुर्की |
नॉर्वे |
|
13. |
तुर्कमेनिस्तान |
पोलैंड |
|
14. |
संयुक्त अरब अमीरात |
स्पेन |
|
15. |
|
स्वीडन |
|
16. |
|
युनाइटेड किंगडम |
|
17. |
|
अमेरिका |
|
तालिका – B
हार्ट ऑफ एशिया – इस्तांबुल प्रक्रिया: अफ़ग़ानिस्तान में CBMs
अफ़ग़ानिस्तान में HoA-IP प्रक्रिया के सदस्य देशों को सौंपी गई विभिन्न विश्वास निर्माण गतिविधियां (CBMs)
CBMs |
भाग लेनेवाले देश |
मुख्य देश |
आपदा प्रबंधन |
अफ़ग़ानिस्तान, चीन, भारत, ईरान, कज़ाकिस्तान, किर्जिस्तान, पाकिस्तान तथा तुर्की |
पाकिस्तान तथा कज़ाकिस्तान |
आतंकवाद निरोध |
अफ़ग़ानिस्तान, अज़रबेजान, चीन, भारत, ईरान, किर्जिस्तान, पाकिस्तान, रूस ताजिकिस्तान, तुर्की तथा संयुक्त अरब अमीरात |
अफ़ग़ानिस्तान, तुर्की तथा संयुक्त अरब अमीरात |
मादक पदार्थ निषेध |
अफ़ग़ानिस्तान, अज़रबेजान, चीन, भारत, ईरान, कज़ाकिस्तान, किर्जिस्तान, पाकिस्तान, रूस ताजिकिस्तान, तुर्की तथा संयुक्त अरब अमीरात |
रूस तथा अज़रबेजान |
व्यापार, वाणिज्य तथा निवेश |
अफ़ग़ानिस्तान, अज़रबेजान, भारत, ईरान, कज़ाकिस्तान, किर्जिस्तान, पाकिस्तान, रूस ताजिकिस्तान, तुर्की, संयुक्त अरब अमीरात तथा तुर्कमेनिस्तान |
भारत* |
क्षेत्रीय ढांचा |
अफ़ग़ानिस्तान, अज़रबेजान, भारत, ईरान, कज़ाकिस्तान, किर्जिस्तान, पाकिस्तान, रूस ताजिकिस्तान, तुर्की, तथा तुर्कमेनिस्तान |
तुर्कमेनिस्तान |
शिक्षा |
अफ़ग़ानिस्तान, अज़रबेजान, भारत, ईरान, कज़ाकिस्तान, किर्जिस्तान, पाकिस्तान, रूस ताजिकिस्तान, तुर्की, तथा तुर्कमेनिस्तान |
अज़रबेजान |
*भारत व्यापार, वाणिज्य तथा निवेश के क्षेत्रों में अगुवाई कर रहा है
*अफ़ग़ानिस्तान, भारत, ईरान, पाकिस्तान तथा तुर्की सभी छहों CBMs के सदस्य हैं
तालिका – C
हार्ट ऑफ एशिया – इस्तांबुल प्रक्रिया: मंत्री स्तरीय सम्मेलन
मंत्री स्तरीय सम्मेलन |
दिन तथा साल |
जगह |
मुख्य प्रस्ताव |
पहला |
02 नवम्बर 2011 |
इस्तांबुल, तुर्की |
i.आतंकवाद से जंग ii.शरणार्थी iii. संयोजकता |
दूसरा |
14 जून 2012 |
काबुल, अफ़ग़ानिस्तान |
i.राजनीतिक, सुरक्षा तथा आर्थिक सहयोग |
तीसरा |
26 अप्रैल 2013 |
अल्माटी, कज़ाकिस्तान |
i.राजनीतिक सहयोग ii.सुरक्षा तथा आतंकवाद से जंग iii.मादक पदार्थ तथा संगठित अपराध iv.शरणार्थी v.ढांचा |
चौथा |
31 अक्टूबर 2014 |
बीजिंग, चीन |
i.आतंकवाद तथा उग्रवाद ii.अफ़ग़ान शरणार्थियों का मुद्दा iii.आर्थिक विकास iv.क्षमता निर्माण तथा ANSF को समर्थन |
पांचवां |
09 दिसम्बर 2015 |
इस्लामाबाद, पाकिस्तान |
i.आतंकवाद तथा हिंसक उग्रवाद ii.आर्थिक संयोजन का विस्तार iii.अफ़ग़ान शरणार्थी |
छठा |
04 दिसम्बर 2016 |
अमृतसर, भारत |
i.आतंकवादी गुटों की पहचान ii.अफ़ग़ान शरणार्थियों का पुनर्वास iii.उग्रवाद विरोध के अनुभव साझा करना iv.सामाजिक-आर्थिक विकास में सांस्कृतिक विरासत का योगदान |
http://www.heartofasia-istanbulprocess.af/education-cbm/