पिछले दशक के दौरान दक्षिण कोरिया भारत के महत्त्वपूर्ण साझीदार के तौर पर उभरा है। इस दौर में दोनों देशों के बीच सम्बंध बहुआयामी तथा विस्तृत फलक पर विकसित हुए हैं। दोनों देशों के आपसी सम्बंधों में सुधार 2010 में “रणनीतिक साझेदारी” तथा 2015 में “विशेष रणनीतिक साझेदारी” के रूप में झलकती है। हालांकि पिछले तीन सालों में आपसी सम्बंधों में ठोस तथा उल्लेखनीय प्रगति हुई है, फिर भी कहा जा सकता है कि आपसी साझेदारी बढ़ाने के मामले में अब भी बहुत से मोर्चों पर काम अपेक्षाकृत धीमी गति से हो रहा है, जबकि इस दिशा में संभावनाएं बहुत ज़्यादा हो सकती हैं।
दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे-इन के 08 जुलाई-11 जुलाई, 2018 के बीच भारत यात्रा के दौरान द्विपक्षीय सम्बंधों को नई गति देने का अवसर मिला। भारत के साथ सम्बंधों को मज़बूत करने के उद्देश्य से बनाई गई कोरिया की “न्यू साउदर्न पॉलिसी” को भारत की “एक्ट ईस्ट पॉलिसी” का साथ मिला। भारत तथा दक्षिण कोरिया के बीच द्विपक्षीय सम्बंधों में पिछले तीन वर्षों में हुई प्रगति तथा राष्ट्रपति मून के भारत दौरे से निकले निष्कर्षों के आधार पर इस आलेख में दोनों देशों के बीच सम्बंधों की व्याख्या “स्पेशल स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप” यानी “विशेष रणनीतिक साझेदारी” के तौर पर की जा रही है।
भारत-दक्षिण कोरिया सम्मेलन के परिणाम
जुलाई, 2017 में हेम्बर्ग में जी-20 सम्मेलन के दौरान मुलाकात के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा राष्ट्रपति मून 10 जुलाई, 2018 को दूसरी बार मिले। सम्मेलन में दोनों ने “विशेष रणनीतिक साझेदारी” के अन्तर्गत भारत तथा दक्षिण कोरिया के बीच सम्बंधों को नई गति देने के लिए ‘ज्वॉइंट विज़न स्टेटमेंट’ जारी किया। दस्तावेज़ में द्विपक्षीय सम्बंधों में नई मजबूती की बात शामिल की गई। कहा गया कि भारत की “एक्ट ईस्ट पॉलिसी” तथा राष्ट्रपति मून की “न्यू साउदर्न पॉलिसी” में स्वाभाविक समरसता है। पहली बार भारत तथा दक्षिण कोरिया ने क्षेत्रीय शांति के लिए दृष्टिकोण साझा किए। दोनों ने इसके लिए “शांतिपूर्ण, स्थिरता के साथ, सुरक्षित, मुक्त, खुला हुआ, विस्तृत तथा नियमबद्ध क्षेत्र” के प्रति तथा “लोगों की समृद्धि तथा शांति के लिए भविष्योन्मुखी साझेदारी” के कामों को लेकर भी प्रतिबद्धता जताई। भारत का इंडो-पैसिफिक दृष्टिकोण तथा राष्ट्रपति मून जे-इन का 3पी- पीस, प्रॉस्पेरिटी तथा पीपुल का दृष्टिकोण महत्त्वपूर्ण है। क्षेत्रीय शांति के लिए समृद्धि तथा सुरक्षा के बीच सम्बंधों को समझने का द्विपक्षीय दृष्टिकोण समुद्री परिवहन, एक देश से दूसरे के बीच उड़ान तथा अबाधित विधिक वाणिज्यिक गतिविधियों को रेखांकित करता है। यह वैश्विक रूप से स्वीकृत अंतरराष्ट्रीय कानूनों के सिद्धांतों के आधार पर विवादों के बातचीत के द्वारा शांतिपूर्ण निपटारे तथा संप्रभुता और क्षेत्रों की एकता के सिद्धांतों को भी रेखांकित करता है।
हालांकि संयुक्त वक्तव्य कुल मिलाकर भारत के इंडो-पैसिफिक दृष्टिकोण को ही व्यक्त करता है, लेकिन यह इंडो-पैसिफिक सिद्धांत का समर्थन नहीं करता। फिर भी यह कहना कि दक्षिण कोरिया, भारत के विस्तृत तथा सहयोगपूर्ण दृष्टिकोण का ध्यान रखता है। यह इंडो-पैसिफिक सिद्धांत पर सियोल की बढ़ती दिलचस्पी तथा उस पर भारत की प्रतिक्रिया का संकेत है। उभरती क्षेत्रीय शांति के सिद्धांत पर द्विपक्षीय समझ इस दिशा में और सहयोग के लिए एक सकारात्मक क़दम है।
तीसरे देश के विकास के लिए आपसी सहमति से त्रिपक्षीय साझेदारी की संभावनाओं की तलाश के लिए द्विपक्षीय सहयोग के नए आयाम की आवश्यकता अंतरराष्ट्रीय स्तर पर है। इस सिलसिले में, दोनों देश अफगानिस्तान में क्षमता निर्माण परियोजनाओं में सहयोग के लिए सहमत हैं।
शांति के साथ ही समृद्धि के पहलू पर भी द्विपक्षीय दृष्टिकोण का काफी ध्यान रखा गया है, ताकि भारत के उच्च आर्थिक विकास तथा जनसांख्यिकी संबंधी लाभ एवं कोरिया की उन्नत प्रौद्योगिकी, निर्माण क्षमता तथा विकास के अनुभवों का लाभ एक-दूसरे को मिल सके। सम्मेलन के दौरान भारत तथा कोरिया के बीच 11 समझौतों पर हस्ताक्षर हुए। इनमें दो समझौते आपसी व्यापार बढ़ाने तथा तीन विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए किए गए। इसके अलावा दो समझौते संस्कृति तथा नागरिकों के बीच सम्बंधों को प्रोत्साहन देने, एक एमओयू भविष्य की प्रौद्योगिकी में सहयोग बढ़ाने तथा एक एमओयू रेलवे में सहयोग बढ़ाने के लिए किया गया।
