9 जून 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ चीन के बंदरगाह शहर चिंगदाओ में मुलाकात की। प्रधानमंत्री 10-11 जून 2018 को आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के 18वें सम्मेलन में भाग लेने पहुंचे थे। लगभग एक महीने के अंतराल में दोनों नेताओं के बीच ये दूसरी मुलाकात थी। इससे पहले 27-28 अप्रैल को प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच चीनी शहर वुहान में अनौपचारिक वार्ता हुई थी।
उल्लेखनीय है कि दोनों देशों के बीच वुहान सम्मेलन के दौरान कई मुद्दों पर आम सहमति बनी थी। ये दोनों नेताओं की दूरदृष्टि को दर्शाता है।1 यह आलेख चिंगदाओ में द्विपक्षीय बैठक के बाद दोनों पक्षों की ओर से जारी दस्तावेज़ों/बयानों का मूल्यांकन करता है। इस मूल्यांकन के द्वारा ये आलेख बातचीत के महत्त्वपूर्ण मुद्दों को रेखांकित करता है तथा दस्तावेज़ों के अध्ययन से दोनों पक्षों का रुख़ समझने की कोशिश करता है।
भारतीय पक्ष के निम्नलिखित दस्तावेज़ों का अध्ययन किया गया है:
अ) "प्रधानमंत्री की चिंगदाओ यात्रा के संबंध में विदेश सचिव द्वारा प्रेस वार्ता", 10 जून, 2018
(इसके बाद विदेश सचिव की प्रेस वार्ता उल्लिखित)
चीन के दस्तावेज़ों में निम्नलिखित शामिल हैं:
(अ) “习近平会见印度总理莫迪 (भारतीय प्रधानमंत्री मोदी से मिले शी जिनपिंग) चीनी जनवादी गणराज्य (पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना-पीआरसी) के विदेश मंत्रालय द्वारा 9 जून, 2018 को जारी। (इसके बाद चीनी विदेश मंत्रालय का बयान उल्लिखित)
(ब) “द्विपक्षीय सम्बंधों को प्रोत्साहन देने की नई शुरुआत करेंगे चीन और भारत”, सिन्हुआ, 9 जून, 2018 (इसके बाद सिन्हुआ का बयान उल्लिखित)
विषय |
भारतीय दस्तावेज़ |
चीनी दस्तावेज़ |
वुहान सम्मेलन का विवरण
|
विदेश सचिव की प्रेस वार्ता:
दोनों नेताओं ने वुहान शिखर सम्मेलन का "सकारात्मक मूल्यांकन" के साथ बैठक की शुरुआत की
प्रधानमंत्री मोदी ने वुहान सम्मेलन को "मील का पत्थर" बताया।
उन्होंने वुहान शिखर सम्मेलन को "हमारे द्विपक्षीय संबंधों में एक नया प्रारंभिक बिंदु" बताया।
"बैठक में एक बहुत ही सकारात्मक अग्रगति थी और यह बहुत स्पष्ट था कि पूरी बैठक में वुहान शिखर सम्मेलन की भावना को जताया गया।"
चीनी पक्ष ने 2019 में भारत में अनौपचारिक सम्मेलन के न्योते को स्वीकार कर लिया।
|
चीनी विदेश मंत्रालय का बयान:
सिन्हुआ का बयान: चीन से जारी दोनों बयानों ने इस बात पर प्रकाश डाला कि वुहान सम्मेलन को द्विपक्षीय सम्बंधों में नई शुरुआत बनाने के लिए चीन भारत के साथ मिलकर काम करने को तैयार है।
प्रधानमंत्री मोदी ने वुहान के अनौपचारिक सम्मेलन को "बेहद कामयाब और महत्त्वपूर्ण बताया... सम्मेलन से भारत-चीन सम्बंधों के विकास में उनका विश्वास और मजबूत हुआ है। द्विपक्षीय सम्बंधों के इतिहास में ये सम्मेलन मील का पत्थर साबित होगा।"
|
मूल्यांकन
|
· दोनों नेताओं ने वुहान सम्मेलन को काफी महत्त्व दिया। ये महत्त्वपूर्ण है कि चिंगदाओ में द्विपक्षीय बातचीत वुहान सम्मेलन से उपजी सद्भभावना की पृष्ठभूमि में हुई।
· अनौपचारिक सम्मेलन भारत तथा चीन के बीच उच्चतम स्तर पर राजनीतिक संबंधों की प्रक्रिया का नया शक्ल दिया है। इसलिए दोनों देश अनौपचारिक सम्मेलन का अगला दौर भारत में करने पर सहमत हुए हैं। |
|
वुहान सम्मेलन में बनी सहमति पर अमल
|
विदेश सचिव की प्रेस वार्ता:
