भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने 11 से 14 मार्च 2018 तक मॉरिशस का दौरा किया। उन्हें मॉरिशस की स्वतंत्रता की 50वीं वर्षगाँठ के अवसर पर आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था। स्वतंत्रता दिवस पर आयोजित समारोह में शामिल होने के साथ-साथ राष्ट्रपति कोविंद ने भारत-मॉरिशस के आपसी सम्बंधों को देखते हुए महत्त्वपूर्ण एवं सामयिक मुद्दों पर भी वार्ता की। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच कई मुद्दों पर आपसी सहयोग के समझौतों/सहमति-पत्र पर हस्ताक्षर हुए। इसमें भारत के नालंदा विश्वविद्यालय,i मॉरिशस विश्वविद्यालय में आयुर्वेद विभाग की स्थापना, दोनों देशों के लोक सेवा आयोग की क्षमता विस्तार में सहयोग तथा दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान शामिल थे।
भारतीय राष्ट्रपति ने इस अवसर पर 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर का नया लाइन ऑफ क्रेडिट (एलओसी) देने की घोषणा की। मॉरिशस इसका उपयोग मल्टीपरपस ऑफशोर पेट्रोल वेसल (एमपीओपीवी) खरीदने के लिए कर सकता है। इससे देश की रक्षा व्यवस्था और मजबूत हो सकेगी। इसके अलावा 5 मिलियन अमेरिकी डॉलर का अनुदान देने की भी घोषणा हुई।ii राष्ट्रपति कोविंद ने इस अवसर पर कहा कि “हिंद महासागर में भारत तथा मॉरिशस दोनों के सामने सुरक्षा की चिंता एक समान है।” दोनों देशों में “सम्बंधों के सतत विकास”को स्वीकारते हुए उन्होंने कहा कि “लोकतंत्र, कानून तथा सामाजिक सौहार्द” के क्षेत्र में आपसी सहभागिता से इस सम्बंध को और मजबूती मिलेगी। उन्होंने भारत के लिए मॉरिशस को हिंद महासागर क्षेत्र के साथ-साथ अफ्रीका का “प्रवेश द्वार” बताया। राष्ट्रपति कोविंद के अनुसार, दोनों देशों के बीच हितों का “प्राकृतिक सम्मिलन” तथा सामुद्रिक सुरक्षा एवं आतंकवाद से मुकाबला करने में “उदाहरणीय” द्विपक्षीय सहयोग है। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच समझौतों एवं घोषणाओं के पीछे मित्रवत सम्बंधों के इतिहास की एक लम्बी पृष्ठभूमि है।iii
सम्बंधों की पृष्ठभूमि
लगभग 1.27 मिलियन जनसंख्या वाला मॉरिशस हिंद महासागर में आर्थिक तथा रणनीतिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण देश है। इस देश की विविध संरचना में सबसे ज्यादा योगदान भारतीय मूल के लोगों का है। उन्नीसवीं शताब्दी के पहले ढाई दशक में ब्रिटिश राज के दौरान भारतीय मूल के लोगों को गन्ने की खेती के लिये यहाँ लाया गया था। द्वीप पर बसा यह एकमात्र ऐसा देश है जहां की लगभग दो-तिहाई (68 प्रतिशत)iv जनसंख्या भारतीय मूल की है। इसके अलावा इस देश में क्रिओल, फ्रेंच एवं चीनी मूल के लोग हैं। आबादी में मुख्य रूप से भारतीय मूल के लोगों के होने के कारण इस देश का भारत से सदैव विशेष जुड़ाव रहा है। ये भी समझना आवश्यक है कि अपनी स्वतंत्रता की 50वीं वर्षगाँठ के अवसर पर मॉरिशस ने भारतीय राष्ट्रपति को आमंत्रित करने का निर्णय किया। यह देश हमेशा से भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन और इसके नेताओं, विशेषकर मोहन दास करमचंद गांधी का प्रशंसक रहा है। गाँधीजी ने मॉरिशस में राजनीतिक एवं सामाजिक अधिकार के संघर्ष की नींव रखने में मदद करने के लिए बैरिस्टर मणिलाल डॉक्टर को भेजा था।
निरंतर प्रवासी संबंध के अलावा, मॉरिशस की हिंद महासागर में स्थिति भी रणनीतिक एवं सुरक्षा की दृष्टि से इसे भारत के लिए विशेषकर महत्त्वपूर्ण बनाती है। यह देश कुछ महत्त्वपूर्ण सामुद्रिक रास्तों से घिरा है। ये रास्ते पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी एशिया के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं तथा इनसे होकर बड़े पैमाने पर व्यापार होता है। विश्व का आधे के करीब कंटेनर शिपमेंट एवं दुनिया का लगभग एक तिहाई थोक कार्गो यातायात, दो-तिहाई ऑयल शिपमेंट और दुनिया के समुद्री तेल व्यापार का आधे से अधिक भाग हिंद महासागर से होकर गुजरता है।v