दोनों देशों के बीच आपसी व्यापार तथा आर्थिक सहयोग बढ़ाने के लिए कॉम्प्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट (CEPA) 2010 में किया गया था। CEPA के अन्तर्गत व्यापार में शिथिलता आने तथा समझौते पर अमल में दिलचस्पी कम होने के बाद 2015 में CEPA को अधिक प्रभावी बनाने के लिए बातचीत शुरू हुई। CEPA को बेहतर बनाने की प्रक्रिया जारी रखने पर सहमति बनने के साथ दोनों देशों ने अर्ली हार्वेस्ट पैकेज की घोषणा भी की तथा 2030 तक दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ाकर 50 अरब डॉलर करने का लक्ष्य तय किया गया। अभी दोनों देशों के बीच 20 अरब डॉलर का व्यापार हो रहा है। अर्ली हार्वेस्ट पैकेज में कोरिया 17 भारतीय उत्पादों को अपने बाजार में निशुल्क प्रवेश की अनुमति देगा, जबकि 11 कोरियाई उत्पादों को भारतीय बाजार में निशुल्क प्रवेश की अनुमति दी जाएगी। कोरियाई बाजार में जो भारतीय उत्पाद बिना किसी शुल्क के भेजे जा सकेंगे, उनमें आम, बीअर, पॉपकॉर्न, मक्का तथा उससे बने दूसरे उत्पाद, जैली तथा जैम शामिल हैं। पैकेज में इस बात पर भी सहमति बनी है कि भारत, कोरिया में भारतीय योग प्रशिक्षक भेजेगा तथा भारतीय योग इंस्टीट्यूट कोरिया में अपने प्रशिक्षण केंद्र स्थापित कर सकेंगे। इसी तरह कोरिया, भारत में ताईक्वांडो को प्रोत्साहन दे सकेगा।
सीईपीए के अमल में शिथिलता आने पर भारतीय तथा कोरियाई नेतृत्व के बीच 2015 में समझौते को आगे बढ़ाने पर सहमति बनी। इसके लिए कोरिया तथा भारत के बीच पांच दौर की वार्ता हुई। बातचीत के इतने दौर के बाद अर्ली हार्वेस्ट पैकेज के रूप में एक अंतरिम समझौता राष्ट्रपति मून के दौरे पर हुआ। द्विपक्षीय व्यापार 2017 में बढ़कर 20 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया। 2016 में यह 15.7 अरब डॉलर, तो 2015 में 16.2 अरब डॉलर था। भारत के लिए कोरिया के साथ बढ़ता व्यापार घाटा चिंता का विषय रहा है। अब द्विपक्षीय व्यापार में वृद्धि हुई है, तो घाटा अधिक बढ़ गया है। 2016 में यह 7.4 अरब डॉलर था, जो अब बढ़कर 10.6 अरब डॉलर हो गया है। इस दौरान कोरिया को भारतीय उत्पादों के निर्यात में भी कमी आई है। सीईपीए में सुधार के लिए वार्ताओं के दौरान भारत ने समझौते का अमल बेहतर बनाने की मांग रखी, ताकि भारतीय निर्यात को प्रोत्साहन मिल सके। भारत ने फार्मास्यूटिकल्स, कृषि उत्पादों तथा आईटी सेवाओं को कोरिया में बेहतर बाजार उपलब्ध कराने की मांग पर बल दिया।
रेलवे, भविष्य की रणनीति तथा बायोटेक्नोलॉजी से संबंधित नए क्षेत्रों में सहयोग के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए। भारतीय रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड्स ऑर्गनाइजेशन (RDSO) तथा कोरिया के रेलरोड रिसर्च इंस्टीट्यूट (KRII) के बीच रेलवे रिसर्च में सहयोग, रेलवे से संबंधित आपसी अनुभव साझा करने तथा रेलवे इंडस्ट्री के विकास के लिए समझौता किया गया। समझौते के अन्तर्गत भारत में उन्नत रेलवे रिसर्च एंड डेवलपमेंट फैसिलिटी की स्थापना तथा कोरियाई मॉडल हाई-स्पीड ट्रेन की संभावना से जुड़े अध्ययन से संबंधित संयुक्त शोध परियोजनाएं आरम्भ की जाएंगी। फ़्यूचर स्टडी ग्रुप दोनों देशों के विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी मंत्रालयों के बीच द्विपक्षीय कार्य प्रणालियों को प्रोत्साहन देगा। चौथी औद्योगिक क्रांति के लाभ के लिए भविष्य की प्रौद्योगिकी को प्रोत्साहन दिया जाएगा। बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में समझौता स्वास्थ्य, औषधि, एग्रो-फिशरी उत्पादों, डिजिटल हेल्थकेयर, परिशोधित औषधि, तंत्रिका से जुड़े शोध तथा नई पीढ़ी के मेडिकल उपकरणों के क्षेत्र में आपसी सहयोग को प्रोत्साहन दिया जाएगा।
“विशेष रणनीतिक साझेदारी” के अन्तर्गत आपसी सम्बंधों में विकास