“दोनों नेताओं ने वुहान के बाद की गई अनुवर्ती कार्रवाई पर संतोष व्यक्त किया और दोनों नेताओं ने अपनी टीमों से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि जो निर्णय लिये गये हैं और समझ विकसित हुई है उसे साकार किया जाए।” |
चीनी विदेश मंत्रालय का बयान:
सिन्हुआ का बयान: राष्ट्रपति शी ने माना कि "चीन और भारत ने वुहान सम्मेलन के दौरान बनी सहमति को लागू करवाने में कई शुरुआती सफलताएं दर्ज की हैं। साथ ही उनका कहना था कि दोनों पक्षों को इस सहमति के क्रियान्वयन की गति बढ़ाने के लिए लिए सतत प्रयास करना चाहिए।" |
मूल्यांकन
|
· दोनों पक्षों ने आपसी सम्बंधों को मजबूत करने और सहयोग के क्षेत्रों को बढ़ाने के लिए वुहान बैठक में बनी सहमति को बढ़ाने पर जोर दिया।
· राष्ट्रपति शी ने कहा कि दोनों पक्षों को वुहान सम्मेलन में बनी सहमति को लागू करने की गति तेज करने के लिए सतत् प्रयास करने चाहिए। उन्होंने इस बाबत "शुरुआती सफलताओं" की भी बात की। इन कामयाबियों का ज़िक्र विदेश सचिव के बयान में भी किया गया।
· उल्लेखनीय है कि विदेश सचिव विजय गोखले और चीन के उप- विदेश मंत्री कोंग शुआनयों ने 5 जून 2018 को नई दिल्ली में बातचीत की। दोनों पक्षों ने वुहान के अनौपचारिक सम्मेलन में किए गए फैसलों पर की गई अनुवर्ती कार्रवाई की समीक्षा की और आने वाले महीनों में द्विपक्षीय भागीदारी की कार्यसूची पर भी चर्चा की।
· दोनों पक्ष वुहान में बनी सहमतियों पर जल्द अमल चाहते हैं। चीनी पक्ष के बयान में अमल की प्रक्रिया में तेजी लाने का सुझाव दिया गया है। |
|
सामरिक संपर्क |
विदेश सचिव की प्रेस वार्ता:
दूरभाष और नित्य बैठकों समेत विभिन्न प्रणालियों से सामरिक संपर्क कायम रखा जाएगा। इनमें बहुपक्षीय बैठकों के दौरान होने वाली वार्ताएं शामिल हैं।
दोनों नेता जुलाई 2018 में दक्षिण अफ्रीका में होने वाले ब्रिक्स सम्मेलन में मिलेंगे।
चीन के रक्षा मंत्री और सार्वजनिक सुरक्षा मंत्री जो भारत में गृह मंत्री के समकक्ष हैं, इस वर्ष भारत आएंगे। |
चीनी विदेश मंत्रालय और सिन्हुआ के बयान:
राष्ट्रपति शी ने दोनों देशों के बीच सामरिक संपर्क कायम रखने का जिक्र किया।
|
मूल्यांकन
|
· सामरिक संपर्क बनाए रखने को लेकर वुहान में बनी सहमति का फल मिल रहा है।
· प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान मिलने वाले हैं।
· चीन के दो महत्त्वपूर्ण मंत्री स्तरीय भारत दौरे पर सहमति बनाने की प्रक्रिया को मजबूत करेंगे और सुरक्षा सम्बंधों को आगे ले जाएंगे। |
|
सीमा मसला एवं विशेष प्रतिनिधियों के बीच बातचीत
|
विदेश सचिव की प्रेस वार्ता:
“संक्षेप में उल्लेख किया गया था कि दोनों पक्षों की सेनाएं शांति बनाए रखने के प्रयास में एक दूसरे से बात करना जारी रखेंगी”
दोनों पक्षों ने सीमा प्रश्न पर विशेष प्रतिनिधि वार्ता का अगला दौर इस वर्ष की दूसरे छमाही में आयोजित करने पर भी सहमति दी है। |
चीनी विदेश मंत्रालय और सिन्हुआ के बयानों में सीमा मसले और विशेष प्रतिनिधियों के बीच वार्ता का कोई उल्लेख नहीं था।
|
मूल्यांकन |
· वुहान सम्मेलन के दौरान दोनों देशों ने स्पष्ट तौर पर आपसी संपर्क बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया और सीमा मसले को सुलझाने के लिए आपसी विश्वास बढ़ाने की बात कही।
· हालांकि चिंगदाओ द्विपक्षीय बातचीत के बाद जारी बयान में चीनी पक्ष ने सीमा के मसले पर कुछ नहीं कहा है। लेकिन ये माना जा सकता है कि इन बयानों में वुहान सम्मेलन के दौरान बनी सहमति पर जोर देने में सीमा पर शांति और सौहार्द बनाए रखना भी शामिल है। |