अपनी स्वतंत्रता के समय से ही मॉरिशस ने अपनी विदेश नीति में भारत को एक महत्त्वपूर्ण स्थान दिया है। दोनों देशों के बीच हमेशा उच्च स्तरीय दौरे होते रहते हैं एवं लगभग हर स्तर पर सहयोग होता है। 2013 में वहाँ की स्वतंत्रता की 45वीं वर्षगाँठ के समारोह में भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी तथा 2015 में स्वतंत्रता की 47वीं वर्षगांठ के समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य अतिथि थे। इस सम्बंध की निकटता और महत्त्व इस रूप में भी देखी जा सकती है कि भारत में 2014 में नई सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में सार्क देशों के नेताओं के अलावा एकमात्र मॉरिशस के प्रधानमंत्री डॉ. नवीनचंद्र रामगुलाम को ही आमंत्रित किया गया था। उसके बाद से दोनों देशों के बीच कई बार उच्च स्तरीय यात्रायें हो चुकी हैं।
व्यापार, आर्थिक एवं विकास सहयोग
भारत मॉरिशस का एक प्रमुख व्यापारिक साझेदार है। मॉरिशस भारत से कई सामानों का पारम्परिक आयातक है, जिनमें मुख्य रूप से खनिज ईंधन, खनिज तेल, बिटूमन पदार्थ, मिनरल मोम, वस्त्र एवं कपड़ों के सामान, कपास, दालें, दवायें, जहाज एवं नाव, बिजली की मशीनरी, सड़कों पर चलने वाले वाहन और उनके पूर्जे शामिल हैं। इस देश में भारत से निर्यात की जाने वाली सामग्रियों में सबसे बड़ा हिस्सा पेट्रोलियम पदार्थ का है, क्योंकि भारत इसका एकमात्र आपूर्तिकर्ता है। इस देश को भारत जितना निर्यात करता है उसकी तुलना में वहां से भारत का आयात बहुत कम है। अप्रैल 2014 से फरवरी 2018 के बीच मॉरिशस से भारत को मात्र 76.53 मिलियन अमेरिकी डॉलर का निर्यात हुआ। मॉरिशस से भारत जिन सामग्रियों का आयात करता है उनमें प्रकाश या दृष्टि संबंधी यंत्र, मापने का यंत्र तथा उससे जुड़े यंत्र एवं उसके हिस्से, लोहा एवं स्टील, लकड़ी की लुगदी, तांबा, विद्युत मशीनरी, कपड़ा, कीमती मोती शामिल हैं। मॉरिशस से निर्यात होने वाली सामग्रियों का एक बड़ा हिस्सा खाद्य पदार्थ, चीनी एवं कपड़ों का है। लेकिन भारत में इन सामग्रियों की अधिक मांग नहीं है। दरअसल भारत स्वयं इन सामग्रियों का निर्यात करता है। सारणी 1 तथा उसके बाद के ग्राफ से भारत तथा मॉरिशस के बीच हाल में हुए व्यापार का प्रवाह और मात्रा के आंकड़े दिए गए हैं:
भारतीय वित्तीय वर्ष |
2010-11 |
2011-12 |
2012-13 |
2013-14 |
2014-15 |
2015-16 |
2016-17 |
2017-18 (अप्रैल- जनवरी) |
निर्यात (मिलियन अमेरिकी डॉलर) |
853.91
|
1400.51
|
1310.80 |
1000.18
|
1909.55
|
855.73 |
881.38
|
792.16
|
आयात (मिलियन अमेरिकी डॉलर) |
16.51
|
38.52
|
28.44
|
20.79 |
21.19 |
20.36
|
18.37
|
15.58
|
कुल
|
870.42
|
1439.03
|
1339.24
|
1020.97
|
1930.74
|
876.09
|
899.75
|
807.74
|
(सारणी 1: आँकड़ों का स्रोत – भारतीय निर्यात-आयात डेटाबैंक)vi
मॉरिशस के साथ भारतीय आयात-निर्यात
मॉरिशस मुख्य रूप से ब्रिटेन, फ्रांस, अमेरिका, दक्षिणी अफ्रीका, मेडागास्कर, इटली तथा यूरोप के अन्य देशों को निर्यात करता है। दुनिया के दूसरे देशों में मॉरिशस मुख्य रूप से खाद्य पदार्थ तथा जीवित पशु, मछली, शक्कर, पेय पदार्थ, तंबाकू का निर्यात करता है। वास्तव में मॉरिशस के कुल निर्यात का 70 प्रतिशत भाग यूरोपीय संघ आयात करता है।vii दरअसल यूरोपीय संघ और अमेरिका एक विशेष प्रावधान के अन्तर्गत मॉरिशस से सामान आयात करते हैं। मॉरिशस के साथ यूरोपीय संघ का अंतरिम इकॉनमिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट (ईपीए)viii है तथा अमेरिका ने मॉरिशस को अफ्रीका ग्रोथ एंड ऑपरच्यूनिटी एक्ट (एजीओए) के तहत लाभार्थी उप-सहारा अफ्रीकी देश का दर्जा दिया है। साथ ही अमरीका की जनरलाइज्ड स्कीम ऑफ प्रिफरेंस (जीएसपी) के अन्तर्गत भी मॉरिशस शामिल है।ix इन समझौतों और योजनाओं के कारण मॉरिशस के उत्पादों का बिना शुल्क तथा बिना किसी कोटा के, प्राथमिकता के आधार पर, यूरोप और अमेरिका में निर्यात होता है। हालांकि, भारतीय विदेश मंत्रालय के अनुसार, 2007 से भारत मॉरिशस का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार तथा उत्पाद एवं सेवाओं का सबसे बड़ा निर्यातक था।x मॉरिशस में इतने बड़े पैमाने पर आयात के कारण उसके अंतरराष्ट्रीय व्यापार में भारत का अच्छा-खासा योगदान रहा है। लेकिन हाल में, चीन से मिल रहे मुकाबले के कारण भारत को सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बने रहने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। सारणी 2 से स्पष्ट है कि भारत तथा चीन, मॉरिशस के दो सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार हैं:
वर्ष |
2011 |
2012 |
2013 |
2014 |
2015 |
2016 |
2017 |
मॉरिशस को भारत से निर्यात (आँकड़े एमयूआर में) |
34666 |
37191 |
39896 |
37225 |
29822 |
27292 |
29659 |
मॉरिशस को चीन से निर्यात (आँकड़े एमयूआर में) |
20780 |
25834 |
24312 |
27789 |
30317 |
29300 |
29681 |
(सारणी 2: आँकड़ों का स्रोत – एक्सटरनल मेर्चेंडाइज ट्रेड स्टैटिसटिक्स, मॉरिशस सरकार)xi
2011 से भारत तथा चीन से मॉरिशस को निर्यात
2013, 2014 तथा 2017 में भारत ने मॉरिशस को उसकी मुद्रा (एमयूआर) में क्रमश: 39896, 37225 तथा 29659 मिलियन का निर्यात किया था, जबकि इन सालों में मॉरिशस का कुल आयात क्रमश: 165594, 172038 तथा 180837 मिलियन एमयूआर का था। हालांकि 2013 में 39896 मिलियन एमयूआर के अधिकतम निर्यात के बाद उसमें गिरावट आई, फिर भी 2014 तक भारत, मॉरिशस में सबसे बड़ा निर्यातक देश बना रहा। 2013 से 2014 के बीच मॉरिशस के कुल आयात में भारत की हिस्सेदारी 24.09 प्रतिशत से गिरकर 21.63 प्रतिशत पर पहुँच गई।xii इसके बाद 2015 में थोड़े अंतर से ही सही, लेकिन भारत की जगह चीन मॉरिशस में सबसे बड़ा निर्यातक देश बन गया। हालाँकि भारत अब भी मॉरिशस का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश बना हुआ है एवं 2017 में मॉरिशस को कुल निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 16.40 प्रतिशत रही है। इस व्यापारिक सम्बन्ध को अधिक मजबूत करने के लिए भारत तथा चीन दोनों ही मॉरिशस से वरीयता वाले या मुक्त व्यापार समझौते की कोशिशों में लगे हुए हैं। भारत लंबे समय से मॉरिशस के साथ कॉम्प्रिहेंसिव इकोनॉमिक कोऑपरेशन एंड पार्टनरशिप एग्रीमेंट (सीईसीपीए)xiii के लिए समझौते की कोशिश में है, तो चीन ने मॉरिशस के साथ मुक्त व्यापार संधि (एफटीए) पर हस्ताक्षर के लिए अप्रैल 2018 में पहले दौर की बातचीत की है।xiv
कुछ अपवादों को छोड़कर, मॉरिशस भारत में सबसे बड़े प्रत्यक्ष विदेशी निवेश करने वाले देशों में परंपरागत रूप से अपनी स्थिति बनाए हुए है। नीचे की सारणी में भारतीय वित्त वर्ष 2008-09 तथा 2016-17 के बीच भारत में कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के आँकड़े दिए गए हैं। इन वर्षों में मॉरिशस सबसे बड़े प्रत्यक्ष विदेशी निवेशकों की सूची में दो बार फिसलकर दूसरे स्थान पर पहुँच गया। सिंगापुर ने भारत में वित्त वर्ष 2013-14 में 4415 मिलियन अमेरिकी डॉलर तथा वित्त वर्ष 2015-16 में 12479 मिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया।xv
भारतीय वित्त वर्ष |
2008-09 |
2009-10 |
2010-11 |
2011-12 |
2012-13 |
2013-14 |
2014-15 |
2015-16 |
2016-17पी |
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (मिलियन अमेरिकी डॉलर में) |
10165 |
9801 |
5616 |
8142 |
8059 |
3695 |
5878 |
7452 |
13383 |
भारत में कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में हिस्सेदारी (%) |
44.78 |
43.63 |
37.59 |
34.68 |
44.07 |
23.01 |
23.75 |
20.66 |
36.85 |
(सारणी 3: आँकड़ों का स्रोत – वार्षिक रिपोर्ट्स, भारतीय रिजर्व बैंक; पी = अनुमानित)xvi
भारत में न केवल मॉरिशस से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के रूप में एक बड़ी राशि आती है, बल्कि भारत से भी वहां बड़े पैमाने पर विदेशी निवेश होता है। यह प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) तथा लाइन ऑफ क्रेडिट (एलओसी) दोनों रूपों में होता है। हालाँकि भारत अब भी मॉरिशस के बड़े प्रत्यक्ष विदेशी निवेशकों में शामिल नहीं है। यहाँ दो सबसे बड़े प्रत्यक्ष विदेशी निवेशक फ्रांस तथा चीन हैं।xvii सारणी 4 में पिछले 3 सालों के दौरान भारत से मॉरिशस में प्रत्यक्ष निवेश के आँकड़े दिये गए हैं:
भारतीय वित्तीय वर्ष |
2014-15 |
2015-16 |
2016-17 |