मई, 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सियोल यात्रा भारत-कोरिया सम्बंधों के लिए महत्त्वपूर्ण थी। इस यात्रा के दौरान “स्पेशल स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप”, यानी विशेष रणनीतिक साझेदारी पर हस्ताक्षर किए गए। प्रधानमंत्री मोदी ने जोर देकर कहा था कि कोरिया, भारत की “एक्ट ईस्ट” रणनीति का अनिवार्य साझीदार है। इस यात्रा में उन्नतिशील साझेदारी के मामले में भारत तथा कोरिया के सम्बंधों में नया आयाम जुड़ गया। मोदी सरकार की ‘मेक इन इंडिया’, ‘स्वच्छ भारत’ तथा ‘डिजिटल इंडिया’ जैसी महत्त्वपूर्ण परियोजनाओं के द्वारा भारत में विकास के मिशन पर बल दिया गया। इस सम्बंध में कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। “विशेष रणनीतिक साझेदारी” आरम्भ करने के लिए विस्तृत आधार वाला तथा व्यापक संयुक्त वक्तव्य भी जारी किया गया।
पिछले तीन साल के दौरान दोनों देशों के बीच उच्च-स्तरीय द्विपक्षीय दौरों का सिलसिला बढ़ा है। यह दोनों देशों के बीच बेहतर राजनीतिक सम्बंध बनने का संकेत है। भारत की तरफ से कैबिनेट मंत्री के नेतृत्व में नौ प्रतिनिधिमंडल दक्षिण कोरिया पहुंचे, चार मुख्यमंत्रियों ने वहां का दौरा किया। इसके अलावा लोकसभा अध्यक्ष के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने दक्षिण कोरिया का दौरा किया। दूसरी ओर पिछले तीन साल में दक्षिण कोरिया के नौ मंत्रियों ने भारत का दौरा किया।
लेकिन उच्च स्तरीय दौरों में वृद्धि के बावजूद दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सम्बंधों में अपेक्षाकृत सरगर्मी महसूस नहीं की गई। उदाहरण के लिए, विदेश मंत्री स्तर पर वार्षिक संयुक्त कमीशन की बैठक पिछली बार 2014 में बुलाई गई, जबकि द्विपक्षीय सम्बंधों के मामले में यह सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण गतिविधि होती है। साथ ही 2015 में प्रधानमंत्री मोदी के सियोल दौरे पर तय की गई सचिव या उपमंत्री स्तर पर 2+2 बैठक अभी तक नहीं हो पाई है।
“विशेष रणनीतिक साझेदारी” के अन्तर्गत रक्षा क्षेत्र में सहयोग महत्त्वपूर्ण है। इस सम्बंध में एक महत्त्वपूर्ण कदम 2017 में उठाया गया, जब एक रक्षा उद्योग सहयोग से जुड़े एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए, जिसमें जहाज बनाने के क्षेत्र में काम होना था। यह एमओयू भारत के ‘मेक इन इंडिया’ अवधारणा के अन्तर्गत अस्तित्व में आया था। ये समझौता रक्षा क्षेत्र में जहाज निर्माण को प्रोत्साहन देने के लिए किया गया था। दोनों देशों के अधिकृत साझीदारों को इसमें नामित किया गया था। भारत की तरफ से विशाखापतनम स्थित हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड (HSL) तथा कोरिया की ओर से ह्युंदै शिपबिल्डिंग को साझीदार बनाया गया। अप्रैल, 2017 में भारतीय सेना के लिए के-9 वज्र होवित्जर निर्माण के लिए भारत की लार्सन एंड टूब्रो (L&T) तथा कोरिया की सैमसंग-टेकविन के बीच साझेदारी हुई। ये सौदा 700 मिलियन डॉलर में हुआ। इस तरह रक्षा मंत्रालय ने ‘मेक इन इंडिया’ पहल के अन्तर्गत किसी निजी कंपनी को सबसे बड़ा ऑर्डर दिया।
“विशेष रणनीतिक साझेदारी” के अन्तर्गत भारत तथा कोरिया के सैन्य बलों के बीच सहयोग में भी बढ़ोत्तरी देखने को मिली। अप्रैल, 2018 में भारत तथा कोरिया के कोस्ट गार्ड ने ज्वॉइंट एंटी-पायरेसी, सर्च एंड रेस्क्यू एक्सरसाइज़ (“सहयोग-हायोबॉलीयोग 2018”) के नाम से की। इस अभ्यास के अन्तर्गत दोनों देशों के जहाजों के तकनीकी कौशल का प्रदर्शन किया। समुद्री लुटेरों से जूझने तथा समुद्री नियम-कानूनों को लागू करने के लिए संयुक्त कवायद की गई। दक्षिण कोरिया तथा भारत की नौसेनाओं ने हिंद महासागर में अभ्यास किया। इसके लिए कोरिया के युद्धपोत अक्टूबर, 2017 में मुंबई पहुंचे। कोरिया के सैन्य अधिकारियों के अनुसार अभ्यास में दोनों देशों के तमाम तरह के विध्वंसकों, सैन्य बेड़ों तथा दूसरे साज़-ओ-सामान के साथ हिस्सा लिया गया। भारतीय नौसेना के पांच जहाज पिछले तीन साल में कोरिया पहुंचे हैं। इस तरह दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग में वृद्धि हो रही है।