|
आर्थिक सहयोग
|
विदेश सचिव की प्रेस वार्ता:
राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने प्रधानमंत्री को यह भी सुझाव दिया कि दोनों देशों को 2020 तक 100 अरब अमेरिकी डॉलर का नया व्यापारिक लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए।
“चीन गैर-बासमती चावल और चीनी सहित भारत से कृषि निर्यात में वृद्धि पर विचार कर रहा है”।
चीन भारतीय दवा कंपनियों को चीनी बाजार में उच्च गुणवत्ता वाले भारतीय दवा उत्पादों का पंजीकरण " करने के लिए प्रोत्साहित करेगा। |
चीनी विदेश मंत्रालय का बयान:
सिन्हुआ का बयान:
चीन से आए दोनों बयानों में दोनों देशों के बीच "आर्थिक और वाणिज्यिक सहयोग" बढ़ाने की बात की गई है।
|
मूल्यांकन |
· द्विपक्षीय व्यापारिक संबंधों पर भारतीय बयान अधिक स्पष्ट है।
· भारत से चीन चावल निर्यात करने के लिए पादप स्वच्छता आवश्यक्ताओं पर दोनों नेताओं की उपस्थिति में चीन के सीमा शुल्क विभाग के सामान्य प्रशासन और भारत के कृषि, सहयोग एवं कृषक कल्याण विभाग के बीच प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए गए।
· विदेश सचिव की प्रेस वार्ता में कृषि उत्पादों और दवाओं के कारोबार से संबंधित चीनी पक्ष के कुछ उत्साहवर्धक बयानों का उल्लेख किया गया। लेकिन दोनों देशों के बीच व्यापक तथा सतत् आर्थिक साझेदारी के लिए अधिक प्रयासों की आवश्यकता है। भारतीय कंपनियों और उत्पादों की चीन के बाज़ार में पहुंच बढ़ाने और गैर-शुल्क अड़चनों से जुड़े मसलों का समाधान करना आवश्यक है। |
|
जल-सम्बंधी मसले
|
विदेश सचिव की प्रेस वार्ता में भारत और चीन के बीच जल संसाधन से जुड़े मसलों का कोई ज़िक्र नहीं है।
|
चीन के विदेश मंत्रालय का बयान:
सिन्हुआ का बयान: चीन की ओर से आए बयानों में भारत और चीन के बीच जल संसाधन से जुड़े मसलों का कोई ज़िक्र नहीं है। |
मूल्यांकन |
· चीन द्वारा भारत के लिए बाढ़ के मौसम में ब्रह्मपुत्र नदी की जलविद्युत जानकारी के प्रावधान पर चीन के जनवादी गणराज्य के जल संसाधन मंत्रालय और भारत के जल संसाधन, नदी विकास तथा गंगा कायाकल्प मंत्रालय के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर के दोनों नेता गवाह बने।
· यह समझौता चीनी पक्ष को हर साल 15 मई से 15 अक्टूबर तक अर्थात् बाढ़ के मौसम में जलविद्युत डेटा प्रदान करने में सक्षम करता है। इससे चीनी पक्ष बाढ़ के अलावा किसी और मौसम में भी जलविद्युत जानकारी साझा कर सकेगा, अगर जल-स्तर दोनों पक्षों की सहमति से तय स्तर को पार कर जाए।
· भारत के जल संसाधन मंत्रालय और चीन के जल संसाधन मंत्रालयों के बीच 23 अक्टूबर, 2013 को साझी नदियों के बारे में सहयोग बढ़ाने को लेकर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए थे। वर्तमान समझौता ज्ञापन इसी को पुनर्जीवित और विस्तृत करता है। |
|
आम लोगों के बीच परस्पर सम्पर्क
|
विदेश सचिव की प्रेस वार्ता: दोनों देशों के लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने के लिए नया तंत्र स्थापित होगा।
भारत की ओर से इसका नेतृत्व विदेश मंत्री और चीनी पक्ष की तरफ से स्टेट काउंसलर और विदेश मंत्री वांग यी द्वारा किया जाएगा।
इस वर्ष इस पी 2 पी तंत्र की पहली बैठक आयोजित की जाएगी।