मॉरिशस में भारतीय प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (बिलियन रुपये में) |
799.2 |
1022.4 |
834.8 |
भारत के कुल प्रत्यक्ष निवेश का हिस्सा (%) |
15.01 |
17.65 |
15.42 |
(सारणी 4: मॉरिशस में भारतीय प्रत्यक्ष निवेश; आँकड़ों का स्रोत – भारतीय रिजर्व बैंक)xviii
अफ्रीका में भारतीय निवेश का एक बड़ा हिस्सा पारम्परिक रूप से मॉरिशस को जाता है। इसके व्यापार के लिए अनुकूलता तथा कर सुविधाओं के कारण अफ्रीका में भारत के कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का 90 प्रतिशत भाग मॉरिशस को जाता है। इस देश में भारत का निवेश मुख्य रूप से निर्माण, वित्त, रियल एस्टेट, परिवहन तथा सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार के क्षेत्रों में है। ये भी गौर करने वाली बात है कि अप्रैल 1996 से मार्च 2015 के बीच में भारत का कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 43211 अमेरिकी डॉलर रहा है। अगर इसी अवधि में भारत के सदर्न अफ्रीकन डेवलपमेंट कम्यूनिटी (एसएडीसी) क्षेत्र में 46501.3 अमेरिकी डॉलर की स्वीकृत निवेश को देखें, तो ये एक बहुत बड़ी राशि है।xix
स्वदेश में कर सुविधा तथा व्यापार के अनुकूल वातावरण के कारण मॉरिशस की अधिकतर कंपनियाँ पूरी दुनिया में निवेश करती हैं। इसलिए मॉरिशस में निवेश के लिहाज से भारत की स्थिति समझने के लिए, एशिया, यूरोप तथा अफ्रीकी देशों से मॉरिशस में काम करने वाली तथा निवेश करने वाली कंपनियों में प्रत्यक्ष निवेश के आँकड़ों की तुलना की जा सकती है। ‘ग्लोबल बिजनेस सेक्टर’xx के अलावा प्रत्यक्ष निवेश के आँकड़ों से मॉरिशस के लोगों को प्रत्यक्ष लाभ तथा उसके विकास में सहयोग के बारे में पता चलता है। सारणी 5 में भारत, चीन, ब्रिटेन, अमेरिका, फ्रांस, बेल्जियम, लग्जेमबर्ग, जर्मनी, स्विटजरलैंड, रीयूनियन एवं दक्षिण अफ्रीका से निवेश की जानकारी दी गई है:
साल |
2007 |
2008 |
2009 |
2010 |
2011 |
2012 |
2013 |
2014 |
2015 |
2016 |
2017 |
भारत |
610 |
1921 |
320 |
2887 |
510 |
691 |
353 |
441 |
85 |
45 |
90 |
चीन |
-- |
78 |
305 |
279 |
245 |
2558 |
1894 |
618 |
423 |
2443 |
1110 |
ब्रिटेन |
2802 |
2044 |
1493 |
4632 |
2312 |
4076 |
620 |
1106 |
908 |
633 |
517 |
अमेरिका |
2380 |
1063 |
677 |
132 |
230 |
175 |
219 |
1732 |
114 |
69 |
81 |
फ्रांस |
1176 |
1167 |
2333 |
1598 |
4018 |
4282 |
3434 |
3811 |
3555 |
4496 |
4383 |
बेल्जियम |
378 |
76 |
38 |
92 |
93 |
598 |
204 |
77 |
112 |
434 |
318 |
लक्जेमबर्ग |
69 |
209 |
65 |
256 |
185 |
365 |
322 |
764 |
126 |
137 |
3312 |
जर्मनी |
59 |
172 |
27 |
3 |
11 |
2 |
856 |
1053 |
57 |
124 |
170 |
स्विटजरलैंड |
1287 |
606 |
448 |
590 |
56 |
159 |
610 |
573 |
730 |
420 |
295 |
रीयूनियन |
577 |
49 |
196 |
135 |
246 |
146 |
168 |
141 |
104 |
44 |
36 |
दक्षिण अफ्रीका |
498 |
1415 |
510 |
1468 |
3006 |
5343 |
1851 |
1530 |
1411 |
1967 |
1814 |
(सारणी 5: ग्लोबल बिजनेस सेक्टर को छोड़कर मॉरिशस में एफडीआई, मूल्य एमयूआर मिलियन में)xxi
एक्जिम बैंक ऑफ इंडिया से लाइन ऑफ क्रेडिट (एलओसी) के द्वारा भी भारत मॉरिशस को आर्थिक सहयोग करता रहा है। कई तरह के मूलभूत ई-परियोजनाओं में साझेदारी तथा वित्त पोषण के रूप में 2017 में भारत ने मॉरिशस को 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर की लाइन ऑफ क्रेडिट दी। नीचे दी गई सारणी 6 में एक्जिम बैंक ऑफ इंडिया के द्वारा मॉरिशस को अब तक दिए गए लाइन ऑफ क्रेडिट की जानकारी है :
क्रम संख्या |
वित्तीय वर्ष |
क्रेडिट राशि (मिलियन अमेरिकी डॉलर में) |
उद्देश्य |
एक्जिम बैंक के साथ LOC पर प्राप्तकर्ता के हस्ताक्षर की तारीख |
एक्जिम बैंक के LOC के अन्तर्गत रक्षित अनुबंध मूल्य (मिलियन अमेरिकी डॉलर में) |
एक्जिम बैंक से अब तक निर्गत राशि |
1 |
2010-11 |
48.50 |
ऑफशोर पैट्रॉल वेस्सल |
27/01/2011 |
48.50 |
48.50 |
2 |
2013-14 |
46.00 |
विशेष यंत्र एवं वाहन की खरीद |
21/02/2014 |
22.00 |
21.20 |
3 |
2013-14 |
18.00 |