जून, 2017 में भारत के वित्त मंत्री अरुण जेटली की दक्षिण कोरिया यात्रा के दौरान दोनों देशों ने नौ अरब अमेरिकी डॉलर के कंसेशनल क्रेडिट के समझौते पर हस्ताक्षर किए। दोनों देशों के बीच भारत में बुनियादी ढांचे के विकास की परियोजनाओं के लिए एक अरब डॉलर के ऑफिशियल डेवलपमेंट असिस्टेंस (ODA) समझौते पर भी हस्ताक्षर किए गए। इसकी घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2015 में की गई कोरिया यात्रा के दौरान की गई थी। इसके साथ ही कोरिया, जी-7 देशों के अलावा ओडीए में हिस्सेदारी वाला दुनिया का पहला देश बन गया। सितंबर, 2017 में घोषणा की गई कि तीन बड़े इन्फ़्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में फंड का उपयोग किया जाएगा। ये हैं- नागपुर-मुंबई सुपर कम्युनिकेशन एक्सप्रेसवे (NMSE), कल्याण-डोंबिवली स्मार्ट सिटी तथा बांद्रा गवर्नमेंट कॉलोनी।
अप्रैल, 2016 में समुद्री क्षेत्र में बंदरगाह के विकास हेतु आपसी सहयोग के लिए द्विपक्षीय समझौता किया गया। समझौते का उद्देश्य दोनों देशों में बंदरगाहों के विकास तथा उनके संचालन के लिए प्रौद्योगिकी तथा अनुभव साझा करना था। इसके अन्तर्गत एक-दूसरे के हितों को देखते हुए बंदरगाहों से संबंधित विभिन्न तरह के निर्माण किये जाने हैं। 2016 में भारत में हुए पहले मेरीटाइम सम्मेलन में कोरिया को साझीदार देश के तौर पर चुने जाने से स्पष्ट हो गया कि मेरीटाइम सेक्टर में दोनों देश एक-दूसरे के हितों के लिए अच्छे सहयोगी साबित हो सकते हैं। भारत तथा कोरिया ने अप्रैल, 2018 में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसके अन्तर्गत दोनों देशों के नाविकों को दक्षता प्रमाण पत्र दिया जाएगा। इन प्रमाण पत्रों को दोनों देश मान्यता देंगे। इससे भारतीय जहाजी मल्लाहों के लिए 500 से अधिक कोरियाई जहाजों पर रोजगार के रास्ते भी खुल गए हैं।
विशेष रणनीतिक साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर के बाद भारत में कोरियाई निवेश में भी वृद्धि हुई है। पिछल तीन वर्षों में कोरियाई कंपनियों ने ऑटोमोबाइल, ऑटो कंपोनेंट, इलेक्ट्रॉनिक्स, केमिकल, टेक्निकल टेक्स्टाइल, फूड प्रोसेसिंग, वित्त तथा दूसरे क्षेत्रों में लगभग 3.5 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश किया है। जनवरी, 2018 में ह्युंदै मोटर्स ने एक अरब अमेरिकी डॉलर की लागत से नया उत्पादन केंद्र बनाने की घोषणा की है। इसके अगले महीने यानी फरवरी, 2018 में दक्षिण कोरिया के ह्योसंग कॉरपोरेशन ने महाराष्ट्र में 500 मिलियन डॉलर के निवेश से उत्पादन केंद्र स्थापित करने की घोषणा की। नवंबर, 2017 में लॉट्टे कन्फेक्शनरी ने भारत में हेवमोर आइस क्रीम लिमिटेड (HIL) का अधिग्रहण किया। भारत में कंपनी ने 300 मिलियन डॉलर का निवेश किया। फरवरी, 2017 में ह्युंदै की सिस्टर कंपनी किया मोटर्स ने आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में बनने वाले ग्रीनफील्ड प्लांट में दो अरब डॉलर के निवेश की घोषणा की। किया के निवेश की घोषणा के बाद उसकी 16 सब-कॉन्ट्रेक्टर कंपनियों ने आंध्र प्रदेश सरकार के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किए। मार्च, 2018 में किया मोटर्स की आवश्यकताएं पूरी करने के लिए सहायक यूनिट की स्थापना के लिए 700 मिलियन डॉलर के निवेश की घोषणा के अलावा जनवरी, 2018 में कोरिया के योंगोन कॉरपोरेशन ने तेलंगाना के वारंगल में काकातिया मेगा टेक्सटाइल पार्क में 300 मिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश की घोषणा की।
कोरिया में भारतीय निवेश लगभग तीन अरब अमेरिकी डॉलर है। कोरिया में बड़े भारतीय निवेशक हैं महेंद्रा एंड महेंद्रा (1.5 अरब डॉलर), नोवेलिस इंक (700 मिलियन डॉलर), टाटा मोटर्स लिमिलेड (400 मिलियन डॉलर) तथा नाकोडा लिमिटेड (40 मिलियन डॉलर)।
भारत तथा दक्षिण कोरिया के बीच आर्थिक सम्बंधों में एक और महत्त्वपूर्ण बात यह है कि भारत में दोनों देशों की कंपनियों के संयुक्त उपक्रमों में सकारात्मक रुख दिखता है। यह महत्त्वपूर्ण इसलिए है कि क्योंकि भारत में कोरिया का निवेश मॉडल पूर्ण स्वामित्व वाले उद्यमों के रूप में ही रहा है। लेकिन अब संयुक्त उपक्रमों का सिलसिला भी शुरू हुआ है। नए संयुक्त उपक्रमों के अन्तर्गत एलजी केम तथा महिंद्रा एंड महिंद्रा ने इलैक्ट्रिक वाहनों के लिए लीथियम आयन बैटरी प्रौद्योगिकी में साझीदारी की घोषणा की है। मुंबई मेरीटाइम ब्रिज प्रोजेक्ट के लिए टाटा प्रोजेक्ट्स तथा डायवू ईएंडसी का संयुक्त उपक्रम, भारती एयरटेल तथा एसके टेलीकॉम के बीच 5-जी टेक्नोलॉजी, सन फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्रीज तथा सैमसंग बायोलॉजिक्स के बीच बायोलॉजिकल ड्रग के उत्पादन के लिए समझौता, एलजी तथा वेदांता के बीच इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोडक्ट मेन्यूफैक्चरिंग फैसिलिटी बनाने के लिए दो अरब डॉलर के निवेश से महाराष्ट्र में संयुक्त उपक्रम इस सिलसिले में उल्लेखनीय हैं।