राष्ट्रपति शी ने चीन में भारतीय फिल्मों की बढ़ती लोकप्रियता का उल्लेख किया। |
चीनी विदेश मंत्रालय का बयान:
सिन्हुआ का बयान:
दोनों ही बयानों में लोगों के बीच परस्पर संपर्क बढ़ाने के राष्ट्रपति शी के आह्वान का ज़िक्र था।
|
मूल्यांकन
|
· दोनों पक्षों के विदेश मंत्रियों के नेतृत्व में नया पी2पी तंत्र निश्चित तौर पर स्वागत-योग्य कदम है।
· दोनों देश अपने लोगों के बीच वुहान सम्मेलन में तय तरीकों से बेहतर तालमेल बनाकर परस्पर सम्बंधों का आधार मज़बूत करेंगे। |
|
अंतरराष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय मामले |
विदेश सचिव का बयान:
दोनों पक्ष शुरुआत में क्षमता निर्माण के क्षेत्र में विशिष्ट परियोजनाओं की पहचान करने के लिए आगे बढ़ेंगे।
|
चीनी विदेश मंत्रालय और सिन्हुआ के बयानों में अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मामलों में सहयोग बढ़ाने की बात कही गई थी। चीनी दस्तावेज़ में अफगानिस्तान में साझा परियोजनाओं की पहचान करने का उल्लेख नहीं है। |
मूल्यांकन |
· अफगानिस्तान में साझा परियोजनाएं सहयोग का एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है जिसमें अफगानिस्तान तथा आसपास के इलाकों की शांति, स्थिरता और आर्थिक विकास में योगदान की क्षमता है। दोनों पक्षों का क्षमता निर्माण में साझी परियोजनाओं के साथ शुरुआत करना महत्त्वपूर्ण है। |
|
एससीओ (शंघाई सहयोग संगठन)
|
विदेश सचिव की प्रेस वार्ता में एससीओ पर किसी चर्चा का विशिष्ट उल्लेख नहीं है।
|
चीनी विदेश मंत्रालय का बयान:
सिन्हुआ का बयान:
राष्ट्रपति शी ने बतौर पूर्ण सदस्य एसीओ सम्मेलन में पहली बार भागीदारी पर भारत का स्वागत किया।
'शंघाई भावना' को आगे बढ़ाने और एससीओ देशों के स्थिर विकास को प्रोत्साहन देने के लिए चीन भारत और एससीओ के अन्य सदस्य देशों के साथ काम करने के लिए तैयार है। |
मूल्यांकन
|
·एससीओ भारत और चीन के बीच सहयोग बढ़ाने के लिए एक उपयोगी मंच है। |
|
द्विपक्षीय सम्बंधों का भविष्य
|
विदेश सचिव की प्रेस वार्ता
आपसी समझ विकसित करने, परस्पर विश्वास बढ़ाने और आपसी संबंधों को अग्रगामी बनाने का उल्लेख किया गया।
|
सिन्हुआ का बयान:
“ पारस्परिक राजनीतिक विश्वास को निरंतर मज़बूत करते रहना चाहिए और सभी क्षेत्रों में परस्पर लाभकारी सहयोग बढ़ाना चाहिए जिससे भारत-चीन सम्बंध बेहतर, ज़्यादा तेज़ी और स्थिरता से आगे बढ़ें।" |
मूल्यांकन
|
·दोनों पक्षों के बयानों में आपसी विश्वास को मज़बूत करने तथा सम्बंधों को आगे बढ़ाने पर बल दिया गया।
· चीनी पक्ष ने सम्बंध को 'बेहतर, अधिक तेजी तथा स्थिरता' से आगे बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया है। |
निष्कर्ष:
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी के बीच चिंगदाओ में मुलाकात वुहान सम्मेलन में बनी सहमति को आगे ले जाने की दिशा में महत्त्वपूर्ण साबित हुई। दोनों ओर के आधिकारिक बयानों के विश्लेषण से पता चलता है कि दोनों देशों में प्रमुख रूप से वुहान सम्मेलन के दौरान दोनों नेताओं की बीच बनी सहमति को लागू करवाने पर चर्चा हुई।
चीनी बयानों में द्विपक्षीय सम्बंधों के कुछ बड़े मसलों को मोटे तौर पर उठाया गया और वुहान में बनी सहमति के "क्रियान्वयन में तेजी के लिए निरंतर प्रयास" करने की बात कही गई। इसके मुकाबले भारतीय बयान अधिक विस्तृत हैं तथा दोनों देशों के बीच कई महत्त्वपूर्ण मसलों को उठाता है। इनमें सीमा पर शांति और सौहार्द का मुद्दा भी शामिल है।