वाटर जेट फास्ट अटैक क्राफ्ट के अधिग्रहण के लिए |
05/05/2014 |
18.00 |
18.00 |
4 |
2015-16 |
52.30 |
ट्राइडेंट परियोजना |
हस्ताक्षर अभी बाकी |
0.00 |
0.00 |
5
|
2016-17
|
500.00
|
विभिन्न मूलभूत ई-परियोजनाओं के वित्तपोषण हेतु साझेदारी |
27/05/2017
|
0.00
|
0.00
|
6
|
2017-18
|
100.00
|
ऑफशोर पैट्रॉल वेहिकल
|
हस्ताक्षर अभी बाकी
|
0.00
|
0.00
|
कुल
|
|
764.80
|
|
|
88.50
|
87.70
|
(सारणी 6: आंकड़ों का स्रोत – एक्जिम बैंक ऑफ इंडिया)
भारत ने मॉरिशस के साथ आर्थिक, विकास, विज्ञान एवं तकनीकी तथा मानव संसाधन के क्षेत्र में सहयोग के कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। इनमें से कुछ उल्लेखनीय हैं। डबल टैक्सेशन अवॉयडेंस कन्वेशन (डीटीएए),xxii बाइलैटरल प्रमोशन एंड प्रोटेक्शन एग्रीमेंट (बीआईपीए-1998), एग्रीमेंट ऑफ कोऑपरेशन इन इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी (2000), बॉयोटेक्नोलॉजी में सहयोग पर सहमति पत्र (2002), कंज्यूमर प्रोटेक्शन एंड लीगल मेट्रोलॉजी में सहयोग पर सहमति पत्र (2005), एमएसएमई सेक्टर में सहयोग पर सहमति पत्र (2013) सामुद्रिक अर्थव्यवस्था में सहयोग पर सहमति पत्र (2015), दवाओं के परंपरागत तंत्र में सहयोग पर सहमति पत्र (2015), ग्रामीण विकास के क्षेत्र में सहयोग पर सहमति पत्र (2016) तथा हवाई सेवा संचालन पर सहमति पत्र (2016)।
जनवरी 2017 में दो और सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर किए गए। पहला राजनयिकों के परिजनों को नौकरी और दूसरा सहकारी समितियों के मुद्दों से सम्बंधित था। मार्च 2017 में मेट्रो एक्सप्रेस परियोजना, ट्राइडेंट परियोजना, सुप्रीम कोर्ट की नई इमारत, सोशल हाउसिंग और डिजिटल टैबलेट की परियोजनाओं में विशेष कंपनियों को जिम्मेदारी देने के लिए समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए।
मॉरिशस में 1964 से कार्यरत इंडियन टेक्निकल एंड इकॉनमिक कोऑपरेशन (आईटीईसी) और 2009 से कार्यरत पैन अफ्रीकी ई-नेटवर्क काफी प्रतिष्ठित है। आईटीईसी कार्यक्रम से सबसे अधिक लाभ पाने वाले देशों में मॉरिशस भी शामिल है। 2016-17 में आईटीईसी के अन्तर्गत देश में 200 नागरिक, 21 वायुसेना तथा 92 नौसेना प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए गए। इसके अलावा मॉरीशस के विभिन्न विभागों में 20 आईटीईसी विशेषज्ञों की भारतीय खर्च पर तैनाती के समझौते हुए हैं। इन विशेषज्ञों की तैनाती, विकास से जुड़े महत्वपूर्ण विभागों, सिविल इंजीनियरिंग, आर्किटेक्चर, ऑडिट टेक्निक्स, सिविल सर्विस ट्रेनिंग, फिशरीज में की गई।xxiii जहां तक ई-नेटवर्क की बात है, मॉरिशस में सभी तीनों मॉडल (वीवीआईपी, टेलीमेडिसीन तथा टेली-एजुकेशन) कार्यरत हैं। मॉरिशस को इंडिया अफ्रीका फोरम समिट (आईएएफएस) के अन्तर्गत अफ्रीका छात्रवृत्ति का भी सबसे ज्यादा लाभ मिल रहा है। हर वर्ष मॉरिशस के 97 छात्रों को भारत में उच्च शिक्षा के लिए आईसीसीआर छात्रवृत्ति दी जाती है। मॉरिशस के छात्र भारतीय विश्वविद्यालयों में स्व-वित्तपोषित योजना के अन्तर्गत भी दाखिला लेते हैं तथा मॉरिशस के छात्रों द्वारा देश से बाहर के शिक्षण संस्थानों में दाखिला लेने की सूची में भारत को चौथा स्थान प्राप्त है।xxiv
सुरक्षा एवं रणनीतिक सहयोग
2010 से भारत ने मॉरिशस को ऑफशोर पैट्रॉल वेहिकल्स, विशेष यंत्र एवं वाहन, वाटरजेट फास्ट अटैक क्राफ्ट इत्यादि सुरक्षा से जुड़े उपकरणों की खरीदारी के लिए कई लाइन ऑफ क्रेडिट दी हैं। यद्यपि मॉरिशस को दी गई अधिकतर लाइन ऑफ क्रेडिट रणनीतिक लगती हैं, मॉरिशस सरकार इन्हें प्राथमिक रूप से अपनी अर्थव्यवस्था की सुरक्षा के लिए जरूरी मानती है। जबकि मॉरिशस को दुनिया के किसी भी देश से कोई सीधा खतरा नहीं दिखता, आईयूयू (इल्लीगल, अनरिपोर्टेड एवं अनरेगुलेटेड) फिशिंग, पाइरेसी, सामुद्रिक आतंक की आशंका जैसे कुछ गैर परंपरागत खतरे बने रहते हैं, जिनसे मॉरिशस तथा उसके आर्थिक हित अक्सर प्रभावित होते हैं।