कोरिया की इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनियों ने भारत में अपनी पहुंच बढ़ाई है। उदाहरण के लिए, डूसान पावर सिस्टम को दो अति महत्त्वपूर्ण पावर प्रोजेक्ट मिले हैं। दोनों की क्षमता 1320 मेगावॉट है। उत्तर प्रदेश के इन दो प्रोजेक्ट की लागत 2.3 अरब डॉलर है। 2016 में डूसान कंपनी को बिहार में थर्मल पावर प्रोजेक्ट के अन्तर्गत 660 मेगावॉट के तीन बॉयलर बनाने का ठेका भी मिला था। यह ठेका कंपनी ने 291.06 मिलियन अमेरिका डॉलर में प्राप्त किया था।
जून, 2016 में भारत में कोरियाई निवेश की संभावनाएं बढ़ाने के उद्देश्य से ‘कोरिया प्लस’ के नाम से विशेष पहल की गई थी। कोरिया प्लस पहला कॉन्टेक्ट प्वाइंट है, जिसका काम भारत में निवेश के प्रस्तावों को आगे बढ़ाना तथा उनसे जुड़ी कार्रवाई के बारे में ब्यौरा लेते रहना है। पिछले दो वर्षों में कोरिया प्लस ने सौ से अधिक कोरियाई प्रस्तावकों की मदद की है। यह प्रधानमंत्री कार्यालय तथा वाणिज्य मंत्रालय के साथ निकट तथा नियमित संपर्क में रहकर काम करती है।
भारत-कोरिया सम्बंधों में पैरा-डिप्लोमेसी का उभरना नया आयाम है। भारत की राज्य सरकारें द्विपक्षीय सम्बंधों को प्रोत्साहन देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। राज्य सरकारें कोरिया में दिलचस्पी दिखा रही हैं। यही कारण है कि दक्षिण कोरिया में मुख्यमंत्रियों तथा मंत्रियों के दौरे बढ़े हैं। वे वहां रोड शो तथा दूसरी व्यापारिक गतिविधियां कर रहे हैं। पिछले तीन वर्षों में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, पंजाब तथा मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्रियों ने या फिर मंत्रियों ने प्रतिनिधिमंडलों के साथ कोरिया के दौरे किए हैं।
द्विपक्षीय सम्बंधों में “नए संदर्भ”
पिछले दो दशकों में भारत तथा कोरिया के सम्बंधों में सुधार का एक बड़ा कारण दोनों देशों के वाणिज्यिक तथा व्यापारिक हितों का अभिसरण है। दोनों देशों के आर्थिक ढांचे में संपूरकता ने द्विपक्षीय आर्थिक सम्बंधों को प्रोत्साहन दिया है। दोनों के हितों में स्पष्ट समानताएं होने के बावजूद सुरक्षा समेत सभी क्षेत्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय मसलों पर दोनों देशों के बीच अभी विस्तृत साझेदारी नहीं है। दोनों ओर से शिथिलता का कारण है कि दोनों देश लंबे समय से अपने क्षेत्रों में ही उलझे रहे हैं। यही कारण है कि दोनों देशों की विदेश नीतियों में एक-दूसरे के लिए प्राथमिकता कभी नहीं रही। लेकिन “रणनीतिक साझेदारी” तथा “विशेष रणनीतिक साझेदारी” की नीति अपनाने के बाद हालात धीरे-धीरे बदल रहे हैं। बदलते वैश्विक संदर्भों में दोनों देशों की भूमिका अब अंतरराष्ट्रीय मामलों में महत्त्वपूर्ण है।
राष्ट्रपति मून जे-इन के नेतृत्व में “नॉर्थईस्ट एशिया प्लस” तथा “न्यू सदर्न पॉलिसी” अपनाने के बाद अब दक्षिण कोरिया की विदेश नीति में भारत का महत्त्वपूर्ण स्थान है। यही कारण है कि सियोल तथा नई दिल्ली के बीच सम्बंध प्रगाढ़ होने लगे हैं। राष्ट्रपति मून ने भारत का महत्त्व समझते हुए मई, 2015 में कार्यभार संभालते ही अपना एक विशेष दूत भारत भेजा था। यह अपनी तरह की एक अनूठी पहल थी। “नॉर्थईस्ट एशिया प्लस” की नीति ने स्पष्ट कर दिया कि दक्षिण कोरिया की विदेश नीति नई दिशा पकड़ रही है। देश की विदेश नीति में अमेरिका, चीन, रूस और जापान जैसे बड़े देशों के अलावा नॉर्थईस्ट क्षेत्र भी उतना ही महत्त्वपूर्ण हो गया है। आसियान तथा भारत, दक्षिण कोरिया की विचार प्रणाली में अब महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं। “न्यू साउदर्न पॉलिसी” एक विशिष्ट ढांचा है, जिसके अन्तर्गत भारत तथा आसियान को स्पष्ट तौर पर प्राथमिकता दी जा रही है।
राष्ट्रपति मून जे-इन की भारत यात्रा के दौरान कोरियाई विदेश नीति चिंतन में नई दिल्ली के दर्जे में वृद्धि के साथ क्षेत्रीय शांति की दिशा में साझा दृष्टिकोण की अभिव्यक्ति की गई। हालांकि “इंडो-पैसिफिक” सिद्धांत की सार्वजनिक पुष्टि नहीं की गई, लेकिन संयुक्त वक्तव्य में भारत की “इंडो-पैसिफिक” सोच के क्षेत्रीय दृष्टिकोण का उल्लेख यह संकेत तो देता ही है कि दोनों देशों के हितों में समानता उभर रही है। ऐसा पहली बार हुआ है कि क्षेत्रीय शांति के मामले में साझा दृष्टिकोण की घोषणा की गई है। ऐसा कर कोरिया ने अपनी विदेश नीति में भारत को प्रमुख स्थान दिया है।