वुहान के अनौपचारिक सम्मेलन से लेकर चिंगदाओ की द्विपक्षीय बातचीत तक के सफर ने भारत-चीन संबंधों को सकारात्मक और अग्रगामी गति दी है। इससे पता चलता है कि वुहान में बनी सहमति को लागू करने के लिए प्रगति देखने को मिली है। भारत और चीन के शिखर नेतृत्व ने इस सहमति के ज़मीनी अमल में दिलचस्पी ली है।
हालांकि वुहान की बैठक में दोनों देशों के बीच कुछ मसलों पर मतभेद भी उभरे थे। कथित तौर पर इनमें से कुछ विषयों पर चिंगदाओ बैठक में चर्चा नहीं हुई।
भविष्य में आपसी सरोकार और रूचि के सभी मसलों पर सहमति बनाने की आवश्यकता है। दोनों देशों को एक दूसरे की आंकाक्षाओं और हितों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। आशा है कि विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की सहमति के और भी परिणाम दक्षिण अफ्रीका में होने जा रहे ब्रिक्स सम्मेलन तथा 2019 में भारत में होने जा रहे अनौपचारिक सम्मेलन में भी देखने को मिलेंगे। ये दोनों अवसर दोनों देशों के लिए आपसी बातचीत को आगे बढ़ाने का मौका होंगे।
****
*लेखक, शोध अध्येता, विश्व मामलों की भारतीय परिषद्, नई दिल्ली।
डिस्क्लेमर: आलेख में शोधकर्ता के निजी विचार हैं तथा परिषद् के विचारों को प्रतिबिम्बित नहीं करते।
1 ज़्यादा जानकारी के लिए "वुहान सम्मेलन" शीर्षक से विश्व मामलों की भारतीय परिषद (आईसीडब्ल्यूए/विश्व मामलों की भारतीय परिषद्) का सारपत्र (इश्यू ब्रीफ) देखें। डॉ। संजीव कुमार और डॉ. पुयम राकेश सिंह द्वारा लिखा गया ये सारपत्र https://icwa।in/pdfs/IB/HYPERLINK "https://icwa.in/pdfs/IB/2014/WuhanSummitIB24052018.pdf"2014HYPERLINK "https://icwa.in/pdfs/IB/2014/WuhanSummitIB24052018.pdf"/WuhanSummitIBHYPERLINK "https://icwa.in/pdfs/IB/2014/WuhanSummitIB24052018.pdf"24052018HYPERLINK "https://icwa.in/pdfs/IB/2014/WuhanSummitIB24052018.pdf"।pdf पर उपलब्ध है।
संदर्भ:
“Press Briefing by Foreign Secretary on PM visit to Qingdao”, June 10, 2018 available at http://mea.gov.in/media-briefings.htm?dtl/29967/Press+Briefing+by+Foreign+Secretary+on+PM+visit+to+Qingdao, Accessed on June 11, 2018
“India-China Bilateral Agreements signed in Qingdao, China”
June 09, 2018, available http://www.mea.gov.in/bilateral-
documents.htm?dtl/29966/IndiaChina_Bilateral_Agreements_signed_in_Qingdao_China, Accessed on June 11, 2018
“习近平会见印度总理莫迪 , Ministry of Foreign Affairs, PRC, June 9, 2018 available at http://www.fmprc.gov.cn/web/zyxw/t1567377.shtml. Accessed on June 11, 2018
“China, India to promote bilateral ties from new starting point” by Xinhua, June 9, 2018 available at http://www.xinhuanet.com/english/2018-06/09/c_137242968.htm, Accessed on June 11, 2018
Ananth Krishnan, “Modi to host Xi for second summit in 2019; India, China firm up new blueprint for ties” June 9, 2018, available at https://www.indiatoday.in/india/story/modi-xi-sign-agreements-on-brahmaputra-data-rice-exports-1256156-2018-06-09, Accessed on June 11, 2018
Sanjeev Kumar and Puyam Rakesh Singh titled “Wuhan Summit” ICWA’s Issue Brief, available at https://icwa.in/pdfs/IB/2014/WuhanSummitIB24052018.pdf
********