इस मामले में भारत शुरू से ही मॉरिशस पुलिस फोर्स/कोस्ट गार्ड को सक्रिय मदद, आवश्यक यंत्र तथा प्रशिक्षण देता रहा है। मॉरिशस के नेशनल कोस्ट गार्ड की टोही क्षमता को मजबूत करने की अपनी नीति के अन्तर्गत भारत के राष्ट्रपति कोविंद ने हाल ही में लाइन ऑफ क्रेडिट (100 मिलियन अमेरिकी डॉलर) देने की घोषणा की है। इसका इस्तेमाल भारत से दूसरा ऑफशोर पैट्रॉल वेहिकल प्राप्त करने के लिए किया जा रहा है।
भारत और मॉरिशस के सैनिक संयुक्त रूप से 2009 से मॉरीशियन एक्सक्लूसिव इकॉनमिक जोन (ईईजेड) की पेट्रोलिंग कर रहे हैं। भारतीय नौसैनिक जहाज नियमित रूप से मॉरिशस से संपर्क बनाए हुए हैं तथा इसके कोस्ट गार्ड के साथ अभ्यास करते रहते हैं। 2016 में मॉरिशस की पुलिस फोर्स/नेशनल कोस्ट गार्ड ने अपने बेड़े में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा निर्मित नए डॉर्नियर टोही विमान को शामिल किया। इसके लिए भारत ने 16 मिलियन अमेरिकी डॉलर की लाइन ऑफ क्रेडिट दी थी। इससे पहले 2015 में भारतीय प्रधानमंत्री के दौरे के समय मॉरिशस के नेशनल कोस्ट गार्ड में भारत के गोवा शिपयार्ड में बने ऑफशोर पैट्रॉल वेस्सल को शामिल किया गया था।
भारत ने मॉरिशस की नेशनल हाइड्रोग्राफिक इकाई के साथ-साथ तटीय राडार प्रणाली बनाने में भी मदद की थी। इन दोनों का ही दोहरा इस्तेमाल है – आर्थिक तथा सामरिक। भारत के साथ रक्षा तथा सुरक्षा के गहरे सम्बंधों के कारण मॉरिशस को एक पूर्ण सैन्य बल रखने की आवश्यकता नहीं है तथा सुरक्षा संबंधी आवश्यकताएं केवल पैरामिलिट्री क्षमता से पूरी हो जाती हैं। ये मॉरिशस तथा भारत दोनों के लिए लाभदायक है, क्योंकि इसकी लागत अपेक्षाकृत कम आती है।xxv
सांस्कृतिक संबंध
मॉरिशस में बसे भारतीय प्रवासियों के कारण दोनों देशों के बीच गहरा सांस्कृतिक सम्बंध है। ये लोग अपनी सांस्कृतिक जड़ों एवं विरासत से अवगत हैं तथा अपनी जड़ों से जुड़े रहना चाहते हैं। भारत सरकार भी भारत-मॉरिशस सांस्कृतिक संबंधों को सक्रिय रूप से प्रोत्साहित करती है। फीनिक्स में इंदिरा गांधी सेंटर फॉर इंडियन कल्चर (आईजीसीआईसी) आईसीसीआर के सबसे बड़े केन्द्रों में एक है, जो मॉरिशस में भारतीय सांस्कृतिक गतिविधियों को प्रोत्साहन देने के लिए एक महत्त्वपूर्ण स्थल के रूप में उभरा है। यहाँ भारतीय संगीत, नृत्य तथा योग की कक्षायें आयोजित होती हैं। भारत-मॉरिशस भाषाई संबंध के प्रतीक के रूप में, भारत के राष्ट्रपति कोविंद ने पोर्ट लुइस में विश्व हिंदी सचिवालय संयुक्त परियोजना का उद्घाटन किया। सचिवालय के लिए धन भारत ने दिया था, जबकि भूमि मॉरिशस सरकार ने उपलब्ध कराई थी।
भारतीय संस्कृति तथा शिक्षा को प्रोत्साहन देने के लिए भारत तथा मॉरिशस की सरकार के बीच 1970 में संयुक्त उद्यम के रूप में स्थापित महात्मा गाँधी संस्थान (एमजीआई); 2000 में भारतीय संस्कृति और परंपराओं पर अध्ययन केंद्र के रूप में स्थापित रबिन्द्रनाथ टैगोर इंस्टीट्यूट; संस्कृत और भारतीय दर्शनशास्त्र में आईसीसीआर चेयर; स्वामी विवेकानंद अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र, पोर्ट लुइस; तथा मॉरिशस की आम जनता के बीच योग तथा पारंपरिक भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली (आयुष) की लोकप्रियता दोनों देशों के बीच गहरे सांस्कृतिक संबंधों के प्रतीक हैं। इनके अलावा भारत और मॉरिशस के बीच विभिन्न प्रकार के अनौपचारिक तथा गैर-सरकारी सांस्कृतिक नेटवर्क उपलब्ध हैं, जो लोगों के सम्पर्क को मजबूती प्रदान करते हैं एवं उसे जीवंत बनाए रखते हैं।
दौरे के बाद मूल्यांकन
भारत तथा मॉरिशस के बीच अंतरंग ऐतिहासिक तथा सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के कारण अद्वितीय आदान-प्रदान होते रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर दोनों देश अपनी-अपनी स्थितियों का समन्वय कर रहे हैं। दोनों देशों के बीच औपचारिक तथा अनौपचारिक दोनों स्तर पर नियमित रूप से उच्च स्तरीय यात्रायें होती रही हैं, जिनसे उनका राजनीतिक सम्बंध मजबूत होता रहा है। दोनों देशों में द्विपक्षीय सम्बंधों से जुड़े लगभग हर पहलू पर समझौते हुए हैं। 2013 में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की यात्रा के दौरान “वरिष्ठ नागरिकों” और “दिव्यांगों” के सशक्तिकरण के सम्बंध में दोनों देशों के बीच समझौता हुआ, जिससे पता चलता है कि दोनों देशों के सम्बंध कितने व्यापक तथा सूक्ष्म-स्तर तक हैं।