सियोल के नई विदेश नीति के चिंतन में दो कारकों की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। पहला है, चीन का हठधर्मिता वाला रवैया। चीन ने दक्षिण कोरिया को तब अनाधिकारिक रूप से धमकाना शुरू किया, जब अगस्त, 2016 में अमेरिका ने टर्मिनल हाई ऑल्टीट्यूड एरिया डिफ़ेंस (THAD) सिस्टम लगाया। ये प्रणाली मिसाइल हमला रोकने के काम आता है। इसके बाद दक्षिण कोरिया का रवैया चीन के प्रति बदल गया। इस घटना ने कोरिया को चीन के प्रति अपने विचार बदलने को मजबूर किया। अब सियोल विविधता पूर्ण रणनीति अपना रहा है। उसका विचार है कि चीन पर आर्थिक निर्भरता ने उसे राजनीतिक जोखिमों के प्रति लगातार कमजोर करने का काम किया है। दक्षिण कोरिया के राजनीतिक विचार बदलने को बाध्य करने वाला दूसरा कारक उसकी इस चिंता से जुड़ा है कि चीन की मजबूती के कारण क्षेत्र के शक्ति संतुलन में अनिश्चितता आई है। इस अनिश्चितता में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शासनकाल में वॉशिंगटन की एशिया नीति में महसूस की जा रही अस्थिरता के कारण तेजी आई है। ट्रंप की विदेश नीति में संरक्षणवादी तथा व्यवहारवादी रवैये ने कोरिया की चिंता लगातार बढ़ाई है। इससे संकेत मिलता है कि द्विपक्षीय अंतरराष्ट्रीय शांति कायम रहने की शर्तों में परिवर्तन आएगा, जबकि कोरिया अपनी सुरक्षा तथा समृद्धि के लिए इससे बंधा हुआ है। हालांकि यह अभी तक पता नहीं है कि इस मसले पर सियोल का स्पष्ट रवैया क्या है, लेकिन उसे लगता है कि वो भारत जैसे उन देशों के साथ सहयोग में दिलचस्पी दिखाए, जो मुक्त, उदार, विस्तृत तथा नियम-कायदों पर आधारित क्षेत्रीय शांति को प्रोत्साहन देने में विश्वास रखते हों। ऐसा होने पर ही समुद्री परिवहन, एक-दूसरे के आसमान में उड़ान तथा कानूनी वाणिज्यिक गतिविधियों की स्वतंत्रता सुनिश्चित हो सकती है।
निष्कर्ष
2015 में “विशेष रणनीतिक साझेदारी” पर हस्ताक्षर के बाद से भारत तथा दक्षिण कोरिया के बीच द्विपक्षीय सम्बंधों ने सकारात्मक रफ्तार पकड़ी है। पिछले तीन वर्षों में दोनों देशों के बीच साझेदारी इन्फ्रास्ट्रक्चर, रक्षा उत्पादन, व्यापार, निवेश तथा समुद्री क्षेत्र में केंद्रित रही है। विकास को लेकर पिछले तीन वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल तथा “एक्ट ईस्ट पॉलिसी” अपनाए जाने के बाद दक्षिण कोरिया को लाभ पहुंचा है। “एक्ट ईस्ट पॉलिसी” ही भारत तथा दक्षिण कोरिया के बीच विशेष रणनीतिक साझेदारी कायम करने का मुख्य कारण है। राष्ट्रपति मून जे-इन की “न्यू साउदर्न पॉलिसी” ने दोनों देशों के आपसी सम्बंध प्रगाढ़ बनाए हैं। नई क्षेत्रीय वास्तविकताओं से उभरी न्यू साउदर्न पॉलिसी आर्थिक तथा भूराजनीतिक आयाम रखती है। आर्थिक आयाम के अनुसार कोरिया अब चीन के अलावा दूसरे देशों में भी अपना निवेश केंद्रित करना चाहता है। कोरिया की विविधतापूर्ण रणनीति से भारत के लिए अवसर पैदा हुए हैं। जबकि न्यू सदर्न पॉलिसी के आर्थिक आयाम में प्रगति राष्ट्रपति मून के भारत दौरे से पहले से ही जारी थी। फिर भी भू-राजनीतिक आयाम का ठोस आकार लेना अभी बाकी है। अफगानिस्तान में क्षमता निर्माण में सहयोग का निर्णय स्वागत योग्य तथा क्षेत्रीय स्थिरता के लिए साहसी निर्णय है।
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*लेखक, विश्व मामलों की भारतीय परिषद, नई दिल्ली में शोध अध्येता हैं
डिस्क्लेमर: लेख में व्यक्त किए गए विचार शोधकर्ता के हैं तथा परिषद के विचारों को प्रतिबम्बित नहीं करते
संदर्भ:
i "India and Republic of Korea: A Vision for People, Prosperity, Peace and our Future", Ministry of External Affairs, July 10, 2018, www.mea.gov.in/bilateral-documents.htm?dtl/30041/India_and_Republic_of_Korea_A_Vision_for_People_Prosperity_Peace_and_our_Future
ii Ibid
iii "Prime Minister’s Keynote Address at Shangri La Dialogue", MEA, June 1, 2018, https://www.mea.gov.in/Speeches-Statements.htm?dtl/29943/Prime+Ministers+Keynote+Address+at+Shangri+La+Dialogue+June+01+2018