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मॉरिशस यात्रा भारत की सबसे महत्त्वपूर्ण यात्राओं में एक थी। इस दौरान दोनों देशों के बीच सम्बंधों के रणनीतिक आयाम पर विशेष रूप से जोर दिया गया; अगालेगा द्वीप में सामुद्रिक अर्थव्यवस्था, संस्कृति, कृषि, समुद्र तथा हवाई परिवहन सुविधा पर सहयोग एवं दवाओं की पारंपरिक प्रणालियों के सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए गए। मार्च 2018 में अपनी यात्रा के दौरान राष्ट्रपति कोविंद द्वारा किए गए समझौते तथा घोषणायें, दोनों देशों के बीच पारंपरिक रूप से निकटवर्ती, जीवंत तथा बहुआयामी सम्बंधों की दिशा में एक नया कदम है। हिंद महासागर में बदलते सामरिक आयाम के परिप्रेक्ष्य में भारत-मॉरिशस के बीच अच्छे सम्बंध शांति तथा स्थिरता के लिए आवश्यक हैं। इस संदर्भ में, मेजबान देश को हिंद महासागर की “कुंजी”बताते हुए, राष्ट्रपति कोविंद ने अफ्रीका की मुख्य भूमि तक पहुंचने के लिए अवसर खोजती भारतीय कंपनियों के लिए मॉरिशस की एक केंद्र के रूप में सम्भावना को रेखांकित किया। उनकी उपस्थिति में जिन समझौतों पर हस्ताक्षर हुए उनसे शासन सुधार के लिए भारत-मॉरिशस सांस्कृतिक तथा संस्थागत सहयोग वृद्धि की दिशा में रखे जाने वाले क़दमों में एक और उपलब्धि हुई। मॉरिशस के लिए भारतीय लाइन ऑफ क्रेडिट की संख्या में तेज वृद्धि से भी पता चलता है कि दोनों देश आपसी संबंधों को महत्त्व दे रहे हैं। एक और ऑफशोर पैट्रॉल वेस्सल प्राप्त करने के लिए राष्ट्रपति कोविंद द्वारा हाल ही की लाइन ऑफ क्रेडिट सम्बंधी घोषणा से भी दोनों देशों के बीच सम्बंधों की रणनीतिक गहराई को मजबूती मिली है।
भारत के प्रति सकारात्मक झुकाव के कारण मॉरिशस के साथ भारत का पारम्परिक संबंध वर्तमान वैश्विक भूराजनीतिक परिदृश्य में और भी महत्त्वपूर्ण हो गया है। हालाँकि मॉरिशस में विदेशी निवेश के परिदृश्य में हाल में हुए परिवर्तनों पर ध्यान देना आवश्यक है। इस दिशा में चीन ने महत्त्वपूर्ण बढ़त बनाई है। वह मॉरिशस के सबसे महत्त्वपूर्ण निवेशक के रूप में तेजी से उभर रहा है। भारत को मॉरिशस का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बनने में चीन से कड़ी चुनौती मिल रही है। हालाँकि मॉरिशस के साथ भारत के पारंपरिक सामरिक संबंध सुरक्षित हैं और लगातार बढ़ भी रहे हैं। भारत को अपने व्यापार तथा निवेश संबंधों को और अधिक मजबूत करने की आवश्यकता है। भारत को मॉरिशस के साथ व्यापार तथा निवेश पक्ष में दूसरे देशों के सापेक्ष आर्थिक रूप से अपने ‘तुलनात्मक लाभ’ के क्षेत्रों पर ध्यान देकर उनका संपोषण करना चाहिए। इस क्षेत्र के द्वीपों पर बसे दूसरे छोटे पड़ोसी देशों (श्रीलंका और मालदीव) में हाल के आर्थिक तथा रणनीतिक घटनाक्रम के संदर्भ में यह और भी अनिवार्य हो गया है। इस संदर्भ में राष्ट्रपति कोविंद की यात्रा, आपसी लाभ के लिए, भारत द्वारा एक शांतिपूर्ण तथा आर्थिक रूप से सक्रिय हिंद महासागर क्षेत्र की आकांक्षाओं के साथ, मॉरिशस के साथ अपने अद्वितीय तथा रणनीतिक सम्बंधों को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्धता की सुदृढ़ पुनरोक्ति है।
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* लेखक, शोध अध्येता, विश्व मामलों की भारतीय परिषद, नई दिल्ली।
डिस्क्लेमर: आलेख में व्यक्त किये गए विचार शोध अध्येता के निजी विचार हैं तथा परिषद के विचारों को प्रतिबिम्बित नहीं करते।
i मॉरिशस इस समझौते के द्वारा भारत-नयित नालंदा विश्वविद्यालय सहयोग में सम्मिलित हुआ.
ii “President of India Leads Delegation-Level Talks, Witnesses Exchange of Agreements /MoUs; Meets Top Leadership of Mauritius on Second Day of Visit (March 12, 2018)”, Ministry of External Affairs, India, http://www.mea.gov.in/press-releases.htm?dtl/29610/President+of+India+Leads+DelegationLevel+Talks+Witnesses+Exchange+of+Agreements+MoUs+Meets+Top+Leadership+of+Mauritius+on+Second+Day+of+Visit+March+12+2018
iii वही.
iv इसका स्रोत भारतीय विदेश मंत्रालय का एक पुराना आँकड़ा है. मॉरिशस जनगणना में 1972 से नस्ल/जातीयता संबंधी प्रश्न सम्मिलित नहीं किये जाते. परन्तु, सरलता पूर्वक यह दावा किया जा सकता है कि मॉरिशस की जनसंख्या का दो-तिहाई भाग भारत-उद्गमित है.
v “Trade and Shipment Facilitation”, Indian Ocean Rim Association (IORA), http://www.iora.net/en/priorities-focus-areas/trade-and-investment-facilitation
vi आँकड़ों का स्रोत भारतीय वाणिज्य मंत्रालय है. देखें http://commerce-app.gov.in/eidb/default.asp
vii “Mauritius and the EU”, European Union External Action, https://eeas.europa.eu/generic-warning-system-taxonomy/404_en/1517/Mauritius%20and%20the%20EU
viii यदि मॉरिशस में निर्मित उत्पाद प्रोटोकॉल 1 में लिखित उद्गम के नियमों का संतोषपूर्ण पालन करते हैं तो उन्हें यूरोपीय बाज़ार में ड्यूटी एवं कोटा मुक्त प्रवेश उपलब्ध है.
ix मॉरिशस एजीओए के अंतर्गत व्यापार वरीयताओं के लिए अर्हता रखता है, जिससे इसे 6400 उत्पादों को यूएस के लिए ड्यूटी-फ्री निर्यात करने का लाभ मिलता है. यह अमरीका की जनरलाइज्ड स्कीम ऑफ प्रिफरेंस (जीएसपी) के अंतर्गत प्राप्त छूट से 1800 अधिक है. अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने एजीओए को २०२५ तक विस्तृत कर दिया.
x Brief on India-Mauritius Relations, Ministry of External Affairs, January 8, 2016.
xi स्रोत: एक्सटर्नल मर्चेंडाइज ट्रेड स्टेटिस्टिक्स, मॉरिशस सरकार. रिपोर्ट्स देखें http://statsmauritius.govmu.org/English/StatsbySubj/Pages/External-Trade.aspx
xii कुल भारतीय निर्यात के मूल्य में गिरावट मुख्यतः खनिज ईधन, खनिज तेल एवं उनके उत्पादों के मूल्य में पतन था. यह कुल गिरावट मुख्यतः तेल के मूल्य में पतन के कारण थी.
xiii भारत मॉरिशस के साथ एक कॉम्प्रिहेंसिव इकोनॉमिक कोऑपरेशन एंड पार्टनरशिप एग्रीमेंट (सीईसीपीए) के लिए भी बातचीत कर रहा है और इस पर जनवरी 2018 में तीसरे दौर की वार्ता पूरी कर चुका है. इस वार्ता का उद्देश्य शुल्क-मुक्त उत्पादों की सीमा का उदारीकरण, उद्गम के नियमों, सेवा क्षेत्र में सहयोग हेतु वरीयताओं एवं मॉरिशस को भारतीय कंपनियों के लिए अफ्रीका-प्रवेश के एक केंद्र के रूप में उपयोग करने पर समझ बनाना है. देखें: भारतीय उच्चायोग, मॉरिशस, जनवरी 24, 2018, https://indiahighcom-mauritius.org/pages.php?id=557
xiv “Mauritius - China FTA to strengthen economic cooperation in various sectors”, Republic of Mauritius, April 3, 2018, http://www.govmu.org/English/News/Pages/Mauritius--China-FTA-to-strengthen-economic-cooperation-in-various-sectors.aspx
xv एफडीआई आँकड़ों का स्रोत: रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया वार्षिक रिपोर्ट्स.
xvi आँकड़ों का स्रोत: रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया वार्षिक रिपोर्ट्स.
xvii वर्ल्ड इन्वेस्टमेंट रिपोर्ट 2017, p. 95.
xviii स्रोत: Reserve Bank of India Census of Foreign Liabilities and Assets of Indian Direct Investment Companies in financial years (FY) 2013-14, 2014-15, 2016-17.
xix एक्जिम बैंक ऑफ़ इंडिया वर्किंग पेपर No. 50, p. 63.
xx द फाइनेंसियल सर्विसेस एक्ट 2007 (संशोधित 2010) द्वारा मॉरिशस अपने देश में कार्य संपादन करने वाली तथा देश से बाहर कार्य संपादन करने वाली कंपनियों में अंतर करता है. इसके अनुसार एक ग्लोबल बिजनेस कंपनी (जीबीसी) वह है जो मॉरिशस में रहकर मॉरिशस से बाहर अपने कार्यों के सम्पादन का प्रस्ताव करती है.
xxi आँकड़ों का स्रोत: बैंक ऑफ़ मॉरिशस.
xxii 1982 में हस्ताक्षरित; संशोधन एवं पुनः पुष्टिकरण 2016 में.
xxiii “ITEC and Technical Cooperation”, High Commission of India Mauritius, https://indiahighcom-mauritius.org/pages.php?id=56
xxiv India Mauritius Bilateral, High Commission of India, Mauritius, https://indiahighcom-mauritius.org/pages.php?id=33
xxv Sanjay Badri-Maharaj, “The Mauritius-India Naval Relationship: Naval Diplomacy 2.0”, Africa Trends, April-June 2016, Institute for Defence Studies and Analyses, at https://idsa.in/africatrends/the-mauritius-india-naval-relationship%3A-naval-diplomacy