iv"India and Republic of Korea: A Vision for People, Prosperity, Peace and our Future”, Op.cit
v Ibid
vi "List of MoUs/Documents signed between India and the Republic of Korea during the State Visit of President of Korea to India", Ministry of External Affairs, July 10, 2018, www.mea.gov.in/bilateral-documents.htm?dtl/30040/List_of_MoUsDocuments_signed_between_India_and_the_Republic_of_Korea_during_the_State_Visit_of_President_of_Korea_to_India
vii "India-Korea trade: Indian mangoes, beer, yoga to get free access to South Korean market ", The New Indian Express, July 13, 2018, www.newindianexpress.com/business/2018/jul/13/india-korea-trade-indian-mangoes-beer-yoga-to-get-free-access-to-south-korean-market-1842830.html
viii Source: Korea International Trade Association, www.kita.org
ix "India - Republic of Korea Joint Statement for Special Strategic Partnership", Ministry of External Affairs, India, May 18, 2015, mea.gov.in/bilateral-documents.htm?dtl/25261/India__Republic_of_Korea_Joint_Statement_for_Special_Strategic_Partnership_May_18_2015
x "India and Republic of Korea sign Inter-Governmental MOU for Defence Industry Co-Operation in Shipbuilding", Press Information Bureau Government of India, April 21, 2018, pib.nic.in/newsite/PrintRelease.aspx?relid=161200
xi "L&T and Hanwa Techwin of South Korea to deliver artillery guns to Indian Army", The Hindu, April 21, 2018, https://www.thehindu.com/news/national/lt-and-hanwa-techwin-of-south-korea-to-deliver-artillery-guns-to-indian-army/article18180322.ece
xii "Indian, Korean coast guards hold joint exercise off Chennai coast", Business Standard, April 6, 2018, https://www.business-standard.com/article/pti-stories/indian-korean-coast-guards-hold-joint-exercise-off-chennai-coast-118040600013_1.html
xiii "Navies of Korea, India hold joint drill in Indian Ocean", Korea Herald, October 8, 2017, www.koreaherald.com/view.php?ud=20171008000015
xiv "The Minister for Finance, Corporate Affairs and Defense, Shri Arun Jaitley reached Seoul, Republic of Korea today", Press Information Bureau Government of India, June 14, 2017, pib.nic.in/newsite/PrintRelease.aspx?relid=165646
xv "South Korea nod for 10 billion USD for Maharashtra projects", The New Indian Express, September 29, 2017, https://indianexpress.com/article/india/south-korea-nod-for-10-billion-usd-for-maharashtra-projects-4866395/
xvi "India, South Korea sign pact for developing ports, Times of India, April 13, 2016, http://timesofindia.indiatimes.com/articleshow/51815990.cms?utm_source=contentofinterest&utm_medium=text&utm_campaign=cppst"
xvii "India–South Korea Pact for Development of Ports", PIB, May 9, 2016, pib.nic.in/newsite/PrintRelease.aspx?relid=145078
xviii "Prime Minister to inaugurate first ever Maritime India Summit in Mumbai Tomorrow", Press Information Bureau Government of India, April 13, 2016, pib.nic.in/newsite/PrintRelease.aspx?relid=138847
xix "India signs MoU with Republic of Korea on Mutual Recognition of Certificates of Competency of Seafarers in Busan today", Press Information Bureau Government of India, April 10, 2018, pib.nic.in/newsite/PrintRelease.aspx?relid=178569
xx "‘India, Korea can leap forward across Indo-Pacific’", Korea Herald, May 14, 2018, m.koreaherald.com/view.php?ud=20180513000279
xxi "Hyundai draws up ₹6,500 crore three-year investment plan", The Hindu, March 16, 2018, https://www.thehindu.com/business/Industry/hyundai-draws-up-6500-crore-three-year-investment-plan/article23268264.ece
xxii "Hyosung Corp to invest Rs 3,000 cr in Maha spandex project", Times of India, February 16, 2018, http://timesofindia.indiatimes.com/articleshow/62943588.cms?utm_source=contentofinterest&utm_medium=text&utm_campaign=cppst
xxiii "Lotte confectionery acquire Havmor ice-cream business for Rs 1020 cr", The economic Times, Novemner 23, 2017, https://retail.economictimes.indiatimes.com/news/food-entertainment/personal-care-pet-supplies-liquor/lotte-confectionery-acquires-havmor-ice-cream-business-for-rs-1020-cr/61767703
xxiv "Kia Motors to invest $2 billion; create 3,000-4,000 jobs by 2022", economic Times, August 9, 2017, https://auto.economictimes.indiatimes.com/news/passenger-vehicle/cars/kia-motors-to-invest-2-billion-create-3000-4000-jobs-by-2022/59974837
xxv "16 Korean companies sign MoU with Andhra government to set up ancillary units", The Economic Times, March 19, 2018, https://economictimes.indiatimes.com/industry/auto/auto-components/16-korean-companies-sign-mou-with-andhra-government-to-set-up-ancillary-units/articleshow/63368982.cms
xxvi "KT Rama Rao hardsells textile park to Korean firms", Deccan Chronicle, January 17, 2018, https://www.deccanchronicle.com/nation/current-affairs/170118/kt-rama-rao-hardsells-textile-park-to-korean-firms.html
xxvii "Mahindra & Mahindra and LG Chem to collaborate for Li-ion battery technology", Business Standard, February 27, 2018, https://www.business-standard.com/article/news-cm/mahindra-mahindra-and-lg-chem-to-collaborate-for-li-ion-battery-technology-118022700201_1.html
xxviii "Tata Projects-Daewoo jt venture wins Rs. 5,612 cr Mumbai trans harbour link project", The Business Line, December 4, 2017, https://www.thehindubusinessline.com/companies/tata-projectsdaewoo-jt-venture-wins-rs-5612-cr-mumbai-trans-harbour-link-project/article9980951.ece
xxix "Bharti Airtel and SK Telec in 5G technology", Economic Times, October 17, 2017, https://telecom.economictimes.indiatimes.com/news/bharti-airtel-sk-telecom-team-up-to-develop-5g-technology/60489764
xxx "Sun Pharma enters into $55.5-mn deal with Samsung BioLogics", Business Line, July 4, 2017, https://www.thehindubusinessline.com/companies/sun-pharma-enters-into-555mn-deal-with-samsung-biologics/article9747974.ece
xxxi "LG, Vedanta JV to invest 16k cr in Mihan, says CM", Times of India, June 26, 2017, http://timesofindia.indiatimes.com/articleshow/59314552.cms?utm_source=contentofinterest&utm_medium=text&utm_campaign=cppst",.
xxxii "Doosan Power clinches Rs 21,000 cr thermal power projects in UP", October 5, 2016, https://www.financialexpress.com/industry/doosan-power-clinches-rs-21000-cr-thermal-power-projects-in-up/406120/
xxxiii "Doosan Wins Thermal Power Plant Construction Deal in India", Business Korea, February 12, 2016, www.businesskorea.co.kr/news/articleView.html?idxno=13822
xxxiv "Text of PM’s speech at India-Korea Business Summit- 2018", Press Information Bureau Government of India, February 27, 2018, pib.nic.in/newsite/PrintRelease.aspx?relid=176816
xxxv Para-diplomacy or "sub-national diplomacy” can be broadly defined as international relations conducted by sub-national or regional governments on their own, with a view to promoting their own interests
xxxvi "Special Envoy of the President of the Republic of Korea calls on Prime Minister", MEA, India, June 17, 2017, www.mea.gov.in/press-releases.htm?dtl/28540/Special+Envoy+of+the+President+of+the+Republic+of+Korea+calls+on+Prime+Minister
xxxvii Jojin V John, "Towards a “New Normal”: Explaining Developments in South Korea- China Relations", Issue Brief, ICWA, February 27, 2018, https://icwa.in/pdfs/IB/2014/DevSouthKoreaChinaIB27022018.pdf